मुंबई: आवास बाजार परामर्श कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया के अर्द्धवार्षिक एफार्डिबिलिटी सूचकांक के अनुसार अहमदाबाद,पुणे और चेन्नई में मकान खरीदना ग्राहकों की आय के अनुपात में सबसे वहनीय है। नाइट फ्रैंक की इस ताजा रिपोर्ट के अनुसार हाल में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर में दो बार में 0.90 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद जिस तरह से आवास ऋण महंगा हुआ है, उससे हर बड़े शहर में ग्राहकों के सामर्थ्य की दृष्टि से मकान खरीदना अधिक महंगा हुआ है।
नाइट फ्रैंक एफॉर्डिबिलिटी सूचकांक बाजारों में मकान की ईएमआई और ग्राहकों की आय के बीच के अनुपात का एक पैमाना है। शुक्रवार को जारी इस रिपोर्ट में में आठ प्रमुख शहरों में अहमदाबाद सबसे ज्यादा वहनीय बाजार है, जहां ईएमआई:आय अनुपात 22 प्रतिशत है। इसके बाद चेन्नई और पुणे -(दोनों 26-26 प्रतिशत) और कोलकाता (27 प्रतिशत) का स्थान है। इसके बाद एनसीआर (30 प्रतिशत), हैदराबाद (31 प्रतिशत) और मुंबई (56 प्रतिशत) का स्थान है।
पिछले वर्ष अहमदाबाद में मकान की औसत मासिक किस्त ग्राहक के आय के 20 प्रतिशत के बराबर थी। पुणे और चेन्नई में यह अनुपात क्रमश 24 प्रतिशत और प्रतिशत था तथा कोलकाता में 25 प्रतिशत था। इसी तरह पिछले वर्ष मुंबई में ईएमआई:आय अनुपात 53 प्रतिशत, बेंगलूरू में 26 प्रतिशत और एनसीआर में 28 प्रतिशत था।
नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, “आवास ऋण की दरों में वृद्ध से मकानों के मूल्य की वहनीयता बिगड़ी है। देश के प्रमुख बाजारों में ग्राहकों की आय की दृष्टि में मकानों की औसतन वहनीयता दो से तीन प्रतिशत कम हुई है। हालांकि,दरों में बढ़ोतरी के बावजूद आवास बाजार काफी हद तक मुनासिब हैं। ”
उन्होंने कहा, “ घर के स्वामित्व के प्रति भावनाओं में सकारात्मक बदलाव के साथ, हम उम्मीद करते हैं कि बाजार में छुपी मांग के समर्थन के साथ घरों की मांग बनी रहेगी। इसके अलावा, मजबूत आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं, वित्तीय स्थिरता और नौकरी की सुरक्षा, संभावित खरीदारों की क्रय क्षमता में विस्तार जैसे कारकों के बरकरार रहने की उम्मीद है।”