लोकसभा में बोले इम्तियाज़ जलील, ‘अगर आपके सीने में दिल है, और दिल धड़कता है तो उर्दू को खत्म न होने दें’

नई दिल्लीः लोकसभा में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सांसद ने देश में उर्दू भाषा के विकास पर ध्यान देने की मांग सरकार से की है. एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने शून्यकाल में कहा कि इस देश में उर्दू की अनदेखी की जा रही है और उर्दू के स्कूल बंद किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी विज्ञापन नहीं मिलने से उर्दू अखबार बंद हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि उर्दू जुबान को मजहब के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए और इसके विकास पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.

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क्या कहा संबोधन में

महाराष्ट्र के ओरंगाबाद लोकसभा सीट से सांसद इम्तियाज़ जलील ने कहा कि आज इस मुल्क में उर्दू जबान को भी हिजाब पहना के आगे बढ़ने से रोका जा रहा हैं। उर्दू जबान को मजहब के चश्मे से मत देखो। उर्दू जबान को खत्म ना करें। उन्होंने अपने संबोधन की शुरूआत एक शेर से करते हुए कहा कि-

वो करे बात तो हर लफ़्ज़ से ख़ुश्बू आए

ऐसी बोली वही बोले जिसे उर्दू आए।

इम्तियाज़ जलील ने कहा कि उर्दू ज़बान को हम अलग नज़रिये से क्यों देख रहे हैं। उर्दू ने इसी देश में जन्म लिया है, हिंदी और उर्दू का रिश्ता इस मुल्क में मां और मौसी जैसा है। उन्होंने कहा कि आज उर्दू अख़बारों को सरकारी विज्ञापन न मिलने की वजह से अख़बार बंद हो रहे हैं, धीरे-धीरे उर्दू को खत्म किया जा रहा है। उन्होंने मशहूर शायर इक़बाल अशहर की मशहूर नज़्म की पंक्तियां सुनाते हुए कहा कि-

क्‍यूं मुझको बनाते हो तआस्‍सुब का निशाना

मैंने तो कभी ख़ुद को मुसलमां नहीं माना

देखा था कभी मैंने भी ख़ुशियों का ज़माना

अपने ही वतन में हूं मगर आज अकेली

उर्दू है मेरा नाम, मैं ख़ुसरो की पहेली

मैं मीर की हमराज़ हूं, ग़ालिब की सहेली…

एआईएमआईएम सांसद ने कहा कि उर्दू को मज़हब के चश्मे से न देखा जाए, उर्दू इसी मुल्क में जन्मी है, उसे अलग नज़रिये से क्यों देखा जा रहा है। क्यों उर्दू के स्कूल बंद हो रहे हैं। उन्होंने मशहूर उर्दू की मशहूर शायर लता हया का शेर सुनाते हुए कहा कि-

यहीं की बेटियां दोनों, यहीं पे जन्म पाया है

सियासत ने क्यों इन्हें हिंदू-मुसलमां बनाया है।

इम्तियाज़ जलील ने कहा कि अगर आपके सीने में दिल है, और दिल धड़कता है तो उर्दू को खत्म न होने दें।