नई दिल्लीः जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मदनी के हाथों 2019 में कर्नाटक में मैसूर से सटे ज़िला गोडागो आए विनाशकारी बाढ़ में बेघर हुए 30 लोगों में से 16 लोगों को मकानों की चाभियां दी गईं। जमीअत ने बिना किसी के भेदभाव के मकान बनाकर दिए हैं, जिन लोगों को जमीअत उलमा-ए-हिंद द्वारा मकान दिये गये हैं, उनमें ग़ैर मुस्लिम भी शामिल हैं। इस दौरान मौलाना मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद पिछले सौ वर्षों से भारत में प्रेम बांटने का काम कर रही है, वो अपना सहायता एवं कल्याणकारी काम भी धर्म से ऊपर उठ कर मानवता के आधार पर करती है, इसका जीवंत प्रमाण यह है कि आज जिन बेसहारा लोगों को कर्नाटक के मुसलमानों की सहायता से मकानों की चाभियां दी गई हैं, उनमें ग़ैर मुस्लिम भी शामिल हैं।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कुछ लोग सत्ता के लिए नफ़रत की राजनीति कर रहे हैं, इसके लिए हमें आम लोगों को जागरुक करना होगा, हमारा प्रयास होना चाहिये कि इस देश में सदियों से हिंदूओं और मुसलमानों के बीच जो एकता स्थापित है उसे टूटने न दें, मुसलमान हिंदूओं की ख़ुशी और दुख में शामिल हों, हिंदू भाई मुसलमानों की ख़ुशी और दुख में शामिल हों, इससे ही समाज में सहिष्णुता और आपसी एकता को बढ़ावा दिया जा सकता है। मौलाना मदनी ने कहा कि हम निराश नहीं हैं और हम समझते हैं कि एक दिन ऐसा आएगा कि जब लोग जागरुक हो जाएंगे। नफ़रत हारेगी और मुहब्बत जीतेगी।
जानकारी के लिये बता दें कि सदापुर का क्षेत्र केरल की सीमा पर स्थित है, केरल में जब बाढ़ आयई थी तो कर्नाटक के इन क्षेत्रों में भी विनाशकारी बाढ़ आई थी, केरल में बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास का काम दो वर्ष पहले ही पूरा हो गया था लेकिन सदापुर में भूमि की प्राप्ति में कुछ कठिनाई थी इसलिये पुनर्वास कार्यों में विलम्ब हुआ, इस बीच कोरोना की आपदा आगई, इससे निमार्ण कार्य प्रभावित हुआ लेकिन जमीअत उलमा कर्नाटक के ज़िम्मेदारों के निरंतर प्रयासों और यहां के मुसलमानों की सहायता के परिणमस्वरूप यह कठिन कार्य पूर्ण हो गया, यह मकान 400 फिट वर्ग पर आधारित है और उनके निर्माण पर प्रति मकान तीन लाख रुपये (भूमि के अतिरिक्त) की लागत आई है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावितों के पुनर्वास अभियान में जमीअत उलमा ने 33 बेघर हुए परिवारों के पुनर्वास की योजना को अंतिम रूप देदी है, इनमें 18 ग़ैर मुस्लिम परिवार हैं, यहां एक मकान के निर्माण पर लागत का अनुमान लगभग चार लाख रुपये है। बाढ़ प्रभावितों के इस पुनर्वास अभियान में कर्नाटक के मुसलमानों के साथ-साथ मुस्लिम सोसाइटी सदापुर ने विशेष रूप से हर प्रकार की सहायता प्रदान की। मौलाना अरशद मदनी ने अपने भाषण में निजी रूप से उन सभी लोगों को न केवल धन्यवाद दिया बल्कि उन्हें अपनी दुआएं भी दीं।