हाल ही में 19 जून को मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता पुरस्कार के लिये चयनित हुए पत्रकारों की नामों की घोषणा की गई है। पुरुस्कार पाने वालों में द वायर की पूर्व पत्रकार इस्मत आरा और स्क्रॉल की ऐश्वर्या अय्यर ने जर्नलिस्ट ऑफ़ द ईयर का पुरस्कार जीता। पुरस्कारों की घोषणा अमेरिका के वाशिंगटन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल की जूरी द्वारा की गई है।
इस कार्यक्रम के दौरान प्रमुख पत्रकार एमी गुडमैन और डॉ यवोन रिडले मौजूद थे, उन्होंने भारत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाये जाने, महामारी के दौरान मुसलमानों के उत्पीड़न, और कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने वाली पत्रकारों की रिपोर्ट्स की सराहना की।
न्यूज़लॉन्ड्री की आकांक्षा कुमार ने सर्वश्रेष्ठ टेक्स्ट रिपोर्टिंग का पुरस्कार जीता, जबकि पत्रकार प्रियंका थिरुमूर्ति और शाहिद तांत्रे ने द न्यूज़ मिनट और द कारवां से अपनी वीडियो स्टोरी के लिए पुरस्कार जीता है। संगठन के बयान में कहा गया है, “द न्यू इश्यू मैगजीन यूके के सैयद शहरियार को मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता पर सर्वश्रेष्ठ फोटो स्टोरी का पुरुस्कार मिला है।”
इस्मत आरा ने एचआरआरएफ जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर जीता
इस्मत की जीत की रिपोर्टस् भारत में बढ़ते सांप्रदायिक विभाजन और मुस्लिमों की धार्मिक पहचान और लव जिहाद के नाम पर लिंचिंग पर केंद्रित हैं। इस्मत की रिपोर्ट्स उस मुस्लिम शख्स की स्टोरी भी शामिल है जिसे लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के लिए मारा गया था।
कौन हैं इस्मत आरा?
इस्मत आरा दिल्ली के जामियानगर के शाहीनबाग़ इलाक़े में रहती हैं। उन्होंने अपनी पत्रकारिता में सांप्रदायिकता, राजनीति, लिंग और शिक्षा और ग्रामीण भारत के मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने द हिंदू, न्यूज़18, फ़र्स्टपोस्ट, न्यूज़लॉन्ड्री, द क्विंट और बीबीसी जैसे प्रमुख मीडिया संस्थानों के लिये काम किया है। भारत के प्रमुख डिजिटल मीडिया संस्थान हाउसों में से एक द वायर के साथ काम कर चुकीं इस्मत आरा ने प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका और हफिंगटन पोस्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के लिए भी लिखा है।
जामिया मिलिया इस्लामिया से मास कम्यूनिकेशन में मास्टर्स करने वाली इस्मत ने भारत में नारीवाद और ऑक्सफैम इंडिया के लिए भी लेख लिखे हैं।