संजय कुमार सिंह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्वीटर हैंडल से यह फोटो खुद ट्वीट किया है। आप यह मान सकते हैं कि उनके नाम के इस ट्वीटर हैंडल से किसी और ने किया होगा पर दोनों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। इस फोटो के साथ ऐसी कुछ और भी फोटुएं हैं और उनमें से इस एक को मैंने चुना है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया है, अपने किशोर मित्रों के साथ पुणे मेट्रो में। इस तस्वीर को देखकर तुरंत एक बात का ख्याल आता है – प्रधानमंत्री ने मास्क क्यों नहीं लगाया है?
मास्क लगाने का नियम प्रधानमंत्री का है, उनकी सरकार का है। पर वे खुद सार्वजनिक जगहों पर मास्क नहीं लगाते हैं और उनके मातहत मास्क नहीं लगाने वालों से सौ-दो सौ का नहीं, 2000 रुपए का जुर्माना वसूलते हैं और सरकार ने इस मद में करोड़ों रुपए वसूले हैं। उनसे भी जिनके पास खाने और दवा के पैसे नहीं हैं। ऐसी सरकार का मुखिया खुद मास्क नहीं लगाकर हमारे-आपके बच्चों को क्या सीख दे रहा है। और उनके मातहत कहां हैं जो उन्हें कानून की याद नहीं दिला पाते हैं।
अगर वे समझते हैं कि सरकार के मुखिया के लिए नियमों का कोई मतलब नहीं है तो वह भी गलत है और अगर उन्हें ठीक लगता है तो अपने मित्रों को भी यह छूट देना-दिलाना चाहिए। एक तो सरकार खुद बेमतलब या मतलब वाला कानून बनाए और फिर सरकार का मुखिया ही उसका उल्लंघन करे – यह कैसी सरकार है, कैसे मुखिया है, कैसे व्यक्ति या नागरिक है? एक नागरिक के रूप में हमारा आपका भी काम है कि उनसे कहें कि वे मास्क लगाएं या मास्क लगाने का नियम खत्म करें। और भले नागरिक की तरह रहें।
हर जगह हर क्षेत्र में दोगलापन ठीक नहीं है। धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और धर्म निरपेक्षता का पालन नहीं करेंगे। यह आपकी राजनीति हो सकती है। घटिया है। लेकिन पद और नागरिक की इज्जत तो कीजिए। आप प्रधानमंत्री के रूप में अनैतिक गलत होइए, हम आपको गलत कहेंगे पर नागरिक के रूप में गलत होंगे तो हम चाहेंगे कि आपके खिलाफ वही हो, किया जाए जो आप दूसरों के साथ करते हैं या करना चाहते हैं। इसलिए अपने बच्चों को अच्छा नागरिक बनाना चाहते हैं तो उनसे दूर रखें, उनका सच बताएं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)