बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय की वृहत पीठ ने गुरुवार को कॉलेजों में हिजाब पहनकर छात्राओं के कक्षाओं में प्रवेश की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया और हिजाब विवाद पर सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी।
मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने कहा, “हम इस मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला देने के लिए तैयार हैं, लेकिन तब तक हमें लगता है कि शांति बहाल होनी चाहिए। इस दौरान छात्रों को धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर नहीं देना चाहिए,यह उनके लिए उपयुक्त नहीं हैं।” याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता देवदत्त कामत ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह छात्रों के अधिकारों पर रोक लगाने जैसा होगा।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “यह कुछ दिनों की बात है और उन्हें अदालत का सहयोग करना चाहिए। हम मामले की सुनवाई अवधि के दौरान सभी धार्मिक क्रियाकलापों को करने से रोकेंगे।” सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अवस्थी ने अधिवक्ता कामत की दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पीठ को लगता है कि अब स्थिति समाप्त हो चुकी है क्योंकि एकल पीठ ने मुद्दे को वृहत पीठ के समक्ष भेज दिया है।
एकल पीठ के न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने कल इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि इस मामले में महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं अत: इसे वृहत पीठ को सौंप दिया जाना चाहिए। अदालत में इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
राज्य सरकार ने क्या कहा?
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री नागेश बीसी ने कॉलेज प्रशासन का समर्थन करते हुए कहा है कि परिसर में भगवा गमछे और हिजाब दोनों ही पर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि छात्रों को कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं और प्रदर्शन के लिए उकसा रहे हैं. मुख्यमंत्री बासवराज एस बोमई और राज्य के गृह मंत्री ने छात्रों के साथ ही सभी लोगों ने शांति बनाए रखने की अपील की है.