लखनऊः कर्नाटक के उडुपी से शुरू हुआ हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने गैर भाजपाई दलों पर निशाना साधा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर मुईन अहमद खान ने कहा है कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने की कोशिश में लगे पूर्व मुख्यमंत्री व सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पत्र का उत्तर देना भी उचित नहीं समझा। मुस्लिमों का उन्हें पूरा मत समर्थन चाहिए। यही स्थिति बसपा व कांग्रेस की रही इन्होंने भी आज तक कोई जवाब नहीं दिया। भाजपा से तो जवाब की उम्मीद भी नहीं थी।
उन्होंने बताया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम समुदाय के बुनियादी मुद्दों पर अक्तूबर 2021 में देश के सभी राजनीतिक दलों, सांसदों, विधायकों को पत्र लिखकर स्थित स्पष्ट करने की मांग की थी। मगर राष्ट्रीय लोकदल के चौधरी जयंत चौधरी और एक सांसद के अलावा किसी ने अब तक पत्र का उत्तर देना उचित नहीं समझा।
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. मुईन अहमद खान ने कहा कि सबसे अधिक अफसोस इस बात का है कि मुस्लिम समुदाय का खैरख्वाह बनने का दावा करने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव मुस्लिमों की माब्लिंचिंग हो या ट्रिपल तलाक के बहाने संविधान प्रदत्त अधिकारों पर लगातार हो रहे हमलों पर वह मौन रहते हैं।
विधानसभा चुनाव में मुस्लिमो के एक भी मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में स्थान नही देते है क्या वह केवल उन्हें अपना गुलाम वोट बैंक समझते है इसका जवाब तो सपा को देना चाहिये,भाजपा की दमनकारी सरकार को हटाने के नाम पर हमको बार बार छला जाता है। बदले में हमारे मुद्दों की खुलेआम अनदेखी होती है। उन्होंने कहा जिस तरह दलित व पिछड़े समुदाय की सभी दल चिंता कर रहे है और मुस्लिम समुदाय के गम्भीर मुद्दों पर मौन धारण किये हुए है वह देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के लिये चिंता का विषय होने के साथ राष्ट्र को कमजोर करने की एक साजिश है।