विश्वदीपक
क्या आप जानते हैं कि निखिल गांधी कौन है? शायद नहीं। क्योंकि कभी चर्चा में ही नहीं आया। आज भी चर्चा में नहीं है जबकि कायदे से होना चाहिए था। किसी ज़माने में कोलकाता से जाकर मुंबई में पान का पत्ता बेचा करता था। आज हजारों करोड़ की संपत्ति का मालिक है। उम्र सिर्फ 55-56 साल होगी। तरक्की का अंजादा लगा सकते हैं। मुंबई के सबसे पॉश कहे जाने वाले नेपियन सी इलाके में रहता है।
इसकी तारीफ़ में बहुत कुछ लिख सकता हूं क्योंकि रफाएल स्कैम कवर करके के दौरान इसका नाम सामने आया था। तब से फॉलो कर रहा हूं। लेकिन एक लाइन में कहूं तो फ्रॉड, लूट और झूठ पर आधारित विकास के जिस गुजरात मॉडल की चर्चा आज से कुछ साल पहले देश में छाई रहती थी, निखिल गांधी उसका प्रतिनिधि चेहरा है।
पान बेचते-बेचते कुछ ही सालों के अंदर खिलौना और खिलौने के अंदर रखकर बहुत कुछ बेचने लगा। कुछ समय तक इसने इंडियन नेवी को झाड़ू-पोंछा की भी सप्लाई की थी। फिर इसकी मुलाकात हुई धीरूभाई अंबानी से। धीरूभाई ने निखिलभाई को भेजा चिमन भाई के पास। सलाह दी कि गुजरात के पीपावाव में बंदरगाह बनाओ, भविष्य का धंधा यही है। बंदरगाह की मंजूरी तुरत मिल गई। बंदरगाह बन भी गया।
निखिलभाई के पिताजी पीपीवाव के ही थे जो बाद में काम की तलाश में कोलकाता गए थे। कल उसी पीपावाव बंदरगाह से 450 करोड़ की हेरोइन बरामद की गई है। अनिल अंबानी के साथ निखिलभाई की पीपावाव में एक तस्वीर भी है। कहा जाता है कि बंदरगाह से ड्रग्स की तस्करी पिछले कई दशकों से चल रही थी। कल पकड़ा गई। कंगाल हो चुके अनिल अंबानी ने शायद 2015 में पीपावाव बंदरगाह खरीदा था। कॉकस देखिए।
तीन महीने पहले जनवरी में निखिलभाई के घर पर ED का छापा पड़ा। हैरान मत होइएगा। सिर्फ 30 करोड़ के गहने, जेवरात बरामद बरामद हुए। दो-तीन पोस्ट पहले बता चुका हूं कि गुजरात से पिछले सात महीने के अंदर करीब 30 हज़ार करोड़ की ड्रग्स बरामद हो चुकी है। याद ही होगा कि अडानी के मुंद्रा पोर्ट से 21 हज़ार करोड़ की ड्रग्स सितंबर 2021 में बरामद हुई थी। मुंद्रा पोर्ट भी गुजरात में ही है। निखिल भाई और अडानी भाई भी गुजराती हैं।
सवाल यह है कि गुजरात का पाब्लो एस्कोबार या एल चापो कौन है? इतना ज्यादा ड्रग्स भारत में बगैर किसी स्थापित नेटवर्क के क्या आ सकता है? क्या बिना राजनीतिक संरक्षण के ड्रग्स कार्टेल चल सकता है? नहीं। फिर संरक्षण देने वाला कौन है?
(लेखक पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)