बेंगलुरु: कर्नाटक में मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनने के अधिकार के लिये संघर्ष कर रही हैं। हिजाब को लेकर सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा कई बार अनर्गल टिप्पणियां की गईं हैं। इसी बीच कर्नाटक से ऐसी भी ख़बरें आईं जब हिजाब पहनने वाली छात्राओं ने नये कीर्तिमान स्थापित कर साबित किया कि हिजाब तरक्की की राह में रुकावट नहीं है। बुशरात मतीन ने 16 मेडल जीतकर यही साबित किया था, अब इस कड़ी में इल्हाम का नाम भी जुड़ गया है।
हिजाबी छात्रा इस समय सोशल मीडिया पर ट्रेंड मे हैं। इल्हाम ने 12th में कर्नाटक में सेकंड रैंक लाई हैं। इसकी वजह से वो सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही हैं। बता दें कि स्कूलों में हिजाब पर बैन को कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैसला दिया था। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पड़ा हुआ है। इल्हाम ने कर्नाटक बोर्ड प्री-यूनिवर्सिटी सर्टिफिकेट एग्जाम (Karnataka second Pre-University Certificate-PUC 2022) में राज्य में सेकंड रैंक हासिल की है।
मंगलुरु स्थित सेंट एलॉयसियस पीयू कॉलेज में साइंस की स्टूडेंट इल्हाम को 600 में से 597 अंक हासिल हुए। इसके बाद से इल्हाम की मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है। (तस्वीर में पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल फादर क्लिफर्ड सिकेरा इल्हाम से हाथ मिलाते हुए)
जानकारी के लिये बता दें कि PUC का रिजल्ट 18 जून को आया था। इसमें कुल 61.88% छात्रों ने परीक्षा पास की है और हमेशा की तरह लड़कियों ने लड़कों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। परीक्षा देने वाले कुल 5,99,974 छात्रों में से 4,02,697 पास हुए हैं। इल्हाम की सेकंड पॉजिशन आने पर हिजाब पर लगे बैन को लेकर फिर से चर्चा होने लगी है।
क्या कहती है इल्हाम
अपनी कामयाबी पर इल्हाम ने मुस्कुराते हुए कहा कि “कक्षा 10 दिनों के बाद से, मैंने खुद को पूरी तरह पढ़ाई पर केंद्रित किया, मैं क्लिनिकल साइकोलॉजी में अपना करियर बनाना चाहती हूं।” इल्हाम के पिता मोहम्मद रफ़ीक़ एक रिटेल चेन आउटलेट में मैनेजर हैं, इल्हाम उनकी छोटी बेटी है।
इल्हाम ने कहा कि चूंकि वह दूसरी पीयू परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार थीं, इसलिए उन्हें लगभग दो वर्षों के अंतराल के बाद सार्वजनिक परीक्षा लिखने में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। “मुझे हमारे शिक्षकों से अच्छा समर्थन मिला। मैंने प्री-बोर्ड परीक्षा में भी अच्छा प्रदर्शन किया था।
क्या है हिजाब विवाद
कर्नाटक में तीन महीने से लंबे समय तक चले हिजाब विवाद पर 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने साफ कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने की इजाजत देने से मना कर दिया। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। हालांकि अभी इस पर सुनवाई नहीं हुई है।
चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने मामले को स्वीकार करते हुए कहा था कि जल्द इस मामले में सुनवाई होगी। पिछले दिनों कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बावजूद कॉलेज में हिजाब पहनने की परमिशन मांगने को लेकर धरना देने वालीं 23 मुस्लिम लड़कियों को कॉलेज कमेटी ने सस्पेंड कर दिया था। मंगलुरु के उप्पिनंगडी गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज में पढ़ने वालीं इन लड़कियों ने हंगामा किया था। पहले भी हिजाब के समर्थन को लेकर प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स पर कार्रवाई हो चुकी है।