नई दिल्लीः जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की ओर से मस्जिदों के नाम संदेश जारी किया गया है। इस संदेश में कहा गया है कि वर्तमान समय में मस्जिदों की सुरक्षा के लिए अत्यधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है। जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से जारी इस संदेश में कहा गया है कि मस्जिदें मुसलमानों के लिए धर्म और दीन का बड़ा प्रमुख केंद्र हैं, प्रतीक और स्थान रखती हैं। यह अल्लाह का घर और उसकी इबादत और ज़िक्र का प्रमुख स्थान हैं। जब व्यक्ति किसी ज़मीन (भूमि) को मस्जिद के लिए वक्फ करता है तो भूमि का वह भाग प्रत्यक्ष (सीधे) रूप से अल्लाह के हवाले कर देता है। इसके बाद वह स्थान (भूमि) मुसलमानों के लिए अत्यधिक पवित्र एवं सम्माननीय हो जाती है। अब इनके(मस्जिदों के) सम्मान और चरित्र एवं अस्तित्व की सुरक्षा मुसलमानों के लिए संवैधानिक, दीनी तथा ईमानी कर्तव्य है।
संदेश में कहा गया है कि वर्तमान समय में मस्जिदों की सुरक्षा के लिए अत्यधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है। वर्तमान में देश में ऐसी बहुत सारी घटनाएं सामने आई हैं कि जिनमें सांप्रदायिक विचारधारा के समर्थक अधिकारियों ने मस्जिदों को गैरकानूनी ( अवैध) बताकर ध्वस्त कर दिया या उसे हानि (नुकसान) पहुंचाने का प्रयास किया। इसमें हमारी कमजोरियां व त्रुटियां भी कारण हैं। इसलिए आवश्यक है कि वर्तमान परिस्थितियों में मस्जिदों के प्रमुख, कर्ता-धर्ता, बुद्धिमानी का प्रमाण दें और निम्नलिखित तथ्यों, कार्यों पर तुरंत ध्यान आकर्षित करें ताकि मस्जिदों के संपूर्ण चरित्र- सम्मान की सुरक्षा की जा सके।
मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता वाली जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से जारी इस पत्र में मस्जिद के ज़िम्मेदारों को कई मश्विरे दिए गए हैं। जमीअत ने मश्विरा देते हुए कहा है कि मस्जिदों की भूमि को मस्जिद के नाम से वक़्फ किया जाए। मस्जिदों के निर्माण से पहले उसका नक्शा सरकार के निर्माण विभाग से स्वीकृत कराया जाए। अगर मस्जिद के निर्माण का नक्शा पास हुआ है तो उसे अपने पास सुरक्षित रखें और अगर कोई नक्शा नहीं है तो कदीमी (पुरानी) मस्जिद के कागजात इकट्ठा किए जाएं। मस्जिद कमेटी अपने चुनाव – चयन के कागजात ठीक करें। मस्जिद के खर्च का वार्षिक ऑडिट कराया जाए।
साथ ही इस पत्र में कहा गया है कि मस्जिद की संपत्ति का वक्फ बोर्ड में रजिस्ट्रेशन कराया जाए। रजिस्ट्रेशन कराते समय कागजात इत्यादि ठीक करके जमा करें। इस बात का ध्यान रखा जाए कि किसी तरह की स्पेलिंग (मस्जिद और वक्फ कर्ता के नाम) आदि की गलती न हो। याद रखें कि मस्जिद की भूमि एक बार वक्फ कर दी गई तो अब उसकी स्थिति बदलने, उसका कोई विकल्प लेने का मस्जिद समिति सहित किसी को कोई अधिकार नहीं है इसलिए सरकार, रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी और लैंड ग्रैब्स से इस तरह का कोई प्रकरण (मामला) न करें। अगर फिर भी कोई अपरिहार्य परिस्थिति उत्पन्न हो जाए तो अपने क्षेत्र के विश्वसनीय उलमा और मुफ़्ती हज़रात से संपर्क करें।