रूस की आक्रामकता पर लगाम लगाने में भारत को निभानी चाहिए भूमिका: जमाअत इस्लामी हिन्द

नई दिल्ली: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने रूस द्वारा यूक्रेन पर किये गए हमले की निंदा की है। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध की स्थिति पर हम अत्यंत चिंता व्यक्त करते हैं।  दुनिया अभी कोरोना के क़हर से उबार भी नहीं पायी है और अब लोगों पर जंग थोपी जा रही है। पूरी आशंकाएं हैं कि यह फौजी कार्रवाई जंग का रूप ले ले। अगर ऐसा हुआ तो यह दुनिया के लिए तबाही का कारण होगा।

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जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने कहा कि हम एक सभ्य दुनिया में रहते हैं जहां राष्ट्रों के बीच मतभेदों और संघर्षों को कूटनीति और बातचीत और के जरिए सुलझाया जाना चाहिए। जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने मीडिया को जारी एक बयान में यह टिप्पणी की।

भारत सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा, “जमाअत इस्लामी हिन्द भारत सरकार से इस विवाद को सुलझाने में सकारात्मक कूटनीतिक भूमिका निभाने और हमलावर देशों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का आग्रह करता है ताकि उन्हें तत्काल जंगबंदी के लिए राजी किया जा सके और विवाद के हल के लिए बात चीत का रास्ता अपनाएं।“

उन्होंने कहा, “हम भारत सरकार से यह भी मांग करते हैं कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करें। हम वहां फंसे 20,000 से अधिक छात्रों के बारे में विशेष रूप से चिंतित हैं और चाहते हैं कि सभी संभावित भूमि और हवाई मार्गों का उपयोग करके उन्हें जल्द से जल्द मुफ्त वापस लाया जाए। छात्र हवाई यात्रा की उच्च लागत वहन नहीं कर सकते। इसलिए यात्रा व्यवस्था और यात्रा व्यय दोनों में सरकार का तत्काल और पूर्ण सहयोग आवश्यक हो गया है।“

अमीर जमाअत ने अपने बयान में अतिरिक्त कहा कि इस विवाद ने एक बार फिर विश्व शक्तियों के पाखंड को बेनक़ाब किया है। वही ताकतें जिन्होंने हाल के दिनों में इराक, अफगानिस्तान और अन्य देशों को तबाह किया था, अब रूसी आक्रमण पर विलाप कर रही हैं। महाशक्तियों के ये दोहरे मापदंड वैश्विक अशांति का सबसे बड़ा कारण हैं। अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं को लोकतांत्रिक और मानवीय आधार पर पुनर्गठित किया जाए और दुनिया ज़ालिम और मज़लूम (उत्पीड़ित) में भेद किये बिना सिद्धांतों के आधार पर समान दृष्टिकोण की ओर आगे बढे।