यह घटनाक्रम शुरू होता है 15 सितंबर को, गुजरात के तट के पास से एक ईरानी नौका समुन्दर में देखी जाती है ‘‘जुम्मा’’ नामक नौका इस बड़ी नाव में सात लोग ड्रग्स की तस्करी करते हुए गुजरात राज्य ATS और तटरक्षक द्वारा चलाए एक संयुक्त अभियान अभियान में पकड़े जाते हैं, बीच समुद्र में 30 किलोग्राम हेरोइन की खेप को पकड़ा जाता है और बोट व सात तस्करों को गिरफ्तार कर लिया जाता है, नाव से कुल डेढ़ सौ करोड़ की हेरोइन जब्त की जाती है। वाहवाही के लिए तत्काल उसी दिन प्रेस के लिए यह सूचना रिलीज कर दी जाती है।
अब यहीं से कहानी में ट्विस्ट आता है चूँकि नाव की जब्ती का ऑपरेशन देर रात तक चलता है सातो लोगो से सख्ती से पूछताछ करने पर वह बताते है कि माल तो ओर भी है जो पोर्ट पर पुहंच चुका है। पर उस वक्त तक प्रेस रिलीज जा चुकी होती है और यह बात भी उसमे चली जाती है कि ड्रग्स की सही मात्रा एक बार नाव के पास के बंदरगाह पर लंगर डालने और तलाशी लेने के बाद पता चलेगी, तटरक्षकों को भी लगता है कि बहुत ज्यादा माल नही होगा।
लेकिन जब अगले सच्चाई पता चलती है कि नाव से पकड़ा गया माल मुंद्रा पोर्ट पर रखे गए माल का केवल एक परसेंट है ओर पोर्ट पर रखा हुआ माल का पैकेज कुल 3000 किलो है जिसकी कीमत 21 हजार करोड़ है तो सब हैरान रह जाते हैं चूंकि प्रेस में वह बता चुके थे कि ओर माल पकड़ा जाना है इसलिए यह खुलासा करना ही पड़ता है कि माल अडानी के निजी पोर्ट मुंद्रा से पकड़ाया है।
जब पुलिस जाँच होती है तो पता लगता है कि यह माल दिल्ली की तरफ जाने वाला था, यह भी पता लगता है कि जिस विजयवाड़ा के आशी ट्रेडिंग कंपनी के आयात किए गए टेल्कम पाउडर पैकेज की शक्ल में यह 3 टन माल आया है वैसा ही 25 टन माल जून में भी आ चुका है, गिरी से गिरी हालत में इस 25 टन तथाकथित टेल्कम पावडर का मूल्य 72 हजार करोड़ होना चाहिए।
यहाँ ये खबर भी बता देना समीचीन है कि जुलाई 2021 के पहले हफ्ते में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2500 करोड़ रुपए की 354 किलो हेरोइन जब्त की थी ड्रग्स अफगानिस्तान से आई थी। उन्हें छिपे हुए कंटेनरों में समुद्र के रास्ते मुंबई से दिल्ली ले जाया गया। इसके पहले मई महीने में भी दिल्ली पुलिस ने हेरोइन की बड़ी खेप बरामद की थी. करीब 125 किलो हेरोइन के साथ दो अफगानिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था.
जिस आशी ट्रेडर्स के आयात निर्यात के लाइसेंस पर यह माल मंगाया जा रहा था उनके मालिक पति पत्नी की तो कोई ओकात ही नही है कि वह इतनी बड़ी डील करने की हिम्मत भी करे, यानी एक पूरा ड्रग कार्टेल है जो यह माल मंगा रहा है डिस्ट्रीब्यूशन कर रहा है, ओर दिल्ली पुलिस की जुलाई में की गई कार्यवाही से यह स्पष्ट है कि यह सिलसिला काफी महीनों से चल रहा है, बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी ड्रग डील के पीछे कौन।लोग है क्या वे कभी सामने आएंगे। इतनी बड़ी ड्रग डील के सामने आने पर ओर एक बड़ा सवाल उठता है कि जैसे लैटिन अमेरिका के देशों में ड्रग लार्ड वहाँ की राजनीति पर हावी हो चुके हैं वैसे ही कही अंदरखाने में यहां भी भी तो नही हो गया है?
(लेखक पत्रकार एंव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)