नई दिल्लीः रोहिणी सेक्टर 25 पॉकेट-2 में स्थित दरगाह मदद अली शाह अक्सर साम्प्रदायिक तत्वों के निशाने पर रहती है. कुछ दिन पहले इसे एक सांप्रदायिक गुट ने तोड़ने की धमकी दी थी, और वहां धार्मिक नारे और धार्मिक बैनर चिपकाए गए थे. इस संबंध में जमीयत उलेमा के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजीव रंजन सिंह से उनके कार्यालय में मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने जमीअत उलमा-ए-हिंद का एक पत्र भी सौंपा और दरगाह रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि चरमपंथी तत्व लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर रहे हैं जिसमें दरगाहों को तोड़ने का एक अभियान चलाया जा रहा है। ये अराजकता फैलाने के उद्देश्य से किया जारहा है। जमीअत उलमा-ए-हिंद हमेशा कानून-व्यवस्था बनाए रखने और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, ऐसी स्थितियों पर वह कभी चुप नहीं रह सकती । जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ऐसी घटनाओं को लेकर बेहद चिंतित हैं और किसी भी हाल में ऐसे तत्वों की गतिविधियों पर लगाम चाहते हैं.
इससे पहले जमीअत उलमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने दरगाह के अधिकारियों से मुलाकात की। स्थानीय लोगों ने बताया कि 3 अगस्त 2021 की शाम को 60-70 लोगों का एक समूह दरगाह मदद अली शाह आया था। समूह ने दरगाह परिसर के पास कुछ हिंदू अनुष्ठान किए और फिर “जय श्री राम” जैसे धार्मिक नारे लगाए। कुछ मिनट बाद, उन्होंने दरगाह के अधिकारियों को एक अल्टीमेटम दिया कि अगर वे दस दिनों के भीतर जगह नहीं छोड़ते हैं, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। वे दस दिनों के बाद आएंगे और दरगाह में मूर्तियां रखेंगे। यह लोग “द हिंदू संगठन” के बैनर तले आये थे । धमकी से प्रभावित होकर दरगाह के अधिकारियों ने पुलिस से संपर्क किया और कार्रवाई की मांग की। स्थानीय पुलिस ने आकर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। पुलिस ने सांप्रदायिक तत्वों के कुछ सदस्यों को हिरासत में लिया और बाद में उन्हें छोड़ दिया। इलाके के मुसलमान स्थानीय पुलिस की कार्रवाई से नाखुश हैं.
डीसीपी राजीव रंजन सिंह ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उन्हें मामले की जानकारी है और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उस जगह का दौरा किया था। उन्होंने आश्वासन दिया कि चिंता की कोई बात नहीं है, स्थिति शांत और नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि एहतियाती कदम उठाए गए हैं और इस संबंध में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। डीसीपी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि सांप्रदायिक तत्व वापस नहीं आएंगे और दरगाह को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें कड़ी पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। डीसीपी ने कहा कि उनकी बात बिल्कुल स्पष्ट है, कानून के खिलाफ किसी भी कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।जमीत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल में एडवोकेट मुहम्मद नूरुल्लाह, डॉ अजहर अली, कारी अब्दुल समी नांगलोई, अनवर हुसैन, अजीम अहमद (स्थानीय कार्यकर्ता) अकील अहमद (कार्यवाहक दरगाह) शामिल थे.