नई दिल्लीः पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की ओर से पारित एक प्रस्ताव में कहा गया कि कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध और इससे जुड़े विवाद मुस्लिम पहचान पर एक नया हमला और अल्पसंख्यकों की धार्मिक आज़ादी का इंकार है। वहीं यह लोगों के अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहनने की व्यक्तिगत आज़ादी का भी इंकार है। यह यूनिफार्म के नाम पर एकरूपता को थोपने का प्रयास है।
नए सांस्कृतिक तौर-तरीक़ों को लाने की कोशिशें की जा रही हैं ताकि न्यायपालिका पर मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी के ख़िलाफ फैसला सुनाने का दबाव बनाया जा सके। दुनिया भर में मुस्लिम महिलाएं सदियों से अपने सर पर दुपट्टा या हिजाब बांधती आ रही हैं जो उनकी पहचान का हिस्सा है। लेकिन कर्नाटक में एक क्रूर और नफरत भरी परिस्थिति पैदा कर दी गई है और राज्य के कुछ शिक्षण संस्थानों की ओर से मुस्लिम बच्चियों को शिक्षा और अपनी पहचान में से किसी एक को चुनने पर मजबूर किया जा रहा है। जब ये बहादुर बच्चियाँ अपने अधिकार के लिए मज़बूती से खड़ी हुईं, तो हिंदुत्व लड़कों के द्वारा उन्हें भयभीत करने और उनका रास्ता रोकने की कोशिश भी की गई। सैकड़ों लड़के और लड़कियाँ अपने ही साथी छात्रों की धार्मिक आज़ादी के अधिकार के ख़िलाफ सड़कों पर आने लगे और अपने अधिकारों की मांग करने पर महिलाओं को परेशान करने लगे, जो कि एक सभ्य समाज के लिए बड़ी शर्मनाक बात है। पूरी तरह से नफरत से भर दी गई यह भीड़ विश्व भर में देश की छवि ख़राब करने का काम कर रही है।
ऐसा प्रतीत होता है कि मुस्लिम बच्चियों पर प्रतिबंध लगाने वाले ये संस्थान मुस्लिम विरोधी ताक़तों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों से मुस्लिम प्रतीकों के ख़िलाफ जान बूझकर असहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा रहा है। संघ परिवार के द्वारा हलाल खाने और मुसलमानों की इबादतों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं और अब वे मुस्लिम महिलाओं के इस्लामी लिबास को निशाना बना रहे हैं। एक प्रभाव बनाया जा रहा है कि देश में मुसलमान होना ठीक नहीं है। उनके अंदर नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और देश के बहुलवादी सामाजिक ताने-बाने का ज़रा भी लिहाज़ नहीं है। फासीवाद का असल चेहरा यही है।
हमारा देश और यहाँ के संस्थानों ने हमेशा से सभी आस्थाओं के प्रति सम्मान और समावेश का रवैया अपनाया है और इस तरह वे विविधताओं के बावजूद एक ख़ूबसूरत एकजुटता क़ायम करने में सफल रहे हैं। सभी आस्थाओं के लोगों को आज भी अपनी पहचान से समझौता किए बिना शिक्षा हासिल करने और सार्वजनिक जीवन में शामिल होने की पूरी आज़ादी है। इसलिए हिजाब के ख़िलाफ कोई भी फैसला मुसलमानों को शिक्षा और सार्वजनिक जीवन से दूर करने और निकालने के बराबर होगा। पॉपुलर फ्रंट मुस्लिम बच्चियों के संघर्ष का समर्थन करता है और यह उम्मीद करता है कि कर्नाटक हाईकोर्ट स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनने के उनके अधिकार को बहाल करेगा और उन बच्चियों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।