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इस दिल्ली वाले ने लिखा था पाकिस्तान का क़ौमी तराना

मशहूर शायर जगन्नाथ आजाद के परिवार,दोस्तों और चाहने वालों ने उन्हें गुजरी 5 दिसंबर को बड़ी शिद्दत के साथ उनके जन्मदिन पर याद किया। जिस मोहम्मद अली जिन्ना ने धर्म के आधार पर भारत का विभाजन करवाया और फिर पाकिस्तान बना, उन्हीं जिन्ना ने जगन्नाथ आजाद से पाकिस्तान का पहला कौमी तराना लिखवाया था। जिन्ना के कहने पर जगन्नाथ आज़ाद ने बहुत कम समय में कविता लिखी ” ऐ सर ज़मीन पाक…”।

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यह तराना मात्र 18 महीनों के लिए पाकिस्तान का राष्ट्रगान बना रहा और सितंबर 1948 में जिन्ना की मौत के कुछ समय बाद हटा दिया गया। यह बात 9 अगस्त 1947 की है यानी जिन्ना के उस चर्चित भाषण से दो दिन पहले की जब उन्होंने संविधान सभा में पाकिस्तान को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाए जाने की रूपरेखा खींची थी।14 महीने रेडियो पाकिस्तान पर यही तराना तराना ऐ पाकिस्तान के रूप में गाया जाता रहा।

जिन्ना की 11 सितंबर 1948 को मृत्यु के बाद आजाद साहब दिल्ली में आ गए थे। वे पुल बंगश इलाके में रहते थे। पुल बंगश के घर में ही फ़िराक़ गोरखपुरी और उर्दू के दूसरे नामवर शायर आजाद साहब के पास आया करते थे। आजाद साहब के दो पुत्र दिल्ली में ही रहते थे! दूरदर्शन में थे! वे मालवीय नगर में रहा करते थे!

दिल्ली और जम्मू में रहे आजाद साहब

जगन्नाथ आजाद देश की आजादी से पहले लाहौर में रहा करते थे। उनकीजनधड़कन से जुड़ी शायरी को बहुत पसंद किया जाता था। हालांकि उनकी मातृभाषा पंजाबी थी पर वे उर्दू में लिखते थे। कहते हैं कि जिन्ना चाहते थे कि पाकिस्तान का कौमी तराना एक हिन्दू लिखे ताकि लोगों तक यह संदेश जाए कि पाकिस्तान एक धर्मनिरपेक्ष मुल्क बनने जा रहा है।

जगन्नाथ आजाद ने जो तराना लिखा वह इस प्रकार है-‘ऐ सरजमीं-ए-पाक जर्रे तेरे हैं आज सितारों से ताबनाक, रोशन है कहकशां से कहीं आज तेरी खाक, तुंदी-ए-हसदां पे गालिब हैं तेरा सवाक, दामन वो सिल गया है जो था मुद्दतों से चाक, ऐ सर जमींने-ए-पाक …!’ जगन्नाथ आजाद 1977 से 1980 तक जम्मू विश्वविद्यालय में उर्दू के प्रफेसर रहे। उनका 2004 में निधन हो गया था।

आजाद साहब के दो बेटे थे! उनमें से एक आदर्श आजाद अरोड़ा दिल्ली आकाशवाणी में बड़े अफसर थे! उनकी अपने पिता से कभी नहीं बनी! एक बार हमने उनसे पूछा कि वे अपने पिता के बारे में बताएं? आदर्श आजाद अरोड़ा जी ने कहा कि वे मेरे पिता नहीं थे! हम इस उत्तर को सुनकर चुप हो गए थे! आगे पूछने के लिए क्या बचा था! उनके साथ बात करने में खूब अच्छा लगता था! आजाद से हम अपने प्यारे भाई Bhaskar Ramamurthy जी के मार्फत मिले थे!

आदर्श जी का पिछले साल निधन हो गया था! आज उनका जन्मदिन है! वे दिल्ली की मियां वाली बिरादरी में ऐक्टिव थे! बड़े जिंदादिल इंसान थे! हिन्दी, उर्दू और इंग्लिश के जानकार थे! प्रेस क्लब में भी आते थे!

दिल्ली में रहा पाक का दूसरा राष्ट्रगान लिखने वाला

जगन्नाथ आजाद के लिखे कौमी तराने के स्थान पर पाकिस्तान का नया राष्ट्र गीत लिखा हाफिज जालंधरी ने। हाफिज जालंधरी भी 1947 से पहले दिल्ली कुछ समय रहे। वे विडंसर रोड पर रहा करते थे। वे आकाशवाणी में काम करते थे। दूरदर्शन के न्यूज रीडर रहे आई.पी.सिंह बावा बताते हैं कि उनके पिता ने आकाशवाणी में हाफिज जालंधरी के साथ काम भी किया था।

उनका लिखा राष्ट्रगीत कुछ इस तरह है, ‘पाक सरजमीन शादबाद, किश्वरे हसीन शादबाद, तू निशाने आजमें आलीशान, अर्जे पाकिस्तान, मरकजे यकीन शादबाद..!’ इसे पहली बार 13 अगस्त 1952 को रेडियो पाकिस्तान से प्रसारित किया गया।