K R Gouri उर्फ गौरियम्मा : केरल को आधुनिक बनाने वाली वह महिला जिसकी सादगी ने लोगों का दिल जीता

उर्मिलेश

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केरल की सबसे बुजुर्ग कम्युनिस्ट नेत्री  K R Gouri उर्फ गौरियम्मा का आज निधन हो गया। वह 102 वर्ष की थीं। उन्होंने सिर्फ लंबी उम्र ही नहीं पाई, बहुत शानदार काम भी किये। वह केरल की उस पहली निर्वाचित वामपंथी सरकार में राजस्व और भूमि सुधार मंत्री थीं, जिसने केरल के महान् भूमि सुधार कार्यक्रम का फैसला किया था। ईएमएस नंबूदिरिपाद सरकार को सन् 1959 में भूमि सुधार और शिक्षा सुधार विधेयकों के कारण ही तत्कालीन केंद्र सरकार ने गैर-संवैधानिक तरीके से बर्खास्त किया था। सन् 1967 में वामपंथियो की फिर सत्ता में वापसी हुई तो भूमि सुधार कार्यक्रमों को तेजी से आगे बढ़ाया गया। गौरियम्मा तब भी मंत्री थीं।

क्रांतिकारी भूमि सुधार को अमलीजामा पहनाने में EMS के साथ गौरियम्मा की उल्लेखनीय भूमिका रही। वर्षो वह मंत्री रहीं और कई मुख्यमंत्रियो के साथ काम किया। पर पार्टी ने E K Naynar के पहले कार्यकाल के बाद उन्हें  मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो वह नाराज़ रहने लगीं। नयनार को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया। मजे की बात है कि उस चुनाव में गौरियम्मा को ही CM पद का संभावित प्रत्याशी माना जा रहा था। पर उन्हें सिर्फ मंत्री पद पाकर संतोष करना पडा। तबसे ही वह पार्टी नेतृत्व से ज्यादा दुखी रहने लगीं। कुछ समय बाद पार्टी में अलग-थलग होकर वह विद्रोही बन गयीं और अंततः सन् 1994 में उन्हें पार्टी से निकाला गया।

वर्षों पहले गौरियम्मा का एक भाषण मैने तिरुवनंतपुरम में सुना था। तब वह अलग गुट बनाकर चुनाव लड़ रही थीं और उनके गुट से और भी कई प्रत्याशी मैदान मे थे। ‘हिन्दुस्तान’ अखबार की तरफ से मैं उस चुनाव को ‘कवर’ करने केरल भेजा गया था। उनकी एक सभा की सूचना पाकर मैं सभास्थल पहुंचा तो गौरियम्मा का भाषण चल रहा था। मलयालम में उनकी वह स्पीच तो मुझे नहीं समझ में आई लेकिन सभा में मौजूद लोगों में उनकी प्रतिष्ठा साफ़ नजर आ रही थी। सादगी और सहजता गजब की थी। केरल के पिछड़े  इड्वा परिवार में पैदा हुईं गौरियम्मा ने अपना राजनीतिक जीवन स्वाधीनता आंदोलन से शुरू किया। जल्दी ही वह कम्युनिस्ट बन गयीं।

कुछ समय के लिए उन्होंने अलग गुट भले बनाया पर वह आजीवन वामपंथी रहीं। बीच-बीच में वह कुछ माकपा नेताओं को लेकर ऊट-पटांग भी बोल देतीं। एक समय उन्होंने अपने नवगठित गुट को यूडीएफ का हिस्सा बना लिया। लेकिन बाद के दिनों में उस गुट को भंग कर दिया और फिर केरल की वामपंथी राजनीति की मुख्यधारा के नजदीक आ गयीं। निस्संदेह, केरल का आधुनिक राजनीतिक इतिहास गौरियम्मा को एक अद्वितीय महिला नेता और जुझारू वामपंथी योद्धा के रूप में याद करेगा। उन्हें हमारा सलाम और श्रद्धांजलि।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)