नई दिल्लीः कर्नाटक के उडुप्पी में हिजाब मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने से शुरू हुआ विवाद अब संसद तक पहुंच गया है। लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली ने इस मुद्दे को पुरज़ोर तरीक़े से उठाया। दानिश अली ने कहा कि एक तरफ़ ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा, दूसरी ओर कर्नाटक के सरकारी स्कूल में अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं को केवल इस लिये शिक्षा से वंचित रखना कि वे स्कूल में हिजाब पहन कर आती हैं। क्या ‘नये भारत’ में अब सर को दुपट्टे, पगड़ी या हिजाब से ढकना भी अपराध हो गया है?
दानिश अली ने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में बेटियों को पढ़ाने के बारे में कहा। इस पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है कि उसने कितना मजबूत नारी सशक्तिकरण किया है, लेकिन वहीं आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर इस सरकार की आंखों तले ‘बुल्ली बाई और ‘सुल्ली बाई’ जैसी एप्स पर एक विशेष वर्ग, ख़ास तौर से मुस्लिम वर्ग की महिलाओं को, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में बहुत कुछ हासिल करके एक ख़ास मुक़ाम बनाया है, उनका बोली लगाई जाती है, लेकिन यह सरकार कुछ नहीं करती।
दानिश अली ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं और मुझे यकीन है कि जब आदरणीय प्रधान मंत्री जी सदन में आएंगे और उत्तर देंगे, जो धर्म संसद के नाम पर अधर्म संसद, जो हरिद्वार में हुई और वहां एक विशेष वर्ग, ख़ास तौर से अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों का, मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम करने की बात कही गई, उस पर सरकार की तरफ से आज तक कोई टिप्पणी नहीं आई। मैं इस सदन का सदस्य होने के नाते यह गुज़ारिश करूंगा कि प्रधान मंत्री जी जब यहाँ आएं, तो इस बारे में ज़रूर जवाब दें।