नई दिल्लीः नागरिक अधिकारों की सुरक्षा की लड़ाई लड़ने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) सीएए आंदोलन के दौरान सरकार और पुलिस की ओर से अपनाए गए दमनकारी रवैय्ये पर एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कांफ्रेंस में जारी की गई है। रिपोर्ट को एपीसीआर द्वारा “द स्ट्रगल फॉर इक्वल सिटिजनशिप इन उत्तर प्रदेश एंड इट्स कॉस्ट्स नाम दिया गया है।
ए गाथा ऑफ ऑम्निबस एफआईआर, लूट, गिरफ्तारी और मुस्लिम अल्पसंख्यक का उत्पीड़न” शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पब्लिक डोमेन में उपलब्ध सत्यापित जानकारी और कानूनी दस्तावेजों तक पहुंचने के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि, लगभग 5000 नामित व्यक्तियों और 100,000 से अधिक अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ इन विरोध प्रदर्शनों के संबंध में लगभग 350 एफआईआर दर्ज की गईं, जो राज्य पुलिस को किसी को भी फंसाने और प्रताड़ित करने का मुफ्त लाइसेंस देती है। इन मामलों में निर्दोष लोगों का अनावश्यक उत्पीड़न बड़ी तादाद में देखने को मिला ही जिसके अनेक प्रमाण हैं।
तीन हज़ार अवैध गिरफ्तारी
रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारे निष्कर्षों में सामने आया है कि लगभग 3,000 लोगों (मुख्य रूप से मुस्लिम) को निराधार आरोपों के तहत कानून की किसी भी उचित प्रक्रिया पालन न करते हुए अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था जिसमें से कई सीएए विरोधी प्रदर्शन शुरू होने के दो साल से अधिक समय के बाद भी अभी तक जेलों में बंद हैं। वर्ष 2019 में 19 दिसंबर को सीएए और एनआरसी के खिलाफ अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन के पहले आह्वान पर, राज्य प्रशासन ने विरोध करने के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करने से रोकने के लिए लगभग 3000 लोगों को ‘सावधानी’ नोटिस के साथ धमकाया था। उसी दिन लगभग 3305 लोगों को हिरासत में लिया गया जो दो दिनों के भीतर बढ़कर 5400 हो गए थे और कई लोगों को बाद में उसी प्राथमिकी में फंसाया गया जैसा कि ऊपर बताया गया है।
एपीसीआर द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के लिए 500 से अधिक वसूली नोटिस, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के, दस जिलों में अनुमानित 3.55 करोड़ रुपये के नुकसान के लिए मनमाने ढंग से जारी किए गए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अवैध और असंवैधानिक करार दिया है। कुछ लोग इन गैरकानूनी जुर्मानाों का भुगतान भी कर चुके हैं जैसे अकेले कानपुर जिले में, लगभग 15 परिवारों, ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर, कानूनी प्रक्रिया से अनभिज्ञ होने के कारण प्रत्येक परिवार 13,476 रुपये का भुगतान भी कर चुका है।
सरकार जारी करे आंकड़े
एपीसीआर ने कहा कि हम राज्य सरकार पर तत्काल सार्वजनिक डोमेन में आधिकारिक डेटा जारी करने के लिए दबाव बनाना चाहते हैं, जिसमें एफआईआर दर्ज की गई, गिरफ्तार किए गए, हिरासत में लिए गए, आरोपी, जमानत पर, कड़े आतंकवाद विरोधी कानूनों और अन्य कठोर कानूनों के तहत सीएए विरोधी के संबंध में दर्ज किया गया है। विरोध प्रदर्शन और उनका विवरण भी वसूली नोटिस भेजा गया था, संपत्तियों को कुर्क किया गया था और यदि कोई हो तो नीलाम किया गया था। सरकार को इन सभी मामलों की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करनी चाहिए। 1,00,000 से अधिक शांतिपूर्ण सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सभी मनगढ़ंत मामले राज्य सरकार द्वारा तुरंत और बिना शर्त वापस लिए जाने चाहिए।