Latest Posts

नरेला के क्वॉरेंटाइन सेंटर से 40 दिन बाद घरों को भेजे गए ये जमाती, तो कर्मचारियों की खुशी से नम हुईं आंखें

आलोक कुमार मिश्रा

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

दिल्ली में आज आंधी तूफान आया, जब यह गुजर गया तो उसके बाद क्वॉरेंटाइन सेंटर नरेला में भावनाओं और खुशियों का पल आया है। यहां पर क्वॉरेंटाइन किये गए दस जमातियों को घर भेजा जा रहा है। नीचे से नाम लेकर हम माइक में नाम अनाउंस कर रहे हैं तो और दिनों के मुकाबले हमारी आवाज़ में भी खनक ज्यादा है। आखिर वही रोज के खाना, दवा, सामान लेने-देने मुकाबले यह अलग तरह की सूचना जो है।

यह उत्साह दूसरी तरफ तो और भी कई गुना ज्यादा है। कल शाम जबसे इन्हें फोन पर सूचना दी गई है, ये लोग तबसे कई बार फोन पर पूछ चुके हैं कि ‘कब बुलाओगे?’ आज जब नाम बुला रहे हैं तो वो भी उत्सुकता दिखा रहे हैं जिनका जाने की लिस्ट में नाम नहीं भी है। इधर जिसका नाम बुलाया उधर जनाब बैग- सामान सहित हाजिर। एक को विदा देने आसपास के कमरों के कई लोग साथ में। सबकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव है तो हमारी तरफ से इस प्रेमालाप पर कोई बंदिश भी नहीं। महिलाएं नीचे नहीं आईं हैं तो बालकनी से ही उचक-उचक कर और देखकर हाथ हिला रही हैं। चेहरे की चमक देखते ही बनती है आज इन लोगों की।

पर सरकारी प्रक्रिया तो इतनी तेज तर्रार नहीं है न! उन्हें किनारे खड़ा होने को कह दिया गया है। फिर एक-एक को बाहर आगे की तरफ बुलाकर उनकी आई डी, फोन नंबर, पते आदि को वैरीफाई करने का काम किया जा रहा है। दस में से चार नाम के बाद ही एक अड़चन आ गई। ‘इकरार’ (बदला हुआ नाम) को बुलाया जा रहा है और वो नीचे नहीं आ रहा। दूसरे झल्ला रहे हैं कि ‘हमने कब का उसे बोला है पर अभी तक नहीं उतरा।’ एक चचा कह रहे हैं कि ‘जरूर लड़कियों की तरह सज रहा होगा। कमबख्त शीशे में घुसा रहता है।’ वो कह रहे हैं कि मेरा नाम बुला लो। हम कह रहे हैं ‘नहीं ऊपर से आई लिस्ट के हिसाब से सीरियल नंबर से वैरीफाई करके आगे भेजना है।’ एक-दो लोग तो नाम लेकर जोर से पुकार रहे हैं ‘अरे वो इमरान, कहाँ रह गया, जल्दी आ।’

लो जी आ गया इमरान। बिल्कुल हीरो इमरान हाशमी जैसा। बस चेहरे पर हल्की दाढ़ी और उससे ज्यादा गुलाबी चेहरा ही अलग है। लहराता-बलखाता अपना बैग लिए सबको चीरता वह आगे आ खड़ा हुआ। बाकी भी कोसने में वक्त जाया नहीं करना चाहते सो रास्ता देते हुए किनारे हो लिए।

दस्तावेज वैरीफाई हो जाने, फोटो खिंच जाने के बाद अब गाड़ी का इंतजार है। आज इन लोगों को हम कर्मचारियों के इतने नजदीक आने का मौका मिला है। बूढ़े चाचा को मैंने घर जाने की मुबारकबाद दी तो भावुक हो गये। खुशी के आँसू आँखों में भरकर उन्होंने इतने दिनों तक उन लोगों का ध्यान रखने के लिए शुक्रिया तो कहा ही, दुआओं की झड़ी भी लगा दी। उनके सुर में बाकियों ने भी सुर मिलाया। कसम से हम भी अब बहुत भावुक हैं। गौरतलब है कि ये लोग इकतीस मार्च से यहाँ क्वॉरेंटाइन थे।

(लेखक नरेला स्थित क्वॉरेंटाइन सेंटर में ड्यूटी पर तैनात हैं)