बाइस रजब ये तरीख़ इस्लामिक कैलेंडर में महत्तवपूर्ण स्थान रखती है। मशहूर वैज्ञानिक,दार्शनिक,चिंतक और ईमाम हज़रत जाफर सादिक रजि अल्लाहु अन्हो का इस तारीख़ के रोज़ ज़िक्र ज़रूरी है। आज लोग इमाम जाफर रजि अल्लाहु अन्हो की याद में 22 रजब की नज़्र करते हैं। उन्हें जानिए ज़रूर,उनके बारे में लोगों को बताइये की वह कौन थे,अपने बच्चों को बताइये ताकि वह पढ़ाई की अहमियत समझें।
इमाम जाफर अल सादिक रजि अल्लाहु अन्हो मौला अली रजि अल्लाहु अन्हो की चौथी पीढी में थे।उनके वालिद इमाम मोहम्मद बाक़र रजि अल्लाहु अन्हो खुद वैज्ञानिक थे और मदीने में अपना मदरसा जो आजके स्कूल कॉलेज की शक्ल का सा था,उसे चलाते हुए सैंकडों बच्चों को पढ़ाते थे।अपने पिता के बाद जाफर अल सादिक ने यह ज़िम्मेदारी संभाली और अपने शागिर्दों को कुछ ऐसी बातें बताईं जो इससे पहले किसी ने नही बताई।
उन्होंने अरस्तू की चार मूल तत्वों की थ्योरी से इनकार किया और कहा कि मुझे हैरत है कि अरस्तू ने कहा कि दुनिया में केवल चार तत्व हैं, मिटटी, पानी, आग और हवा। मिटटी खुद तत्व नहीं है बल्कि इसमें बहुत सारे तत्व हैं।इसी तरह जाफर अल सादिक ने पानी, आग और हवा को भी तत्व नहीं माना।हवा को भी तत्वों का मिश्रण माना और बताया कि इनमें से हर तत्व सांस के लिए ज़रूरी है। मेडिकल साइंस में इमाम सादिक ने बताया कि मिटटी में पाए जाने वाले सभी तत्व मानव शरीर में भी होते हैं। इनमें चार तत्व अधिक मात्रा में, आठ कम मात्रा में और आठ अन्य सूक्ष्म मात्रा में होते हैं।
उन्होंने बताया, “जो पत्थर तुम सामने गतिहीन देख रहे हो, उसके अन्दर बहुत तेज़ गतियाँ हो रही हैं। उसके बाद कहा, “यह पत्थर बहुत पहले द्रव अवस्था में था।आज भी अगर इस पत्थर को बहुत अधिक गर्म किया जाए तो यह द्रव अवस्था में आ जायेगा। ऑप्टिक्स का बुनियादी सिद्धांत ‘प्रकाश जब किसी वस्तु से परिवर्तित होकर आँख तक पहुँचता है तो वह वस्तु दिखाई देती है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थिर नहीं है। सब कुछ गतिमान है। ब्रह्माण्ड के बारे में एक रोचक थ्योरी उन्होंने बताई कि ब्रह्माण्ड हमेशा एक जैसी अवस्था में नहीं होता। एक समयांतराल में यह फैलता है और दूसरे समयांतराल में यह सिकुड़ता है।
उनके मशहूर शागिर्दों में जाबिर इब्ने हय्यान , इमाम अबू हनीफ, मालिक इब्न अनस थे।जिन रवायतो को आप मज़ाक बताते हैं उन्हीं ने आज उनको ज़िंदा रखा है वरना ढूंढते रहते अरबी फ़ारसी की किताबों में।कई बार रवायतें इसी लिये डाली जाती हैं की शख्सियतें और उनके काम पीढ़ी दर पीढ़ी नीचे पहुँच जाए।यह तरीके वोह नही समझेंगे जो एक झटके में सब खत्म कर देना चाहते हैं।
हम सभी धर्म के लोगों से कहते हैं की अपने बीच से अच्छे लोगों के किस्से आम करो। वह ही समाज की मशाल हैं। हमे भी इमाम जाफ़र ही रास्ता दिखाएंगे। इतने महान वैज्ञानिक और विचारक को याद करने वाले भले कोई भी तरीका अपनाएँ,मगर याद तो रखें।
इस लेख को पढ़कर सुनाइये औरों को ताकि लोग जान जाएं,तुम्हारे बीच कौन कौन से सूरज हुए हैं, जिनके आगे दुनिया झुक जाया करती थी। यह आख़री नही थे,तुम्हे इन रास्तों को दूर तक ले जाना है। जब दुनिया परेशान हो,तो तुम परेशान मत हो,बल्कि परेशानी का हल ढूंढो। विज्ञान पढ़ो,समझो और दर्द के ईलाज खोजो,जैसे तुम्हारे पुरखे खोजते थे, इमाम जाफर सादिक को मानते हो तो इंसान की ज़िंदगी आसान करने में लगो।
(लेखक जाने माने इस्लामिक स्कॉलर हैं)