नई दिल्लीः ग़ज़ा में संघर्ष विराम की घोषणा का जश्न मनाने के लिए मस्जिद अल अक़्सा परिसर में जश्न मना रहे हजारों फ़लस्तीनियों पर इजरायली सुरक्षा बलों ने आंसू गैस, स्टन ग्रेनेड और रबर की गोलियां चलाईं हैं। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी के साथ वायरल हो रहा है। फुटेज में दिखाया गया है कि इजरायली पुलिस ने शुक्रवार की नमाज के लिए इकट्ठा होने के तुरंत बाद फिलिस्तीनी नमाज़ियों की भीड़ पर गोलीबारी की।
मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के मुताबिक़ इजरायली पुलिस प्रवक्ता मिकी रोसेनफेल्ड ने कहा कि अधिकारियों को फिलिस्तीनियों द्वारा निशाना बनाया गया उन पर पत्थर फेंके, जिसके बाद स्थिती को नियंत्रण करने के लिये यह सब किया गया। जानकारी के लिये बता दें कि 11 दिनों के हवाई हमलों के बाद फिलिस्तीनी एन्क्लेव में शुक्रवार को इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम जारी रहा।
اللحظات الأولى لاستهداف قوات الاحتلال للمصلين في المسجد الأقصى بالرصـ.ـاص المطاطي وقنـ.ـابل الصوت pic.twitter.com/564C318Rkc
— AlQastal القسطل (@AlQastalps) May 21, 2021
इस बार हुए इस हिंसक संघर्म में इजरायल की ओर से की गई बमबारी में ग़ज़ा पट्टी में 65 बच्चों सहित कम से कम 232 फिलिस्तीनी मारे गए हैं। जबकि फ़लस्तीन की ओर से दागे रॉकेट गए में इजरायल के बहुत से लोग भूमिगत आश्रयों की ओर भाग गए, इसके बावजूद भी इस्राइल में रॉकेट से 12 लोगों की मौत हो गई।
नेतन्याहू का बालाकोट है फिलिस्तीन पर हमला
इजरायल और फ़लस्तीन के हालिया संघर्ष को वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन नेतन्याहू की राजनीतिक महत्तवकांक्षा की प्राप्ती करार देते हैं। प्रशांत बताते हैं कि इज़राइल में मार्च में हुये चुनाव में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी चुनाव हार चुकी है. 120 सदस्यों की संसद में उसे की 30 सीटे ही मिली. गठबंधन बनाने और बहुमत साबित करने के राष्ट्रपति ने नेतन्याहू को 6 मई तक का समय दिया था – जिसमे वो विफल रहे। प्रशांत टंडन कहते हैं कि इस वक़्त नेतन्याहू केयर टेकर प्रधानमंत्री हैं, बेहद अलोकप्रिय हैं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से भी घिरे हैं। सत्ता में बने रहने के लिये वो प्रधानमंत्री के जनता द्वार सीधे चुने जाने का बिल भी लाये पर वो भी बहुमत न होने की वजह से गिर गया।
वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन के मुताबिक़ नेतन्याहू के पास अब आखिरी दांव यही बचा था कि 6 मई के बाद गाज़ा पर ताबड़तोड़ हमला शुरु कर दिया जाये और वही किया भी. विपक्ष के नेता पत्रकार रह चुके यार लेपिड एक नया गठबंधन बना रहे हैं और संभव है कि उन्हे कामयाबी भी मिल जाये। पर फिलहाल तो मोदी के रास्ते पर चलते हुये नेतन्याहू सत्ता पर काबिज हैं।