मेरे प्यारे भारतवासियों, हम सच में पाकिस्तान… हां बिल्कुल, आप सही सुन रहे हैं। हम सच में पाकिस्तान से ज्यादा संकीर्ण और नकारात्मक सोच के जाल में उलझते जा रहे हैं। एक तरफ भारत के मध्य प्रदेश में मस्जिद पर हमला होता है तो कहीं कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है। वहीं पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में मंदिर पर हमला होता है तो वहां की सरकार तुरंत एक्टिव होती है। सुप्रीम कोर्ट एक्टिव होता है। मानवाधिकार के संगठन सक्रिय होते है। पाकिस्तान सरकार के तमाम मंत्री एक लाइन में घटना की आलोचना करते हैं। सिविल सोसायटी के लोग इसकी आलोचना करते हैं। 26 लोगों की गिरफ्तारी होती है और 350 लोगों के खिलाफ केस दर्ज होता है।
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस स्वतः संज्ञान लेते हैं। 5 जनवरी को मामले पर अब कोर्ट में सुनवाई होगी। कोर्ट वहां के आईजी और मुख्य सचिव को समन किया है। सुप्रीम कोर्ट में चार जनवरी तक रिपोर्ट करने को कहा गया है। वहां की मीडिया भड़काऊ भाषण देने वाले मौलानाओं के बकायदा नाम लेकर बताती है कि यही लोग जनता को भड़काकर मंदिर पर हमला करवाए हैं।
दंगाईयों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लेकिन मध्य प्रदेश में क्या हो रहा है? ये हमें सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर हम उस देश के वासी जहां विभिन्न संस्कृतियों की सांझी विरासत है। हम उस देश के वासी हैं जिसने कभी पाकिस्तान जैसी धार्मिक कट्टरता नहीं चाही थी। हम उस देश के वासी हैं जिन्होंने सेक्यूलरिज्म और लोकतांत्रिक मूल्यों को जिंदा रखने के लिए संविधान की शपथ लेते हैं। हमें सोचना पड़ेगा कि क्या आज हम पाकिस्तान बनते जा रहे हैं? हमें सोचना पड़ेगा कि क्या हम धार्मिक कट्टरता की भंवर में उलझते जा रहे हैं?
(लेखक जामिया मिलिया इस्लामिया में रिसर्च स्कॉलर हैं, ये उनके निजी विचार हैं)