नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के नाम पर चंद बड़े उद्योगपतियों को जबरदस्त लाभ पुहंचाने की तैयारी में सरकार

लीज पर देने का मतलब ही यह होता है कि आप लीज की अवधि खत्म होने पर संपत्ति को लीज होल्डर को बेच सकते हैं, यह कोई रेंट एग्रीमेंट नही है! कल मुंबई में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि एक भी संपत्ति बेची नहीं जाएगी। उसे लीज पर दिया जाएगा और फिर उसका स्वामित्व अनिवार्य रूप से वापस लिया जाएगा।

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विधिक दृष्टि से देखे तो जो वित्तमंत्री बोल रही है वह रेंट एग्रीमेंट का अनिवार्य तत्व है लीज का नही! रेंट पर संपति देने में मालिक हमेशा मालिक ही होता है, जबकि लीज एग्रीमेंट में किराएदार आगे चलकर उस संपत्ति का मालिक बन सकता है, लीज के अंत में पट्टेदार को अवशिष्ट मूल्य पर संपत्ति खरीदने का विकल्प मिलता है। कानूनन लीज पर दी गयी सम्पत्ति वापस ली जा सकती है लीज होल्डर को बेची भी जा सकती है या लीज को बढ़ाया भी जा सकता है।

देखना यह भी है लीज पर देने में सरकार कही नुकसान का सौदा तो नही कर रही है!  क्योंकि लीज पर लिए गए सामान का किराया एक बार में ही निर्धारित हो जाता है जबकि रेंट पर ली गई चीजों का किराया कुछ समय बाद पुनः निर्धारित किया जा सकता है, एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि लीज की शर्तों को एग्रीमेंट होने के बाद बदला नही जा सकता अगर किसी सम्पत्ति की लीज 20 सालों के लिए दी गयी है और पांच साल या सात साल पर संपति का मालिक (यहाँ सरकार) एग्रीमेंट ब्रेक करके इसे खाली करने को कहता है, तो उसे भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। क्योंकि लीज एग्रीमेंट का अनिवार्य तत्व यह है कि आखिरी तक लीज के नियम और शर्तों को नहीं बदला जा सकता है।

चलते चलते एक बात और समझ लीजिए लीज पर दी गयी संपति के मेंटनेंस की जिम्मेदारी लीज होल्डर पर होती है यहाँ मोदी सरकार खेल यह कर रही है कि वह बिल्कुल नयी संपति जैसे एयरपोर्ट बनाकर लीज पर दे रही है। यानी 8 से 10 सालो तक उसके मेंटनेंस की कॉस्ट अधिक नही है, जो रोड भी लीज पर दिए जाने की बात है वे भी इस वक्त वेल मेंटेन है। यानी लीज होल्डर की उंगलिया घी में है और सर कढ़ाई में क्योंकि यह उसे ही डिसाइड करना है कि उसे लीज पर कौन सी संपति लेनी है सीधी सी बात है, कि वह उन्ही संपत्तियों को लीज पर लेगा जिससे आने वाले वर्षों में अधिक से अधिक मुनाफा कूटा जा सके जैसे रेलवे के वही रूट बिकेंगे जो मुनाफा देते है नुकसान में चलने वाले रुट कोई नही खरीदता है और न ही कोई उसे लीज पर लेगा

मोदी सरकार नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के नाम पर चंद बड़े उद्योगपतियों को जबरदस्त लाभ पुहचाने जा रही है और देश के भविष्य को लंबे समय के लिए अंधकार में धकेल रही है.