पिछले हफ़्ते बचपन के एक दोस्त से फ़ोन पर बात हुई. वो इलाहाबाद में रहता है. कहने लगा इस बार सपा ने ज़बर्दस्त टक्कर दी है. बीजेपी के लिए जीतना आसान नहीं है. दोस्त ज़मीन के क़रीब रहता है. वो बिज़नेसमैन हैं और उसके ग्राहक ज़्यादातर रूरल एरिया से होते हैं. इसलिए उसकी बात मैं ध्यान से सुनता हूँ. लेकिन फिर भी मैंने उसे कहा कि दस हज़ार मील दूर होते हुए भी मुझे यक़ीन है बीजेपी ही जीतेगी और भारी बहुमत से जीतेगी. नतीजे आने के बाद मैंने उसे फ़ोन लगाया तो वो हंसने लगा. मैंने कहा, भाई, अंग्रेज़ी में कहा गया है distance breeds objectivity. मेरे संपर्क में ग्रामीण लोग तो नहीं हैं लेकिन जितने मित्रों, रिश्ते-नातेदारों को मैं देख रहा हूँ उनका पिछले सालों में बीजेपी के प्रति कमिटमेंट बढ़ा ही है, घटा नहीं है. अपनी पत्नी से मैं रोज़ कहता रहा हूँ कि बीजेपी की ही जीत होगी.
एक दूसरे दोस्त लखनऊ में रहते हैं. ठाकुर हैं लेकिन जातिवाद विरोधी हैं. पुराने पत्रकार हैं. इंदिरा गाँधी के खिलाफ आंदोलन में थे. अपने जमाने में नामी स्टूडेंट लीडर थे. उनसे रोज़ बात हो रही थी. वो भी कह रहे थे कि सपा का पलड़ा भारी है. मैंने उनको भी यही कहा कि बीजेपी जीत रही है.
हैरत की बात ये है पिछले कई महीनों में बड़े से बड़े विश्लेषक भी असली मुद्दों पर बात करने को तैयार नहीं हो रहे थे. 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त मैं इलाहाबाद रहता था. मैंने अपने घर में झाड़ू-पोछा लगाने वाली से पूछा था कि किसको वोट दिया, तो उसने बताया बीजेपी कि क्योंकि “कौनो नदंन है जेका मोदीजी पकिस्तान से छुड़ा के लाइन हैं.” उसके जितना गरीब मैंने कम ही लोगों को देखा है. अंगूठा छाप है. घरों में काम करते हुए कमर झुक गई है. लेकिन महंगाई उसका मुद्दा था ही नहीं.
दरअसल यूपी का असली मुद्दा हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र है. मैं कम से कम तीस लोगों को जानता हूँ जिनसे घर में कोविड से मौत हुई. माँ, बाप, बेटा, बेटी, दामाद, बहू मरने के बाद भी हर कोई बीजेपी को वोट डाल कर आया है. क्योंकि एक एक आदमी को ये यक़ीन है कि मोदी भारत को हिंदू राष्ट्र बना देंगे.
2019 के बाद से मोदी ने बहुत बड़े बड़ा कमाल कर दिए हैं. 370 हटा दिया. CAA लगा दिया. सबसे बड़ी बात राम मंदिर बना दिया. और काशी विश्वनाथ मंदिर की तो ख़ैर सूरत ही पलट दी. बीजेपी का हर वोटर ये मानता है कि मोदी अब मथुरा और बनारस सी मस्जिद भी मंदिर में तब्दील कर देंगे.
और योगी भी पूरी तरह वोटर की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. लव जिहाद से हिंदुओं को योगी के अलावा कौन बचा रहा है? मुसलमान ख़ूँख़ार आतंकवादी है या बनने की कगार पर है. भारत और यूपी के हिंदू तब तक ख़तरे में रहेंगे जब तक मुसलमान पूरी तरह ख़त्म नहीं हो जाता है. और ये काम बीजेपी को छोड़ कर कोई नहीं कर सकता है. क्योंकि बाक़ी सब हिंदू विरोधी हैं. ये विश्वास व्यापक है.
पिछले आठ सालों में यूपी में बीजेपी ने दो लोक सभा चुनाव और दो विधान सभा चुनाव स्वीप किए हैं. बीजेपी का वोट शेयर चालीस परसेंट से ऊपर है. ऐसा रिकॉर्ड तो साठ सालों से कांग्रेस का नहीं है. यूपी में हिंदुत्व गहरा बैठ चुका है. जब तक विकास और महंगाई की राजनीति करेंगे विपक्ष वाले हारते ही रहेंगे. राजनीति विचारधारा से चलती है. और भारत में सिर्फ़ एक ही विचारधारा है: हिंदुत्व.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)