नई दिल्ली: भारतीय मुसलमानों के सबसे बड़े ग़ैर-राजनीतिक संगठन जमीअत उलमा-ए-हिंद के तहत चलने वाले दीनी तालीमी बोर्ड के तत्वावधान में शनिवार को एक दिवसीय बैठक हुई। इस मौके पर इलाके की तमाम मस्जिदों और मदरसों के प्रभारी मौजूद रहे। इस बैठक में उलेमा समेत मौलाना कारी अब्दुल सामी, मौलाना अमानुल्लाह कासमी ने बैठक को संबोधित किया। कारी अब्दुल सामी ने कहा कि जमीयत उलेमा के लोगों द्वारा दी गई स्कूल प्रणाली हमारे समय में सबसे सार्थक और उद्देश्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि आज हम पर अपनी ही पीढ़ी के अकीदे को बचाने की जिम्मेदारी है। अगर यह नहीं होता है, तो मनुष्य ने जो कुछ भी किया है वह सब कम है। उन्होंने कहा केवल खुदा का खौफ ही मनुष्य के हृदय को पाक करता है और उसकी नैतिकता को बढ़ाती है। इसलिये सिर्फ अपने धर्म के लिए नहीं, देश के कल्याण की भी आवश्यकता है कि अगर सरकार धार्मिक शिक्षा की जिम्मेदारी नहीं ले सकती है, तो हमें यह जिम्मेदारी अपने ऊपर लेनी चाहिए और बच्चों की धार्मिक शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था अपने आप करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि धार्मिक शिक्षा के लिये बच्चों की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेने दें, फिर जैसे वे राष्ट्र और मातृभूमि के लिये उपयोगी साबित होंगे।
इस दौरान मौलाना जियाउल्लाह कासमी, मौलाना कासिम नूरी, असद मियां, मौलाना मुहम्मद खलील अहमद, मुफ्ती मुहम्मद निसार, मौलाना आशिक इलाही , मौलाना शाहिद इकबाल, मौलाना मुफ्ती हिफाजतुल्लाह, हाफिज शफी, मौलाना गुलाम रसूल कासमी नक्तवी, मौलाना कलामुल्लाह कासमी, मौलाना कारी इरशाद उस्ताद मदरसा बाबुल उलूम, हाफिज जियाउल्लाह, क़ाज़ीम गुलज़ारी, क़ाज़ीम गुलज़ारी, क़ाज़ीम गुलज़ारी आलम, मौलाना अज़ीमुल्लाह कासमी आदि मौजूद रहे।