जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा संचालित धार्मिक शिक्षा बोर्ड की एक बैठक पुरानी दिल्ली स्थित गली कासिम जान में जमीयत बिल्डिंग में आयोजित की गई। इस बैठक में समाज के महत्तवपूर्ण मुद्दों धार्मिक मुद्दों पर बात की गई। बैठक में मौजूद वक्ताओं ने ज़ोर दिया कि मानसिक धर्मत्याग, धार्मिक और नैतिक पतन की वर्तमान स्थिति में, धार्मिक विद्यालयों की स्थापना और स्थिरता बहुत महत्वपूर्ण है। बैठक में कहा गया कि धार्मिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार को ध्यान में रखें, जिलेवार इकाइयों और अधिकारियों का गठन इस मायने में महत्वपूर्ण माना जाता है कि धार्मिक स्कूलों को स्थानीय स्तर पर संगठित और मजबूत किया जाना चाहिए।
बैठक की अध्यक्षता अमीनिया कश्मीरी गेट के उपाधीक्षक मौलाना हाफिज रशीद अहमद ने की, निदेशक के रूप में कार्य करते हुए, कारी अब्दुल सामी शाही, महासचिव, धार्मिक शिक्षा बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, दिल्ली ने कहा कि धार्मिक शिक्षा बोर्ड के जिला और निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार चुनाव के बाद, विद्वानों और शिक्षकों की शैक्षिक गतिविधि स्थानीय स्तर पर दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों में शैक्षिक जागरुकता भी आ रही है और अधिक प्रयास करने की जरूरत है.आज की चुनाव परिषद उस श्रृंखला की एक कड़ी है,इंशाअल्लाह भविष्य में और भी धार्मिक स्कूल स्थापित होंगे।
गेस्ट ऑफ ऑनर मौलाना खालिद जियावी ने कहा कि मानसिक धर्मत्याग और नैतिक पतन को देखते हुए यहां-वहां विद्यालयों की स्थापना करना अति आवश्यक है। इस अवसर पर मौलाना मुहम्मद जावेद सिद्दीकी कासमी ने उलेमाओं की क़ुर्बानी का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि ऐसा कोई क्षेत्र या विभाग नहीं है जिसमें उलेमाओं ने अपनी सेवाएं प्रदान नहीं की हैं।
हाजी शेख मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि चांदनी चौक इलाक़े में स्कूल स्थापित करने और पहले से मौजूद स्कूलों को व्यवस्थित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा.जमीयत उलेमा चांदनी चौक जिले के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल सुभान कासमी ने कहा कि हम इस संबंध में आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं. इस मौक़े पर हाजी असद मियां, मुफ्ती निसार अल-हुसैनी, मौलाना मुहम्मद कासिम नूरी, मुहम्मद इस्लामुद्दीन, मौलाना गुलाम रसूल नबी करीम, मौलाना अब्दुल रहमान नबी करीम, मौलाना अज़ीमुल्लाह कासमी, मौलाना अकील नबी करीम, मौलाना गफ्फार लाल कंवान, मौलाना यासीन, मुफ्ती मुहम्मद अली कासमी नबी करीम, मौलाना मोहम्मद अली फराशखाना, मौलाना डॉ. जावेद अनवर, मुफ्ती मुहम्मद कासिम कासमी मोहम्मद शौकत, मौलाना गुलाम रसूल कासमी आदि मौजूद रहे।