नई दिल्लीः कश्मीर में टार्गेट किलिंग के बाद एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। कश्मीरी पंडितों के पलायन शुरू हो चुका है। जिसे लेकर सत्ताधारी दल विपक्ष के निशाने पर आ गया है। एक तरफ विपक्ष के निशाने पर है, वहीं दूसरी ओर बुद्धिजीवी वर्ग कश्मीर फाइल्स मूवी बनाकर अरबों रुपये कमाने वाले विवेक अग्निहोत्री पर सवाल दाग रहा है। इस कड़ी में अब बॉलीवुड के मशहूर गायक विशाल डडलानी ने भी कश्मीर फाइल्स के समर्थकों और फिल्म निर्माता पर निशाना साधा है।
विशाल डडलानी ने एक ट्वीट किया कि “नमस्कार, कश्मीर फाइल्स के समर्थकों! देख भी रहे हो कश्मीर में क्या हो रहा है? जो 2022 में मर रहे हैं वो भी कश्मीरी पंडित हैं, ना? सरकार से सवाल करने से फट-ती है क्या? हां 20-25 साल बाद जब कोई फिर से नफरत-प्रचार वाली फिल्म बनायेगा, तब जागोगे?”
क्या हुआ कश्मीर में
इस साल अब तक पिछले पांच महीनों में कश्मीर में 17 नागरिक मारे गए हैं। स्थानीय समाचार एजेंसी- कश्मीर न्यूज ऑब्जर्वर (केएनओ) के अनुसार, उनमें 12 कश्मीरी मुस्लिम, अल्पसंख्यक समुदाय के दो, एक हिंदू शिक्षक, राजस्थान का एक बैंक प्रबंधक, एक प्रवासी मजदूर और एक शराब की दुकान का कर्मचारी शामिल है।
25 फरवरी को, शोपियां निवासी शकील अहमद खान के रूप में पहचाने जाने वाले एक नागरिक को अम्शीपोरा शोपियां में एक मुठभेड़ के दौरान मार दिया गया था जिसमें दो आतंकवादी भी मारे गए थे।
02 मार्च को कुलपोरा सरंड्रो कुलगाम के मोहम्मद याकूब डार के रूप में पहचाने जाने वाले एक पंच की उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
6 मार्च को अमीरा कदल श्रीनगर में एक ग्रेनेड हमले में मोहम्मद असलम और राफिया जान नाम के दो लोग मारे गए थे।
11 मार्च को, औडूरा कुलगाम के सरपंच की पहचान शब्बीर अहमद मीर के रूप में हुई, जिसकी उनके आवास के पास हत्या कर दी गई थी।
21 मार्च को गोटीपोरा बडगाम में एक नागरिक तजमुल मोहुद्दीन की मौत हो गई थी।
27 मार्च को एक छात्र उमर अहमद डार की उसके एसपीओ भाई के साथ चडीबुग बडगाम स्थित उसके आवास पर हत्या कर दी गई थी।
13 अप्रैल को, कुलगाम के काकरानी में एक कश्मीरी राजपूत व्यक्ति सतीश कुमार सिंह की उनके घर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी
15 अप्रैल को बारामूला जिले के पट्टन इलाके में एक स्वतंत्र सरपंच मंजूर बांगरू की हत्या कर दी गई थी।
10 मई को, पांडोशन शोपियां में एक मुठभेड़ के दौरान एक नागरिक शाहिद गनी कथित रूप से गोलीबारी में मारा गया था।
12 मई को तहसील कार्यालय चदूरा बडगाम में राजस्व विभाग में कार्यरत एक कश्मीरी पंडित राहुल भट की हत्या कर दी गई थी।
15 मई को तुर्कवांगम निवासी सुहैब गनी अपने पैतृक गांव में मुठभेड़ के दौरान कथित तौर पर गोलीबारी में मारा गया था। 15 मई को रंजीत सिंह बारामूला में शराब की दुकान पर कर्मचारी था, तभी एक हथगोला। उसके पास फटा।
26 मई को हुशरू चादूरा की टीवी कलाकार अमरीना भट की उनके घर में हत्या कर दी गई थी 31 मई को गोपालपोरा कुलगाम में सांबा की एक हिंदू शिक्षक रजनी की हत्या कर दी गई थी। 02 जून को, राजस्थान के रहने वाले एलाक्वाई देहाती बैंक के एक बैंक प्रबंधक विजय कुमार की उनके कार्यालय के अंदर हत्या कर दी गई थी।
02 जून को बडगाम के चदूरा में दो प्रवासी मजदूरों को गोली मार दी गई थी। उनमें से एक की पहचान बिहार निवासी दिलखुश के रूप में हुई है, जिसकी मौत हो गई। कश्मीर में मरने वाले अधिकांश कश्मीरी और मुसलमान हैं लेकिन हम स्यापा केवल कश्मीरी पंडित का करते हैं।
कश्मीर में तीन साल से अधिक से लगभग फौजी शासन है। हर दिन युवा लड़के मुठभेड में मारे जा रहे हैं औऱ हर हफ्ते दो दर्जन युवा घर से गायब हो रहे हैं, हथियार ले कर मरने के लिए। एक तरफ पाकिस्तान की शह पर हथियार ले कर निर्दोषों को मारने वाले शैतान हैं तो दूसरी तरफ खून खराबा, निर्दोष लोगों पर मुकदमे, सुरक्षा बलों द्वारा अत्याचार भी है। कश्मीर केवलः पर्यटन स्थल नहीं है।