उच्च न्यायालय ने नहीं दी अर्णब को कोई राहत, जानिये कोर्ट ने क्या कहा?

मुंबईः  बम्बई उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्णब गोस्वामी को शुक्रवार को भी कोई राहत नहीं दी। खंडपीठ के न्यायाधीश एस एस शिंदे और न्यायाधीश एम एस कार्णिक ने आज कहा,” इस मामले में शनिवार को भी सुनवाई जारी रहेगी और हम इस मामले में कल 12 बजे भी सुनवाई करेंगे।”

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अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और शिकायतकर्ता अदन्या नाईक के पक्ष को कल सुना जायेगा। रायगढ़ की पुलिस ने सत्र अदालत के सामने चुनौती पेश की है और गोस्वामी ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है। अर्णब गोस्वामी के वरिष्ठ वकील अबाद पोंडा ने अदालत में जिरह करते हुए कहा कि गोस्वामी की गिरफ्तारी गैर कानूनी है क्योंकि बिना अदालत के आदेश के, पुलिस स्वयं संज्ञान ले कर कोई भी मामला खोल नहीं सकती। हालांकि वर्ष 2019 में मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट के आधार पर इस मामले को बंद करने का आदेश दिया था।

उन्होंने अपने जिरह के दौरान कई अदालतों के उदाहरण भी पेश किये। अदालत ने राज्य सरकार के वकील को भी सुना जिन्हों तकनीक के आधार पर कहा कि याचिकाकर्ता को पहले सत्र अदालत जाना चाहिए फिर उच्च न्यायालय में आना चाहिए था। इस मामले में अदालत में कल भी सुनवाई जारी रहेगी। बता दें कि इससे पहले अदालत में अर्णब ने मुंबई पुलिस पर आरोप लगाया था कि उनके साथ मार पीट की गई है, जिसके बाद अदालत ने अर्णब की मेडिकल टेस्ट दोबारा कराया, लेकिन रिपोर्ट में मार पीट के साक्ष्य नहीं मिले थे।

बता दें कि 53 साल के इंटिरियर डिज़ाइनर ने अपने सुसाईड नोट में आरोप लगाया था कि वो और उनकी माँ ने इसलिए जीवन ख़त्म करने का फ़ैसला लिया क्योंकि अर्नब के साथ फ़िरोज़ शेख और नीतेश सारदा ने 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया था। फ़िरोज़ और नीतेश अलग-अलग फ़र्म के मालिक थे।