कोरोना वैक्सीनेशन के नाम पर कई देशों की संप्रभुता का हो रहा सौदा! TBIJ की रिपोर्ट में खुलासा

गिरीश मालवीय

दुनिया की सबसे बड़ी ओर मशहूर फार्मा कम्पनी फाइजर ने अपनी कोरोना वैक्सीन को ब्राजील अर्जेंटीना जैसे लैटिन अमेरिकी देशो को देने के लिए जो शर्ते लगाई है उसी से समझ आता है कि कोरोना के पीछे कितने खतरनाक खेल चल रहे है। लोग चिढ़ते है जब कोरोना को मैं एक राजनीतिक महामारी कहता हूं दअरसल सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारा नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया पूरी तरह से कोरोना के पीछे से रचे जा रहे अंतराष्ट्रीय षणयंत्र का हिस्सा बन चुका है। वह इन बड़ी फार्मा कम्पनियो के साथ मिला हुआ है, अगर कही भी गलती से भी उनके खिलाफ कोई खबर आ जाए तो वह ख़बर को दबाने की पूरी कोशिश करता है।

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यह लेख जिस लेख का सहारा लेकर लिखा गया है वह 23 फरवरी को  ‘द ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म’ द्वारा प्रकाशित किया गया था,  आश्चर्य की बात है बेहद प्रतिष्ठित ग्रुप द्वारा प्रकाशित की गयी इस खबर को दबा दिया गया।  निष्पक्ष खबरे प्रकाशित करने का डंका बजाने वाले बीबीसी ओर NDTV जैसे मीडिया समूह ने भी अगले 9 दिनों तक इस पर कोई बात करना उचित नही समझा, मजे की बात यह है कि जी न्यूज जैसी संस्था ने यह खबर कल फ्लैश की है वो भी मोदी जी की बड़ाई करते हुए। इस लेख में बताया गया है कि फाइजर ने कोरोना वैक्सीन को सप्लाई करने के लिए जो बातचीत शुरू की है उसमें फाइजर ने लैटिन अमेरिकी देशों को वैक्सीन के लिए ब्लैकमेल करते हुए अपने कानून तक बदलने पर मजबूर कर दिया। उन्हें “धमकाया” तक गया है।

वैक्सीन सप्लाई के बदले कुछ देशों को संप्रभु संपत्ति, जैसे दूतावास की इमारतों और सैन्य ठिकानों को किसी भी कानूनी कानूनी मामलों की लागत के खिलाफ गारंटी के रूप में रखने के लिए कहा है। फाइजर कंपनी ने अर्जेंटीना की सरकार से कहा कि अगर उसे कोरोना की वैक्सीन चाहिए तो वो एक तो ऐसा इंश्‍योरेंस यानी बीमा खरीदे जो वैक्सीन लगाने पर किसी व्यक्ति को हुए नुकसान की स्थिति में कंपनी को बचाए। यानी अगर वैक्‍सीन का कोई साइड इफेक्‍ट होता है, तो मरीज को पैसा कंपनी नहीं देगी, बल्कि बीमा कंपनी देगी। जब सरकार ने कंपनी की बात मान ली, तो फाइजर ने वैक्सीन के लिए नई शर्त रख दी और कहा कि इंटरनेशनल बैंक में कंपनी के नाम से पैसा रिजर्व करें, देश की राजधानी में एक मिलिट्री बेस बनाए जिसमें दवा सुरक्षित रखी जाए। एक दूतावास बनाया जाए जिसमें कंपनी के कर्मचारी रहें ताकि उनपर देश के कानून लागू न हों।

ब्राजील को कहा गया कि वह अपनी सरकारी संपत्तियां फाइजर कंपनी के पास गारंटी की तरह रखे, ताकि भविष्य में अगर वैक्सीन को लेकर कोई कानूनी विवाद हो तो कंपनी इन संपत्तियों को बेच कर उसके लिए पैसा इकट्ठा कर सके। ब्राजील ने इन शर्तों को मानने से मना कर दिया है। फाइजर 100 से अधिक देशों के साथ वैक्सीन की डील कर रहा है वह लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में नौ देशों के साथ समझौते की आपूर्ति कर रहा है: चिली, कोलंबिया, कोस्टा रिका, डोमिनिकन गणराज्य, इक्वाडोर, मैक्सिको, पनामा, पेरू, और उरुग्वे, उन सौदों की शर्तें अज्ञात हैं।

‘द ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म’ से जुड़े पत्रकारों  ने इस संदर्भ में दो देशों के अधिकारियों से बात की, जिन्होंने बताया कि कैसे फाइजर के साथ बैठकें आशाजनक रूप से शुरू हुईं, लेकिन जल्द ही दुःस्वप्न में बदल गई। इन देशों को अंतराष्ट्रीय बीमा लेने पर भी मजबूर किया गया 2009 -10 के एच वन एन वन के प्रकोप के दौरान भी ऐसा ही करने के लिए  कहा गया था बाद में पता लगा था कि एच वन एन वन एक फर्जी महामारी थी।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)