शुतराणा पटियालाः पंजाब के जिला पटियाला की तहसील पातड़ा के गांव शुतराणा की ऐतिहासिक मस्जिद में 74 वर्षों के बाद मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के कायद व नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने नमाज अदा कराई। इस अवसर पर कारी मोहम्मद याकूब मंसूरपुरी, डॉक्टर नरेश सिंह, सरपंच गुरमुख सिंह, सरदार करनैल सिंह, मोहन लाल, लाली राम, अमरीक कौर उपस्थित रहे, ऐतिहासिक मस्जिद में इस अवसर पर गांव के हिंदू सिख भाई बहन भी एकत्रित हुए जिन्हें संबोधन करते हुए नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने कहा की आज का दिन बरकत और रहमत वाला है कि मुद्दातों के बाद खुदा के इस घर के दरवाजे एक बार फिर से हर एक के लिए खुल गए हैं।
उन्होंने कहा की गांव के लोगों ने आज जिस मोहब्बत और जोश के साथ हमारा साथ दिया उसे देख कर वो समय याद आ गया जब सन् 1857 में पंजाब के महान क्रांतिकारी बुजुर्ग इमाम उल आरफीन मौलाना शाह अब्दुल कादिर लुधियानवी यहां पहुंचे थे, और इस गांव के राजपूतों ने अपनी जान पर खेल कर उनके साथ अंग्रेजों की फौज का मुकाबला किया था, वर्णनयोग है की भारत की 1857 में पंजाब की इंकलाबी फौंजों को लेकर मौलाना शाह अब्दुल कादिर लुधियानवी दिल्ली गए थे जहां वो मुगल जरनैल बख्त खान के साथ मिल कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़े।
उसी समय शाह जी ने अंग्रेजों के खिलाफ पहला फतवा भी दिया, स्वतंत्रता संग्राम में इन्ही दिनों शाह जी दिल्ली से वापसी पर शुतराणा आए थे और आप ने इस गांव में लगभग दो साल बिताए सन् 1860 में जब शाह जी अपने परिवार और मुरीदों के साथ लुधियाना के लिया रवाना होने लगे तो आपका देहांत शुतराणा से बाहर निकलते ही दो तीन मील की दूरी पर हो गया था , आपका मजार वहीं पर सड़क के निकट एक खेत में बनाया गया जो कि आज भी वहां मौजूद है।
नायब शाही इमाम ने कहा कि जंग ए आजादी में इस गांव का बड़ा योगदान है , इस सुनहरी इतिहास से नई नस्ल को अगवत करवाना जरूरी है , याद रहे की इस एतिहासिक मस्जिद में शाह जी और उनके परिवार के सदस्य जिनमें मशहूर इस्लामी विद्वान मौलाना शाह मुहम्मद लुधियानवी का नाम शामिल है नमाज अदा करवाते रहे , यह मस्जिद तकरीबन तीन सौ साल पुरानी है जो की 1947 के बाद से बंद पड़ी थी मस्जिद की देख रेख बीते तीस चालीस वर्षों से अमरीक कौर (81) कर रही हैं, अब अमरीक कौर की देख रेख में मस्जिद की मरम्मत व कुछ नए हिस्से का निर्माण शुरू कर दिया गया है जिसके बाद इस एतिहासिक मस्जिद का उद्घाटन जल्दी ही किया जायेगा।