ईरान: महिलाओं की इज्जत और अस्मत को बचाने वाले शांति रहनुमा, इमाम खुमैनी से आयतुल्लाह खामेनाई तक

सैयद रिज़वान मुस्तफा

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

ईरान की क्रांति, जो 1979 में अयातुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में हुई थी, न केवल एक राजनीतिक आंदोलन थी, बल्कि यह सामाजिक और धार्मिक बदलाव का भी प्रतीक थी। इस क्रांति ने ईरान को एक नये दिशा में ढाला, जिसमें हिजाब कानून और नैतिकता की सुदृढ़ता ने समाज के ताने-बाने को मजबूती दी। यह कानून न केवल महिलाओं के सम्मान की रक्षा करने के लिए था, बल्कि यह समग्र समाज के लिए एक मजबूत संदेश था: हराम कारी से बचें और बच्चों को नाजायज रिश्तों से बचाएं।

 

अयातुल्लाह खुमैनी की क्रांति और हिजाब कानून

 

अयातुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी की क्रांति ने ईरान को एक नया सामाजिक और राजनीतिक रूप दिया। उन्होंने इस्लामी कानूनों की पुनर्स्थापना की और समाज को अपने धार्मिक और नैतिक मूल्यों से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ाए। खुमैनी का यह विश्वास था कि एक मजबूत और नैतिक समाज बनाने के लिए हिजाब कानून अनिवार्य था।

हिजाब केवल एक पहनावा नहीं था, बल्कि यह महिलाओं के सम्मान, उनके अधिकारों और समाज में उनकी सही स्थिति की रक्षा करने का एक महत्वपूर्ण तरीका था। खुमैनी के अनुसार, हिजाब महिलाओं को अपनी गरिमा बनाए रखने और समाज में नकारात्मक प्रभावों से बचने का एक साधन है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि समाज की नैतिकता को सशक्त करने का एक जरूरी हिस्सा था।

 

अयातुल्लाह खामेनेई का दृष्टिकोण: हिजाब और नैतिकता का संरक्षण

 

अयातुल्लाह अली खामेनेई ने खुमैनी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया और हिजाब कानून को और भी सशक्त किया। खामेनेई ने अपनी नेतृत्व क्षमता का उपयोग करते हुए ईरान में समाजिक नैतिकता और पारिवारिक संरचना को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। उनका मानना था कि समाज को नैतिक रूप से सशक्त बनाने के लिए यह जरूरी है कि लोग अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करें और पारिवारिक जीवन को पवित्र रखें।

 

उनके अनुसार, हिजाब केवल एक क़ानूनी प्रावधान नहीं है, बल्कि यह समाज में नैतिकता, सम्मान और पारिवारिक रिश्तों की सही दिशा को सुनिश्चित करने का एक प्रभावी तरीका है। अयातुल्लाह खामेनेई ने हमेशा यह सिद्धांत बताया कि हिजाब कानून से महिलाओं का सम्मान बढ़ता है, और यह समाज को हराम कारी से बचाता है।

 

हिजाब कानून और समाज में नैतिकता का महत्व

 

ईरान के हिजाब कानून का सबसे बड़ा प्रभाव समाज की नैतिकता पर पड़ा है। यह कानून केवल एक व्यक्तिगत आदत नहीं, बल्कि एक सामाजिक दायित्व है। महिलाओं को हिजाब में रहने के लिए बाध्य करना यह सुनिश्चित करता है कि समाज में अनुशासन और नैतिकता बनी रहे। हिजाब का पालन महिलाओं को केवल अपने शरीर को ढकने के लिए नहीं, बल्कि समाज में सही नैतिक मूल्यों का पालन करने के लिए भी प्रेरित करता है।

 

यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि महिलाएँ अपने परिवारों की धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझें और समाज में नैतिक मूल्यों की रक्षा करें। हिजाब पहनने वाली महिलाएँ यह संदेश देती हैं कि वे न केवल अपने सम्मान की रक्षा कर रही हैं, बल्कि वे समाज में नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों के पालन में भी योगदान दे रही हैं।

 

हराम कारी से बचने का पैगाम: नाजायज बच्चों से बचाव

 

ईरान का हिजाब कानून केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए नहीं है, बल्कि यह समाज को हराम कारी से बचाने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है। जब लोग हराम कारी से बचते हैं, तो उनका जीवन अधिक सुरक्षित और स्थिर होता है। यह सुनिश्चित करता है कि समाज में नाजायज औलाद न हो, और बच्चे एक हलाली रिश्ते से पैदा हों।

 

नाजायज औलाद समाज में नैतिक और मानसिक समस्याओं को जन्म देती है। ऐसे बच्चों का पालन-पोषण पारिवारिक रिश्तों की कमजोरी और समाज के गलत आदर्शों को बढ़ावा देता है। जैसा पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका और यूरोप के मुल्कों में हो रहा है।

 

हिजाब कानून और ईरान के अन्य धार्मिक क़ानूनी प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि लोग अपने रिश्तों को हलाली रूप से ही निभाएं, ताकि आने वाली पीढ़ी एक आदर्श और नैतिक जीवन जी सके।

 

पश्चिमी देशों की आलोचना और ईरान का दृष्टिकोण

 

पश्चिमी देशों में जहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों को सर्वोपरि माना जाता है, वहीं ईरान का मानना है कि समाज के नैतिक और धार्मिक मूल्यों की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। पश्चिमी देशों और मीडिया की आलोचनाओं के बावजूद, ईरान ने साबित कर दिया है कि हिजाब कानून और कड़े नियमों के माध्यम से समाज में नैतिकता और सम्मान को बनाए रखा जा सकता है।

 

ईरान का यह दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि सख्त नियम और कानून समाज को अनैतिकता और असंस्कारिता से बचाने का एक मजबूत तरीका हैं। जहां पश्चिमी देशों में हर प्रकार की स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया जाता है, वहीं ईरान ने यह सुनिश्चित किया है कि समाज में सही मार्गदर्शन और अनुशासन रहे, ताकि हर व्यक्ति और परिवार नैतिक रूप से सशक्त हो सके।

 

 

इमाम खुमैनी से अयातुल्लाह खामेनेई तक ईरान का हिजाब कानून न केवल महिलाओं की रक्षा करता है, बल्कि यह समाज को नैतिकता, अनुशासन और परिवार के मूल्यों की सुदृढ़ता का संदेश भी देता है। यह कानून बच्चों के लिए एक गौरव का कारण बनता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि वे नाजायज रिश्तों से नहीं, बल्कि हलाली रिश्तों से पैदा होते हैं।

 

ईरान के इस दृष्टिकोण से यह सिद्ध होता है कि समाज में नैतिकता और पारिवारिक संरचना की सुरक्षा सिर्फ एक कानून से नहीं, बल्कि एक समग्र दृष्टिकोण से संभव है, जिसमें हिजाब कानून और पारिवारिक जिम्मेदारियों का पालन करना शामिल है। यह हराम कारी से बचने और एक आदर्श जीवन जीने का मजबूत संदेश देता है, जो न केवल ईरान, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।

 

(लेखक सैयद रिज़वान मुस्तफा जाने माने पत्रकार हैं उनसे 9452000001, srm@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)