जमीयत उलमा-ए-हिंद की सुप्रीम कोर्ट से अपील, ‘क़ुरान की आयतों पर प्रतिबंध संबधी याचिका खारिज़ करे कोर्ट’

नई दिल्लीः जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी और महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि इस उद्देश्य से प्रार्थनापत्र अदालत में दाखिल करना कि कुरआन की आयतों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए, यह स्थाई फितना (उपद्रव) और स्वयं में जनहित के लिए अत्यधिक हानिकारक है जिससे देश की सुख शांति और व्यवस्था को भयंकर ख़तरा पैदा होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को स्वयं अपने पिछले फैसलों के प्रकाश में पवित्र कुरआन के संबंध में किसी तरह का फैसला करने का कोई अधिकार नहीं है। देश के संविधान ने सभी धर्मों की मान्यताओं और दरष्टिकोणों के सम्मान और हर एक को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है। पवित्र कुरआन, मुसलमानों के लिए मार्गदर्शक और श्रद्धा की सर्वश्रेष्ठ प्रथम किताब है। और पूरा इस्लाम धर्म इस पर स्थापित है। इसके बिना इस्लाम धर्म की कोई कल्पना नहीं है। इसलिए हम प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना करते हैं कि वह इस अर्ज़ी को पहली सुनवाई में ख़ारिज (निरस्त) कर दे और इस फितने का समाधान करे।

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जमीयत उलमा ए हिंद की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि हम सारे देश की सहयोगी संस्थाओं से अपील करते हैं कि कुरान पाक की सर्वश्रेष्ठता, महानता के दृष्टिगत अदालतों में इसे चर्चा का विषय बनाने का कोई स्वरूप न अपनाएं और अपने इस दृष्टिकोण पर दृढ़ता से स्थापित रहें कि किसी भी न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट सहित और भारतीय संविधान के अधिकार क्षेत्र से कुरान पाक और तमाम धार्मिक पवित्र किताबें बाहर हैं और भारतीय संविधान ने जो धर्म के संबंध में अदालतों के अधिकार क्षेत्र की सीमा निर्धारित की है वह इससे बिल्कुल भी हट नहीं सकते। हमें अपनी तरफ से ऐसा कोई मार्ग नहीं चुनना चाहिए जिससे अदालतों के लिए गुंजाइश निकलती हो कि वह इन मामलात में जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं हस्तक्षेप कर सकें।

जमीयत उलमा ए हिंद सभी धर्मों के प्रमुखों का ध्यान आकर्षित करती है कि इसे सिर्फ़ पवित्र कुरआन मजीद पर हमला न समझा जाए बल्कि इस तरह से तमाम धर्मों के पवित्र किताबों पर हमले का मार्ग प्रशस्त होता है। इसलिए आवश्यक है कि सभी धर्म वाले बिना किसी भेदभाव के, धर्म विरोधी तत्वों के विरुद्ध एकजुट हों और उनके इन इरादों (कुकर्मों ) को असफल बनाएं।