Latest Posts

ब्रूस ली से प्रभावित होकर फैसल अली डार ने चुना कुंग-फू चुना, अब पद्मश्री आवार्ड से नवाज़े जाएंगे

भारत सरकार ने मंगलवार (25 जनवरी) को 128 पद्म अवॉर्ड की घोषणा कर दी है। इनमें एक नाम कुंग-फु मास्टर फैसल अली डार का भी है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंक के साए वाले इलाके में अपनी एकेडमी चला रहे हैं। केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान करते हुए चार हस्तियों को पद्म विभूषण सम्मान दिया गया है। पद्म भूषण सम्मान 17 और पद्मश्री पुरस्कार 107 लोगों को दिया गया है। इनमें खेल जगत से फैसल अली डार को पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चुना गया है। इस पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने भी ट्विट कर उनको बधाई दी।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

फैसल अली डार में बचपन से ही ब्रूस ली की फिल्में देखा करते थे। ब्रूस ली अमेरिकन मार्शल आर्टिस्ट थे। फैसल के अलावा भी दुनियाभर में ब्रूस ली के करोड़ों दीवाने हैं। इसी स्टार से प्रभावित होकर फैसल ने कुंग-फु चुना और इसी में अपना करियर भी बनाया। उन्होंने 2003 में कुंग-फु सीखना शुरू किया था। फैसल अपना रोल मॉडल अपने कोच कुलदीप हांडू को ही मानते हैं। साथ ही वे ब्रूस ली के भी बहुत बड़े फैन हैं।

बांदीपोरा में अशांति के बावजूद खेल जारी रखा

पूर्व मार्शल आर्ट्स चैम्पियन फैसल अली डार जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में रहते हैं। यहीं उन्होंने एक एकेडमी भी शुरू की है, जिसमें वर्ल्ड किक-बॉक्सिंग चैम्पियन तजामुल इस्लाम और कराटे चैम्पियन हासिम मंसूर जैसे युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। बांदीपोरा एक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। फैसल को भी अपने करियर की शुरुआत में सामाजिक और राजनीतिक तौर पर काफी संघर्ष करना पड़ा था। यह बात उन्होंने एक इंटरव्यू में कही थी।

जब इस क्षेत्र में अशांति रहती थी, तब भी उन्होंने ट्रेनिंग लेना और प्रशिक्षण देना बंद नहीं किया। मुश्किल हालात में भी एकेडमी चलाते रहने के कारण उनकी हर तरफ तारीफ भी होती रही है। यही कारण है कि ‘खेल और शांति’ में फैसल को डॉ। बीआर अम्बेडकर नेशनल अवॉर्ड भी दिया गया था।

मेरे दादा की सलाह पर चलता हूं, सफलता मिलती गई

फैसल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं अपने दादाजी की सलाह पर ही चलता हूं। यही मेरी सफलता का राज भी है। दादाजी हमेशा कहते थे कि आप जो भी करो, उसे पूरी शिद्दत के साथ करो। यदि आपका इरादा गलत नहीं है, तो आपको सफलता जरूर मिलती है। मैंने जब अपनी एकेडमी शुरू की थी, तब मेरा इरादा सिर्फ युवाओं को अच्छी ट्रेनिंग और कश्मीर में खेल को बढ़ावा देना था। शुरुआत में मुझे बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन दादाजी की बातों ने मुझे आत्मबल दिया और मुझे सफलता मिली।