यदि आज विश्व भर में इतनी कम उम्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बन चुकी स्वीडन की चर्चित पर्यावरण एक्टिविस्ट, ग्रेटा टूनबर्ग के ट्वीट के ख़िलाफ़ राजधानी दिल्ली की पुलिस, टूलकिट के संदर्भ में मुकदमा कायम कर रही है तो, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में गर्व करने वाले भारत को अपनी विरासत, परंपराओं औऱ लोकतांत्रिक मूल्यों पर एक बार गम्भीरता से अन्तरावलोकन करना होगा। शुरू में खबर आयी कि ग्रेटा टूनबर्ग पर मुकदमा दर्ज हुआ है, और जब इस पर लगातार प्रतिकूल प्रतिक्रियाये आने लगीं तो, दिल्ली पुलिस ने यह स्पष्ट किया है कि, मुक़दमा ग्रेटा पर नहीं, बल्कि उनके टूलकिट पर जिसके बारे में सन्देह है कि वह, भारत विरोधी गतिविधियों से जुड़ा है, कायम किया गया है। हालांकि ग्रेटा ने अपना वह ट्वीट डिलीट कर के पुनः किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।
सरकार के विरोधियों, विपक्ष के लोगों और अन्य आलोचकों की ओर से उठते अनेक सवालों और आशंकाओं को दरकिनार भी कर दें तो, डेमोक्रेसी इंडेक्स के ताजे आंकड़े में हमारी स्थिति गिरी है। दुनिया भर के देशों में लोकतंत्र के स्तर की पड़ताल कर उसकी स्थिति का आकलन करने वाला सांख्यिकीय आंकड़ा, ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ की ताज़ा रिपोर्ट में भारत पिछले साल के मुक़ाबले दो अंक और नीचे लुढ़क गया है । साल 2014 की तुलना में आज हम लगभग आधे स्थान तक गिर गए हैं । मीडिया के अनुसार, इस इंडेक्स में 2014 में भारत की रैंकिंग 27 वीं थी जो 2020 में घटकर 53 वें अंक पर आ गयी है। नार्वे अब दुनिया मे पहले नंबर पर और अंतिम पायदान पर उत्तर कोरिया का नाम है।
‘द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट’ (ईआईयू) ने डेमोक्रेसी इंडेक्स जारी करते हुए कहा है कि “भारत के सत्ताधारियों के ‘लोकतांत्रिक मूल्यों से पीछे हटने’ और नागरिकों की स्वतंत्रता पर ‘कार्रवाई’ के कारण देश 2019 की तुलना में 2020 में दो स्थान और फिसल गया है। भारत 6.9 अंकों के साथ 2019 के लोकतंत्र सूचकांक में 51वें स्थान पर था और जो 2020 में घटकर 6.61 रह गये और वह 53 वें पायदान पर लुढ़क गया। 2014 में भारत की रैंकिंग 27वीं थी। भारत को 2014 में 7.29 अंक मिले थे जो अब तक का सर्वोच्च प्रदर्शन है।
‘डेमोक्रेसी इन सिकनेस एंड इन हेल्थ’ शीर्षक से जारी ईआईयू के ताज़ा‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ में नॉर्वे को शीर्ष स्थान मिला है। इस सूची में आइसलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और कनाडा शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं।” डेमोक्रेसी इंडेक्स में 167 देशों में से 23 देशों को पूर्ण लोकतंत्र, 52 देशों को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र, 35 देशों को मिश्रित शासन और 57 देशों को सत्तावादी शासन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत को अमेरिका, फ्रांस, बेल्जियम और ब्राजील के साथ ‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’ के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।
ईआईयू की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने, ‘‘भारतीय नागरिकता की अवधारणा में धार्मिक तत्व को शामिल किया है और कई आलोचक इसे भारत के धर्मनिरपेक्ष आधार को कमजोर करने वाले कदम के तौर पर देखते हैं।’’ रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने के तरीके के कारण 2020 में नागरिक अधिकारों का और दमन हुआ।’’
भारत के पड़ोसियों में से श्रीलंका 68 वें, बांग्लादेश 76 वें, भूटान 84 वें और पाकिस्तान 105 वें स्थान पर रहा। श्रीलंका को भी त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है, जबकि बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान ‘मिश्रित शासन’ के वर्ग में है। अफगानिस्तान 139 वें स्थान पर है और उसे ‘सत्तावादी शासन’ के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। ईआईयू की रिपोर्ट में एशिया और ऑस्ट्रेलिया क्षेत्र के देश न्यूजीलैंड का चौथा स्थान बरकरार है, लेकिन इस क्षेत्र का देश उत्तर कोरिया अंतिम 167 वें स्थान पर है। जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान 2019 की तुलना में इस सूची में ऊपर आ गये हैं। आस्ट्रेलिया का भी ‘पूर्ण लोकतंत्र’ का दर्जा बरकरार है। ऑस्ट्रेलिया इस इंडेक्स में नौवें स्थान पर है।
डेमोक्रेसी इंडेक्स में नॉर्वे 9.8 अंकों के साथ पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर आइसलैंड है जिसे 9.37 अंक मिले हैं। स्वीडन 9.26 अंकों के साथ तीसरे, न्यूज़ीलैंड 9.25 अंक के साथ चौथे और कनाडा 9.24 अंक के साथ पाँचवे नंबर पर है। नीचे से पाँचवे यानी 163वें स्थान पर चाड है जिसे 1.55 अंक मिले हैं। 164 स्थान पर सीरिया को 1.43 अंक मिले हैं। 165वें स्थान पर केंद्रीय अफ्रीकन गणराज्य है जिसे 1.32 अंक मिले हैं। 166 वां स्थान कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य का है जिसे 1.13 अंक मिले हैं और सबसे आख़िरी यानी 167 वें स्थान पर उत्तर कोरिया है जिसे महज़ 1.08 अंक मिले हैं।
(लेखक पूर्व आईपीएस अफसर हैं)