उ.प्र.राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति की तेज़ होती सियासत से अब आलाधिकारी भी आजिज़ आ गये हैं। एक गुट प्रयास कर रहा है कि विधानसभा के प्रेस रूम, एनेक्सी मीडिया सेंटर अथवा लोकभवन में चुनाव कराने की प्रक्रिया की अनुमति दी जाए। जीबीएम हो और उसमें चुनाव की तारीख़े तय हों। बताया जा रहा है कि दूसरा गुट अंदर खाने से अधिकारियों पर दबाव बना रहा है कि कोरोना काल में उ.प्र.संवाददाता समिति के चुनाव के लिए अनुमति ना दी जाए।
दूसरे गुट का कहना है कि फिलहाल अभी चुनाव का कोई औचित्य नहीं है। तर्क है कि चुनावी प्रक्रिया में जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) में तकरीबन एक हजार पत्रकारों का जमावड़ा लग सकता है। पत्रकार चुनावी सभाओं में भीड़ इकट्ठा करने का प्रयास करेंगे। फिर चुनाव में भीड़ लगेगी। इन खतरों और आशंकाओं के मद्देनजर जब तक कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता तब तक चुनाव की जरुरत ही नहीं है।
गौरतलब है कि समिति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कोरोना काल शुरू हो गया इसलिए चुनाव टल गया था। और अब पत्रकारों का एक गुट कहने लगा है कि कोरोना की एहतियात के साथ फिर से जिन्दगी ने रफ्तार पकड़ ली है। सारे ज़रूरी काम हो रहे हैं। करोड़ों की सहभागिता वाले विधानसभा से लेकर उपचुनाव और नगर निकायों के चुनाव हो रहे हैं। तो फिर संवाददाता समिति का चुनाव क्यों नहीं हो?
खबर है कि चुनाव कराने की जद्दोजहद कर रहे पत्रकारों को तब आघात लगा जब एक आलाधिकारी ने सरकारी प्रेमसज़ पर चुनावी प्रक्रिया की इजाजत नहीं दी। इसके बाद राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों की सियासत और भी गरमा गई है। तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं- कोरोना का खतरा बना है और किसी बैठक के लिए स्वास्थ्य विभाग की इजाजत और अन्य जटिलताओं से गुजरना ज़रुरी है। ये सख्तियां स्वीकार हैं। क्योंकि ये सब जनहित और स्वास्थ्य हित मे हैं। किंतु इन जटिल अनुमतियों के बिना तमाम पत्रकार संगठनों को आंख बंद करके बेहद अहम सरकारी हॉल दिये जा रहे हैं, जहां भीड़ इकट्ठा होती है और सम्मान-सम्मान के तमाम खेले, खेले जाते हैं।
इसी तरह बेहद अहम सरकारी स्थानों में भीड़-भाड़ वाली केक पार्टियों की तस्वीरें आये-दिन सोशल मीडिया पर नजर आती हैं। क्या कोरोना केक से डर कर भाग जाता है। या फिर सम्मान-सम्मान खेलों और केक पार्टियों में इकट्ठा भीड़ सेनेटाइजर से नहाकर और पीपी किट पहन कर आती है! पत्रकारों के सियासी कोहराम में उठ रहे ऐसे तल्ख और व्यंगात्मक सवालों के दरम्यान बीच का रास्ता निकालने का सुझाव भी आ रहा है। कहा जा रहा है कि कोरोना की अहतियात के मद्देनजर ऑनलाइन जनरल बॉडी मीटिंग हो। और इसी तरह उ.प्र.राज्य मुख्यालय के चुनाव की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो।