हिजाब विवाद: सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के कुछ कॉलेजों द्वारा हिजाब पहनने पर लगाये गये प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम छात्राओं की ओर दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी तथा न्यायाधीश कृष्ण एस. दीक्षित और जेएम काजी की तीन सदस्यीय पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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पीठ ने पक्षों से लिखित दलीलें पेश करने को कहा। न्यायालय ने पहले एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें छात्रों को निर्देश दिया गया था कि वे राज्य के कॉलेजों में कक्षाओं में भाग लेने के दौरान हिजाब, भगवा शॉल (भगवा) या किसी भी धार्मिक झंडे का उपयोग न करें, जहां पहले से एक यूनीफॉर्म निर्धारित है।

याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक अपील भी दायर की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने अभी तक उस पर सुनवाई नहीं की। उच्च न्यायालय के समक्ष मामले की सुनवाई पहले न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की एकल पीठ कर रही थी, जिन्होंने यह कहते हुए इसे नौ फरवरी को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया कि मामले में महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।

क्या है हिजाब विवाद

31 दिसंबर 2021 को कर्नाटक के उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर आईं छह छात्राओं को क्लास में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। जिसके बाद कॉलेज के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया। इसके बाद 19 जनवरी 2022 को कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं, उनके माता-पिता और अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। फिर 26 जनवरी 2022 को एक और बैठक हुई। उडुपी के विधायक रघुपति भट ने कहा कि जो छात्राएं बिना हिजाब के नहीं आ सकतीं, वो ऑनलाइन पढ़ाई करें।

भगवा गमछाधारी छात्र और हिजाब पहने छात्राएं आमने सामने

कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद एक जनवरी को शुरू हुआ था। यहां उडुपी में छः मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कॉलेज में क्लासरूम में बैठने से रोक दिया गया था। कॉलेज मैनेजमेंट ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी को इसकी वजह बताया था। इसके बाद इन लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। लड़कियों का तर्क है कि हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है।

जानकारी के लिये बता दें कि कर्नाटक के कुंडापुरा कॉलेज की 28 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास अटेंड करने से रोका गया था। मामले को लेकर छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा था कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य है, इसलिए उन्हें इसकी अनुमति दी जाए। इन छात्राओं ने कॉलेज गेट के सामने बैठकर धरना देना भी शुरू कर दिया था।

छात्राओं के हिजाब पहनने के विरोध में कुछ हिंदुत्तववादी संगठनों ने ‘छात्रों’ को कॉलेज परिसर में भगवा गमछा पहनने को कहा था। वहीं, हुबली में दक्षिणपंथी संगठन श्रीराम सेना ने कहा था कि जो लोग बुर्का या हिजाब की मांग कर रहे हैं, वे पाकिस्तान जा सकते हैं। ये सवाल भी उठाया गया था कि हिजाब पहनकर क्या भारत को पाकिस्तान या अफगानिस्तान बनाने की कोशिश की जा रही है?