इस बात में कोई दो राय नहीं है कि किसानों की मांग चाहे जितनी अनुचित हो उनका आंदोलन गलत नहीं है। उसमें हिंसा की कोशिश नाकाम रही है। 26 जनवरी को जो हुआ उसकी पोल खुल चुकी है। सब कुछ दूध पानी की तरह अलग हो चुका है। इसके बावजूद उससे निपटने का सरकार का तरीका गलत और अलोकतांत्रिक ही नहीं मनमाना भी है। सरकार सही-गलत फैसले कर सकती है। उसके विरोध से राजनीतिक और लोकतांत्रिक तरीके से लड़ भी सकती है।
लेकिन यह तथ्य है कि हमारे यहां सरकार पांच साल के लिए (ही) चुनी जाती है। देश चलाने का बाकी काम कार्यपालिका, न्यायपालिका को करना होता है। और समय पर चुनाव होते हैं, होंगे। अगर यह सरकार लोगों को पसंद नहीं है तो मुमकिन है सरकार अगला चुनाव हार जाए और राज करने का अधिकार खो दे। क्या यह सामान्य रूप से हो पाएगा? इसपर स्वतंत्र टिप्पणीकार विनोद चंद ने महत्तवपूर्ण टिप्पणी करते हुए बताया है कि 2024 चुनाव से पहले मोदी राज का अंत क्यों होना चाहिए? पर क्या यह संभव है? सोचने का समय आ गया है क्योंकि तमाम संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है। ईवीएम का विरोध करने वाले उसके समर्थक हो गए हैं।
विनोद चंद पूछते हैं, 2019 के चुनाव से पहले का समय याद है? तकरीबन सारी भविष्यवाणियां और अनुमान भाजपा की हार की थीं। कई वीडियो में बताया गया था कि मोदी सरकार हर मोर्चे पर भयंकर रूप से नाकाम रही है। सभी वायदे और घोषणाएं जुमले में बदल चुकी थीं। इसके बाद पुलवामा हुआ (या करवाया गया) और फिर बालाकोट हुआ (या हमें बताया गया कि हुआ) और इसके बाद अचानक अर्नब गोस्वामी जैसे लोग खुशी से कूदने लगे थे (यह उसके व्हाट्सऐप्प चैट में भी है)। गंभीर मुद्दा है पर गोदी मीडिया में इसपर चर्चा कितनी हुई आप जानते हैं।
अब 2024 में चुनाव होने हैं। इस बार लोगों को गुस्सा (या विरोध) और ज्यादा रहेगा। इनमें किसान समुदाय का विरोध शामिल होगा। ऐसे में इस सरकार को बचाने की रणनीतियों में एक युद्ध का विकल्प भी है। यह सरकार अभी तक जैसे काम कर रही है जो खबरें आ रही हैं (भले कम छप रही हैं) उससे यह कोई मुश्किल नहीं है। वैसे भी झगड़ा मोल लेना कोई बड़ा काम नहीं है और हम, ‘घुसकर मारूंगा’ जैसे वादे और चुप रहने से लेकर, ‘ना कोई घुसा है ….’ तक सब देख चुके हैं। ऐसे में आगे क्या हो सकता है इसका अनुमान कोई मुश्किल नहीं है जबकि नहीं होगा, मानना मुश्किल है। इसलिए चुनाव से पहले मोदी सरकार को सत्ता से अलग होना चाहिए। वरना देश ज्यादा मुसीबत में फंस सकता है।
वैसे भी, किसी पर आरोप लगता था तो उससे इस्तीफा लेने का रिवाज इसीलिए था कि वह अपने पद पर होने का दुरुपयोग नहीं कर सके। पर राजनाथ सिंह साफ कह चुके हैं कि भाजपा में इस्तीफे नहीं होते। ऐसे में 2024 का चुनाव नरेन्द्र मोदी के सत्ता में रहते न हो – यह कैसे संभव है? विनोद चंद ने लिखा है कि हर किसी को इस बारे में सोचना है। मैं इसपर कोई टूलकिट नहीं लिख रहा, हालांकि, लिख सकता हूं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)