नई दिल्ली: भारत में मुसलमानों का सबसे पुराना और सक्रिय संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद कानपुर में हो रही एकतरफा गिरफ्तारियों, पुलिस की बर्बर कार्रवाईयों और इमारतों को गिराने की घोषणा के विरुद्ध पूरी सतर्कता के साथ कार्य कर रहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने मंगलवार को शहर का दौरा कर के प्रशासन से मुलाकात की।
पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीणा और डीएम से अलग-अलग मुलाकात में मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के इस घटना की निंदा करने के साथ एकतरफा गिरफ्तारियों पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की। मौलाना ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कानपुर में हुए दंगों के बाद हो रही एकतरफा कार्रवाई से पूरे समुदाय में काफी बेचैनी पाई जा रही है। हमारी मांग है कि उचित और निष्पक्ष जांच कराई जाए। इसके साथ ही निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी और घर तोड़ने की अफवाहों पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए।
मौलाना ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम किसी उपद्रवी या घटना में शामिल होकर पथराव करने वालों का समर्थन या प्रशंसा नहीं करते हैं, लेकिन अब जब सब कुछ हो गया है और शहर में स्थिति काफी हद तक सामान्य हो रही है, ऐसे में जो लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और उनका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उनके साथ एक घोषित अपराधी की तरह व्यवहार न किया जाए।
उन्होंने कहा कि यही युवा कल हमारे शहर और देश के निर्माता और नाम रोशन करने का माध्यम बन सकते हैं। मौलाना ने कहा कि पूरी दुनिया ने देखा कि दोनों तरफ से पथराव हुआ, घरों की छतों से पथराव किया गया और बम तक फेंकने की बात कही गई, लेकिन इसके बावजूद दूसरे पक्ष से अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है जो कि दुखद पहलू है।
मौलाना ने पुलिस आयुक्त और डीएम से कहा कि बुलडोजर कार्रवाई से नागरिकों में काफी चिंता पैदा हो रही है। सरकार का दयित्व अपने नागरिकों को बसाने का है न कि उजाड़ने का। उनको यहीं रहना, जीना और मरना है। सरकार को अपने ही नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए। मौलाना ने कड़े शब्दों में बुलडोजर कार्रवाई से परहेज करने की मांग की।
इसके साथ ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव ने कहा कि इस तरह की घटनाओं के कारण देश में रहने वाले लोगों के विभिन्न वर्गों के बीच उत्पन्न होने वाले दूरी और खाई को पाटने के लिए थानों के स्तर पर सभी वर्गों के जिम्मेदारों को एकत्र करके सद्भावना मंच का आयोजन किया जाए ताकि गलतफहमियों और फासलों को दूर किया जा सके।
जमीयत उलेमा के प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्ला कासमी ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि मुसलमानों का अपने आखिरी पैगंबर के प्रति कितना भावनात्मक और दीवानगी की हद तक लगाव है। वह सब कुछ सहने के लिए तैयार हैं लेकिन पैगंबर के अपमान के मामले में मुसलमान अत्यंत भावुक और संवेदनशील हो जाते हैं। उसके बावजूद सत्तापक्ष की प्रवक्ता यह गंभीर अपराध करती हैं और एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं की जाती। मौलाना ने कहा कि जमीयत उलेमा किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करती लेकिन इस पूरे मामले में असली जिम्मेदार वह लोग हैं जो इसका कारण बने।
साथ ही मौलाना ने कहा कि लोगों को भी यह समझना चाहिए कि देश के संविधान ने हमें अपनी बात कहने और मांगे मनवाने के लिए विरोध-प्रदर्शन करने का अधिकार दिया है, तो संविधान और कानून के दायरे में रहते हुए इस अधिकार का प्रयोग करना चाहिए। मौलाना ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस पूरे मामले को लेकर गंभीर है और वकीलों एवं अन्य बुद्धिजीवियों की सलाह से इसे सुलझाने की कोशिश कर रही है।
आयुक्त और डीएम ने इन बातों को ध्यानपूर्वक सुना और कई सवालों के जवाब दिए। एकतरफा गिरफ्तारियों के सम्बंध में वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके लेकिन निर्दोषों की गिरफ्तारी पर पुलिस आयुक्त ने कहा कि अगर आपको लगता है कि कोई निर्दोष गिरफ्तार हो गया है तो आप अपनी जांच के बाद हमें सीधे बताएं, हम तत्काल कार्रवाई कर के उसकी रिहाई की व्यवस्था करेंगे।
ज्ञात रहे कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने मंगलवार सुबह प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर के ध्यानपूर्वक समीक्षा की और शहरी जमीयत के पदाधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली। दिनभर की विभिन्न मुलाकातों के बाद वह देर रात दिल्ली के लिए रवाना हुए जहां वह पूरी स्थिति से जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी को अवगत कराएंगे। इस अवसर पर शहरी जमीयत के अध्यक्ष डॉ. हलीमुल्ला खान, कोषाध्यक्ष मौलाना अनीस रहमान कासमी, सचिव कारी अब्दुल मोईद चौधरी, मौलाना अंसार अहमद जामई, मुफ्ती इजहार मुकर्रम कासमी, कार्यालय सचिव मुहम्मद साद और जमीयत यूथ क्लब के मौलाना अब्दुल हादी दिनभर उपस्थित रहे।