कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के जन्मदिन पर ट्विटर पर बधाई के साथ-साथ ‘बार डान्सर डे’ हैश्टैग भी चल रहा है। बार डान्सर होना कोई बेइज़्ज़ती की बात नहीं है क्योंकि इस देश में क़ानून बार डांसरों के हक़ और रोज़ी का भी ध्यान रखता है। लेकिन ये हैश्टैग बेइज़्ज़ती करने के लिए ही चलाया गया है और वो भी किसी के जन्मदिन पर तो तथ्य बताना चाहिए। ये किसी नेता के बारे में नहीं है, ये एक महिला और उसकी गरिमा के बारे में है।
सोनिया गांधी का जन्म हुआ तो उनके गाँव लुसियाना में लड़की के जन्म पर परंपरा अनुसार पड़ोसियों ने अपने दरवाज़ों और खिड़कियों पर गुलाबी रिबन बांधे। पादरी ने उनका नाम एडविग एंटोनीयो अल्बीना माइनो रखा लेकिन उनके पिता स्टीफेनो उनको सोनिया ही बुलाते थे।
स्टीफेनो कभी-कभी पीर लुइगी के बार जाया करते थे और छोटी बच्ची सोनिया भी आइसक्रीम के लिए उनके साथ बार जाया करती थी। छोटी बच्ची बार में नाचने नहीं जाती थी। सोनिया गांधी की माँ पाओला के पिता यानी सोनिया के नाना गाँव में अपने दादा का बार चलाते थे।
इटली का कल्चर, यूरोप का कल्चर भारत से अलग है। लेकिन भारत में भी लाखों लोग बार चलाते हैं और उनकी बेटियाँ वहाँ डांस नहीं करती। बहुत से अमीर घरानों के लड़के-लड़कियाँ मेट्रो शहरों के बार में जाते भी हैं और अपनी मर्ज़ी से नाचते भी हैं। भारत में शादियों में शराब पिलायी जाती है और आदमी वहाँ नाचते भी हैं और कई बार ओछापन भी करते हैं।
सोनिया के पिता इतने रूढ़िवादी थे कि उन्हें दूर पढ़ने भेजना भी नहीं चाहते थे लेकिन जब माने तो केम्ब्रिज भेजा। सोनिया गांधी अच्छी यूनिवर्सिटी में अच्छे नम्बरों से पास आउट हैं और उन्हें किसी बार में पैसा कमाने के लिए नाचने की ज़रूरत नहीं थी। हम किसी के बारे में जो भी बोलते हैं, वो हमारे चरित्र के बारे में बताता है न कि जिसके बारे में बोल रहे हैं।
(लेखिका बीबीसी की पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)