किसान आंदोलन को जमीयत उलेमा-ए-हिंद का समर्थन, सिंधु बॉर्डर  के लिए रवाना हुए जमीयत के कार्यकर्ता

नई दिल्लीः जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जारी किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुटता व्यक्त की है और इसके लिए अपना समर्थन देने की घोषणा की है।  जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी की हिदायत पर आज एक प्रतिनिधिमंड दिल्ली का बुरारी मैदान पहुंचा और वहां किसान लीडरों से मुलाकात की और किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त की और उनके साथ नारे लगाए। वहां मौजूद किसानों ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के समर्थन का स्वागत किया और ‘वाहे गुरु’ का नारा बुलंद किया। प्रतिनिधिमंडल उसके बाद  सिंधु बॉर्डर  के लिए रवाना हुआ।

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यह स्पष्ट रहे  कि केंद्र सरकार ने किसानों के कथित हितों के नाम पर तीन नए कानून बनाए हैं, जिनसे किसान संतुष्ट नहीं हैं और वे इसे गंभीर रूप से हानिकारक बताते हैं।  उन्होंने मांग की है कि  सरकार इन  कानूनों को निरस्त करे  और किसानों की आवश्यक मांगों को पूरी करे । पंजाब और हरियाणा के किसान विशेष रूप से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन अधिकांश लोगों को सीमा पर रोका जा रहा है,  दिल्ली और उसके आसपास बढ़ती ठंड के बावजूद, किसान अपना हौसला  नहीं खो रहे हैं।

प्रतिनिधिमंडल में भाग लेने वाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना हकीमुद्दि  कासमी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद किसान भाइयों के साथ हर तरह से खड़ी  है.जमीअत के प्रतिनिधिमंडल में मौलाना हकीमुद्दीन  कासमी, सचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, मौलाना दाउद अमिनी, उपाध्यक्ष, जमीयत उलेमा-ए-दिल्ली, मौलाना गय्यूर  अहमद कासमी, मौलाना कारी अब्दुल सामी, उपाध्यक्ष, जमीयत उलेमा-ए-दिल्ली, हाफिज अरमान, कारी  इरशाद, मौला मुबाशिर बवाना,  और अन्य शामिल थे । जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने  आंदोलन के क्षेत्रों में अपनी इकाइयों से अपील की है कि वे किसानों के आंदोलन के साथ हर संभव तरीके से सामंजस्य और एकता दिखाएं।