तीस्ता के बचाव में उतरी जमाअत-ए-इस्लामी हिंद, कहा ‘ऐसे लोगों की सराहना होनी चाहिए ना कि उन्हें निशाना…’

नई दिल्ली: गुजरात पुलिस द्वारा मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने प्रेस को दिए एक बयान में कहा, “ये मानवाधिकार कार्यकर्ता उत्पीड़ित लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती हैं। उनकी एनजीओ  “सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी)” ने 2002 में गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगों के पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान की  थी।

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इंजीनियर सलीम ने कहा कि उनके इन्हीं कार्यों की वजह से, बड़ी संख्या में दंगों के पीड़ितों की एक बड़ी तादाद को इन्साफ मिला और बड़े पैमाने पर नरसंहार और सामूहिक बलात्कार में शामिल कई पुलिसकर्मियों सहित आरोपियों को दंडित किया गया। सीतलवाड के एनजीओ की प्रभावी प्रगति और कड़ी मेहनत के कारण ही तत्कालीन केंद्र सरकार को बड़ी संख्या में पीड़ितों को वित्तीय मुआवजा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था और यह मुआवजा 1984 के दंगों के सिख पीड़ितों को दिए गए मुआवज़े के बराबर था।

उन्होंने कहा, “किसी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाना कि उनकी गतिविधियों से कुछ राजनेताओं और सरकार में कुछ लोगों को परेशानियां हो सकती हैं, देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरे का संकेत है।” यह मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले व्यक्तियों और समूहों को कमजोरों के साथ खड़े होने से हतोत्साहित करेगा। जबकि तथ्य यह है कि मानवाधिकार या समाज के लिए काम करने वाला कोई भी कार्यकर्ता सरकार और प्रशासन का विरोधी या दुश्मन नहीं है, बल्कि उनकी गतिविधियाँ सरकार को लोगों को न्याय दिलाने में सरकार की मदद करती हैं।

इंजीनियर सलीम ने कहा कि सरकार को सामाजिक और मानव अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए. ना कि उन्हें सियासी बदले का निशाना बनाया जाए।