मुंबई: फिलिस्तीन के यरूशलम स्थित इस्लाम धर्म के तीसरे सबसे पवित्र स्थल मस्जिदुल अक्सा में पिछले तीन दिनों से इस्राइल बलों के द्वारा नमाज के लिए आ रहे फिलिस्तीनी मुसलमानो पर की जा रही हिंसा को लेकर मिरान ग्रुप की और से रविवार को ऑनलाइन ‘तहफ्फुज ए बेतुल मुक़द्दस’ कांफ्रेस आयोजित की गई।
देश और दुनिया भर से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए हजरत अल्लामा कमरुज जमान खान आज़मी साहब ने कहा कि 70 साल से ज्यादा हो गए है। हरम शरीफ जालिम यहूदियों के कब्जे में है। हर दिन वहां बेहूनाह मुसलमानों के खून की नदियां बहाई जा रही है। जुल्म और अत्याचार के बल पर 1948 में रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने चंद मिनटों में एक अवैध मुल्क दुनिया के नक्शे पर पैदा कर दिया। जिसने आलम इस्लाम को एक गहरा जख्म दिया। जिसका आज तक कोई इलाज न हो सका। इसके विपरीत मुसलमानों की पीठ में छुरा ही घोंपा गया। वहीं आज कुछ अरब देशों ने इस्राइल के नापाक वजूद को कबूल करते हुए उसके साथ व्यापारिक सबंध स्थापित कर लिए है।
कांफ्रेस को संबोधित करते हुए हजरत अल्लामा सैयद मोईनुद्दीन अशरफ मोईन मियां साहब ने कहा कि जिस तरह इस्राइल बलों ने फिलिस्तीनी मुसलमानों पर जुल्म किया उसको देखकर रोंगटे खड़े हो जाते है। लेकिन ये नया नहीं है। इस्राइल बल पहले से ही फिलिस्तीनी मुसलमानो के घरों को तोड़ यहूदियों को बसाते आये है। मस्जिदों को शहीद करना, कुद्स में नमाजियों को नमाज से रोकना, उन्हे जेलों में डालना इस्राइलियो का रोज का काम है। लेकिन सयुंक्त राष्ट्र और अंतराष्ट्रीय समुदाय अंधा बना हुआ है। शब ए कद्र की रात को न केवल अल अक्सा में नमाजियों पर जुल्म किया गया बल्कि हरम शरीफ की हुरमत को भी पामाल किया गया। उन्होने 57 मुस्लिम देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) और अरब देशों के संगठन मुस्लिम लीग से आगे आकर अपनी भूमिका निभाने की विनती की।
शहजादा ए आला हजरत मनानी मिया साहब ने बरेली शरीफ से कांफ्रेस में शामिल होकर कहा कि बेतुल मुकद्दस का अहतराम करना मुसलमानो का दीनी फरिजा है। नवासा ए आला हजरत ने कहा कि देश की विभिन्न ख़ानक़ाहों के प्रमुख आगे आकर विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात कर भारतीय मुसलमानो की और से सख्त नाराजगी और विरोध को जाहीर करे। साथ ही भारत सरकार से इस्राइली राजदूत को तलब कर मानवाधिकारों से जुड़े अंतराष्ट्रीय कानूनों विशेषकर यूनिवर्सल डिक्लेरेशन के पालन करने का निर्देश देने की गुजारिश करे।
रज़ा एकेडमी प्रमुख अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी ने कहा कि दुश्मन को मालूम होना चाहिए कि बेतुल मुक़द्दस हमारा क़िबला अव्वल है। जो किसी भी हाल में इस्राइली आतंकियों के हवाले नहीं किया जा सकता। उन्होने आगे कहा कि लोकतंत्र और मानवाधिकार के ठेकेदार मुल्क की इस कत्लेआम पर जबान खोलने की हिम्मत नहीं होती। वहीं अमेरिका के गुलाम मुस्लिम हुक्मरान अपने मजलूम मुस्लिम भाइयों की मौत का तमाशा देख रहे है। नूरी साहब ने कहा कि फिलिस्तीनी मुसलमानो का खून राइगा नहीं जाएगा। वह रंग लाकर ही रहेगा। दुनिया देखेगी कि एक बार फिर से कुद्स शरीफ मुसलमानो के हाथों में है। उन्होने कहा कि अगर इस्राइल का आतंक नहीं रूका तो पूरी दुनिया की शांति खतरे में आ जाएगी।
लंदन से कांफ्रेस में जुड़े मशहूर आलमी खतीब हजरत अल्लामा फ़रोगउल कादरी ने अपने संबोधन में कहा कि जालिम अमेरिका इस्राइल का हमेशा से दोस्त रहा है और उसे बढ़ावा देता रहा है। तेलअबीब से उसकी राजधानी येरूशलम करने में भी वहीं है। जिसके चलते इस्राइल का आतंक अब आम हो चुका है और रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसके अलावा मुफ़्ती आजम ए होलेंड शफीक उर रहमान रिजवी ने कहा कि फिलिस्तीन की एक इंच जमीन भी इस्राइल को नहीं दी जा सकती। मस्जिद ए अक्सा पर हक सिर्फ मुसलमानों का है। आधुनिक हथियारों और टेक्नॉलॉजी के दम पर क़िबला ए अव्वल हम से छीनना चाहता है। जो कभी मुमकिन नहीं हो सकता।
श्रीलंका के कोलंबो से जुड़े हजरत मौलाना हाफ़िज़ अहसान कादरी ने कहा कि जिस किसी मुसलमान के दिल में भी जर्रा बराबर ईमान है। वह इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उसकी होते हुए किबला अव्वल की अजमत पर धब्बा आए।