दिल्ली और हरिद्वार में दो कार्यक्रमों के दौरान मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ और हिंसा के लिए उकसावे वाले बयान देने के बाद कई मुस्लिम शख़्सियत, नेताओं और संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा की है। उत्तराखंड के हरिद्वार में इस महीने की 17 तारीख़ से लेकर 19 तारीख़ तक एक ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था। वहाँ मौजूद लोगों के ‘विवादित भाषणों’ के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
Incitement to genocide is not routine
Decent societies don’t tolerate intolerant speech
Call to arms for a war against fellow citizens must not be ignored#HaridwarGenocidalSummit wasn’t ‘fringe’
This isn’t time to be shocked, it’s a time to actively counter radicalisation
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 24, 2021
कार्यक्रम के दौरान वक्ता ‘धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, 2029 तक मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने और हिंदू समाज को शस्त्र उठाने का आह्वान करने’ जैसी बातें करते नज़र आ रहे हैं। इसी तरह का कार्यक्रम देश की राजधानी दिल्ली में बीते रविवार को ‘हिन्दू युवा वाहिनी’ नामक संगठन ने आयोजित किया था। इस कार्यक्रम का भी वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है। इस वीडियो में भी एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ हिंसा और हिन्दुओं को हथियार उठाने के लिए शपथ दिलाई जा रही है।
#HaridwarGenocidalSummit is a blot on India’s integrity & threat to peace & harmony.
Yati Narsinghanand has the blessings of those in power, under whom these programs are being organized.
I request the hon’ble Supreme Court to take Suo Moto action of this unfortunate incident— Waris Pathan (@warispathan) December 24, 2021
लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके कहा है कि “नरसंहार के लिए उकसाना सामान्य नहीं है। सभ्य समाज असहिष्णु भाषण बर्दाश्त नहीं करते। अपने नागरिकों के ख़िलाफ़ युद्ध के लिए हथियार उठाने का आह्वान नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। हरिद्वार नरसंहार शिखर सम्मेलन ‘असामाजिक’ नहीं था। यह समय चौंकने का नहीं है बल्कि सक्रिय रूप से कट्टरवाद का मुक़ाबला करने का है।”
Uttarakhand cops haven’t named anyone else from #HaridwarGenocidalSummit. They say they received a complaint with only one person named. Complaint filed by @aimim_national Uttarakhand team named at least 4 people. Why aren’t the headliners of the event being named? 1/2 https://t.co/lQVUbhKM5P
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 24, 2021
जमीयत उलेम-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने इन भाषणों की निंदा करते हुए सरकार पर भी कोई कार्रवाई न करने को लेकर उसकी आलोचना की है। मौलान मदनी ने कहा, “मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ खुली धमकी देने पर भी सरकार के आंखें मूंद लेने की हम कड़ी निंदा करते हैं। ये देश में शांति और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए ख़तरा पैदा कर रहे हैं। मैं आयोजकों और विभिन्न वक्ताओं के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग करता हूं।”
उन्होंने देश के गृह मंत्री अमित शाह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने इस घटना को सरकार के लिए परीक्षा बताया है।
What the gathering in Haridwar did is not against minorities but against Sanatan Dharm. We stand in solidarity with a noble faith, unafraid and undaunted. India needs us to serve before self. Yet we hate the sin not the sinners
— Salman Khurshid (@salman7khurshid) December 24, 2021
उन्होंने अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिंदू’ से कहा है, “असामाजिक तत्व तेज़ी से मुख्यधारा बन रहे हैं और वो घोर नफ़रत भरे और सांप्रदायिक भाषण देने में सक्षम हैं। पुलिस, राज्य और केंद्र सरकार की यह परीक्षा है और हम देखेंगे कि आयोजकों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की जाती है। हमने जो देखा उससे बदतर कोई नफ़रत भरा भाषण नहीं हो सकता था। यह नरसंहार का सीधा आह्वान है।”
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान ख़ुर्शीद ने ट्वीट करके कहा है कि यह घटना अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि सनातन धर्म के ख़िलाफ़ है। उन्होंने लिखा, “हरिद्वार में जो सभा हुई वो अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि सनातन धर्म के ख़िलाफ़ थी। हम एक नेक विश्व के साथ, बिना डरे और साहसी होकर एकजुटता के साथ खड़े हैं। ख़ुद से पहले दूसरों की सेवा करने के लिए भारत हमें चाहता है। हम पाप से नफ़रत करते हैं, पापियों से नहीं।”
(बीबीसी के इनपुट से)