पुलिस आयुक्त के बर्ताव से आहत पत्रकार खटखटाएगा हाई कोर्ट का दरवाजा

नई दिल्ली/लखनऊ: गाजियाबाद विधान सभा के होने वाले उपचुनाव में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस द्वारा असमाजिक तत्वों व जिनसे शांति भंग का खतरा नजर आता है उन्हें मुचलकों में पाबंद किया जाता है लेकिन विजयनगर थाना कमिश्नरेट की जल निगम चौकी सिद्धार्थ विहार क्षेत्र की कांशीराम कालोनी में रहने वाले दिव्यांग व साप्ताहिक समाचार पत्र प्रगतिशील समाजवाद (PS News) के सम्पादक अनीस अंसारी को ही शांतिभंग की संभावना में पाबंद कर दिया और एक नोटिस भेज दिया नोटिस में एक ऐसे व्यक्ति का भी नाम डाल दिया है जिसका जुलाई 2024 में निधन हो चुका है। इससे साबित होता है कि पुलिस किस पारदर्शिता से काम करती है। इसी मामले में पत्रकार अनीस अंसारी को चौकी जल निगम सिद्धार्थ विहार द्वारा कॉल करके जानकारी दी गई कि आपको 5 नवंबर 2024 को पुलिस उपायुक्त नंदग्राम कमिश्नरेट गाजियाबाद में हाजिर होना है आपका नोटिस है और नोटिस को पत्रकार के व्हाट्सएप पर भी भेज दिया गया । नोटिस में पत्रकार अनीस अंसारी के नाम के अलावा, नाथू पुत्र रघुवर,विनय सिंह पुत्र कृष्णकांत सिंह, मुकेश पुत्र टीकम सिंह व शमशाद पुत्र मुर्तजा अली निवासीगण कांशीराम कॉलोनी प्रताप विहार गाजियाबाद के नाम अंकित थे। नोटिस में लिखा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में शांति भंग किए जाने की पुलिस को उक्त लोगों से प्रबल संभावना है। सवाल उठता है कि अनीस अंसारी साप्ताहिक समाचार पत्र का संपादक है। एक सामाजिक संस्था का अध्यक्ष भी है जोकि 60% विकलांग है जबकि मुकेश की मृत्यु जुलाई 2024 में ही हो चुकी है बाकी जो अन्य तीन लोग हैं वह भी गरीब और कानून में आस्था रखने वाले शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं जिनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। फिर पुलिस को इन सबसे जनपद में शांति भंग का कैसा खतरा हो सकता है?

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आगे अनीस अंसारी का कहना है कि इसी सिलसिले में उन्होंने पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश पुलिस को ट्वीट भी किया और जनसुनवाई ऐप पर ऑनलाइन शिकायत भी की जो 3 नवंबर 2024 से सहायक पुलिस उपायुक्त के यहां विचाराधीन है जिस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। इस पूरे मामले की जानकारी के लिए जब दिव्यांग पत्रकार अनीस अंसारी ने पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद को उनके CUG मोबाइल नंबर 964322900 पर अपने मोबाइल नंबर 901324 9665 से 2 नवंबर 2024 को समय 4:18 शाम को फोन किया तो पुलिस कमिश्नर द्वारा समस्या सुनना तो दूर उन्होंने फिर कभी कॉल नहीं करने की हिदायत देते हुए फोन काट दिया। दिव्यांग पत्रकार अनीस अंसारी ने कहा पुलिस कमिश्नर का गरिमामयी पद और उनके बात करने की भाषा शैली बेहद निराशाजनक थी।

दिव्यांग पत्रकार अनीस अंसारी और गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर के CUG no. पर हुई कथित वार्ता का विवरण:

 

CP CUG No. हेलो

पत्रकार: पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद

CP CUG No. बोल रहा हूं।

पत्रकार : पत्रकार अनीस अंसारी बोल रहा हूं गाजियाबाद से।

CP CUG No. कौन से पत्रकार कौन से चैनल से पत्रकार बोल रहे हैं।

पत्रकार : सर मेरा एक अपना अखबार निकलता है साप्ताहिक प्रगतिशील समाजवाद के नाम से ।

CP CUG No. पढ़ते भी आप ही होंगे

पत्रकार: जी

CP CUG No. पढ़ते भी आप ही होंगे

पत्रकार: नहीं सर सभी लोग पढ़ते हैं।

CP CUG No. मैंने तो आज तक अखबार का नाम ही नहीं सुना

पत्रकार : आपने नहीं सुना होगा वह बात एक अलग है ।

CP CUG No. कौन से स्टॉल पर बिकता है।

पत्रकार : जी

CP CUG No. कौन सी स्टॉल पर बिकता है।

पत्रकार: फ्री ऑफ कॉस्ट बंटवाते हैं गाजियाबाद कलेक्ट्रेट, जीडीए अन्य सरकारी विभागों में।

CP CUG No. फ्री ऑफ कॉस्ट वही जो सब ब्लैकमेलर अखबार होते हैं। वही बांटते हैं। बाकी आज तक तो फ्री अखबार तो कोई नहीं बांटता है की अखबार छाप कर फ्री ऑफ कॉस्ट बटबाता हो ।

पत्रकार: हमारी 200 कॉपी फ्री ऑफ कॉस्ट बंटती है।

CP CUG No. दोबारा फोन मत करना। कहकर पत्रकार की समस्या को सुने बिना फोन काट दिया।

 

आगे दिव्यांग अनीस अंसारी कहते हैं कि पुलिस कमिश्नर की भाषा शैली से साबित होता है कि वह कुछ चंद चाटुकार मीडिया कर्मियों के चुंगल में इस कदर फंस चुके है कि उन्हें लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के अन्य मीडिया कर्मी ब्लैकमेलर,अपराधी दुश्मन नजर आ रहे हैं। एक गरिमामयी पद पर आसीन अधिकारी के वर्ताव से आहत दिव्यांग पत्रकार ने न सिर्फ प्रेस क्लब के जरिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत करने की बात की है बल्कि हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का भी मन बनाया है। पत्रकार अनीस अंसारी का कहना है कि पुलिस ने उनसे पर्सनल बांड भरवा लिया है। लगातार पत्रकारों को निशाना बनाकर पुलिस उत्पीड़न कर रही है जो लोकतंत्र के लिए चिंता की बात है।

 

कुछ ही दिन पहले एक अन्य पत्रकार/संपादक इमरान खान को गाजियाबाद पुलिस ने जेल भेजने का काम किया था जबकि उस FIR में गाजियाबाद से सांसद प्रत्याशी डॉली शर्मा भी नामजद थी लेकिन पुलिस ने उन्हें राहत दे दी और संपादक इमरान खान को डॉली शर्मा का बयान अपने अखबार में छापने के चलते जेल भेज दिया गया जिस प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी पुलिस की इस कार्यवाही को निंदनीय बताया था ।