नई दिल्ली: नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में राजपाल एण्ड सन्ज़ द्वारा प्रकाशित नई किताब ‘पुलिसनामा- जहां मुर्दे भी गवाही देते हैं’ का लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें वरिष्ठ लेखक उर्मिलेश, व्यंग्यकार आलोक पुराणिक व लेखक ज़ैगाम मुर्तज़ा उपस्थित थे।
लेखक जैग़म जो कि पेशे से पत्रकार हैं ने बताया कि हमारे देश में पुलिस रिफॉर्म पर बात साठ-सत्तर के दशक से ही चली आ रही है, लेकिन अभी तक कोई बड़ा सुधार नहीं दिखता। कुछ राज्यों में अपने स्तर पर प्रयास जरूर हुआ है। इस किताब में क़िस्सों को दो हिस्से में विभाजित किया जा सकता है। एक में है उनकी मूर्खता और दूसरे में धूर्तता। मूर्खता वाले हिस्से में पुलिस के एक ढर्रे पर काम करते रहने से उपजी बेवकूफियां हैं जबकि धूर्तता वाले हिस्से में उनका अत्याचार है।पुलिस रिफॉर्म की बारे में उन्होंने कहा, पुलिस के आचरण में सुधार तो हम सभी चाहते हैं मगर उसके लिए आवाज नहीं उठाते।
वरिष्ठ लेखक उर्मिलेश ने कहा, हिन्दी हार्टलैंड में पुलिस अत्याचार एक बड़ी समस्या है। नॉर्थईस्ट से भी ऐसी खबरें आती रहती हैं। यह भारत के लोकतांत्रिक समाज की बड़ी समस्या है। क़िताब की भाषा की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि भाषा में एक तरह की मस्ती है, व्यंग्य है। उन्होंने किताब में से कुछ अंश पढ़कर भाषा की कलात्मकता को बताया।
जाने -माने व्यंग्यकार आलोक पुराणिक ने कहा, यह किताब हम सब को पढ़नी चाहिए क्योंकि यह पुलिस के बारे में ही नहीं मीडिया के बारे में भी है। किताब को पढ़कर ऐसा लगता है अक्सर मीडिया और पुलिस वाले मिलकर एक गुट की तरह काम करते हैं। पुलिस और अखबार का चोली दामन का साथ है और दोनों मिलकर तय करते हैं क्या छपना है और क्या छुपाना है। किताब की भाषा में एक नैसर्गिक व्यंग्य है, जिसे और निखार कर लेखक अच्छा व्यंग्य लेखन भी कर सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में राजपाल एण्ड सन्ज़ की प्रकाशक मीरा जौहरी जी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।