नई दिल्लीः समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली विभूतियों कोवर्ल्ड यूनानी दिवस के मौक़े पर महान स्वतंत्रता सेनानी हकीम अजमल ख़ान 2021 आवार्ड से सम्मानित किया गया। पुरुस्कार प्राप्त करने वालों में मशहूर पत्रकार अभिसार शर्मा, सैय्यद अकरम रहमान, वसीम अकरम त्यागी सहित यूनानी पद्धति के चिकित्सक भी शामिल थे। मसीह उल मुल्क हकीम अजमल ख़ान मैमोरियल सोसायटी द्वारा आयोजित इस सम्मान समारोह में लोकसभा सांसद कुंवर दानिश अली, बिहार के एमएलसी ख़ालिद अनवर, पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे, हिमालय ड्रग्स के डॉ. फारूख़, पद्मश्री डॉ. मोहसिन वली समेत कई गणमान्य हस्तियों ने शिरकत की।
मसीह उल मुल्क हकीम अजमल ख़ान मैमोरियल सोसायटी के संस्थापक और जनरल सेक्रेट्री डॉ. असलम जावेद ने समाज की इन विभूतियों के लिये आयोजित सम्मान समारोह के अवसर पर कहा कि मसीह उल मुल्क हकीम अजमल ख़ान मैमोरियल सोसायटी द्वारा प्रत्येक वर्ष महान स्वतंत्रता सेनानी हकीम अजमल ख़ान की याद में यह आवार्ड दिया जाता है। उन्होंने बताया कि मसीह उल मुल्क हकीम अजमल ख़ान मैमोरियल सोसायटी 1995 से लगातार इस सम्मान समारोह का आयोजन करती आ रही है. जिसमें अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों को अंजाम देने वाली हस्तियों को सम्मानित किया जाता है।
डॉ. असलम जावेद ने अपने संबोधन में यूनानी पद्धति को बढ़ावा देने की मांग करते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि हकीम अजमल ख़ान द्वारा दिल्ली के करोल बाग़ में स्थापित तिब्बिया कॉलेज को यूनिवर्सिटी बनाए। उन्होंने कहा कि पंचकुइयां रोड स्थित हकीम अजमल ख़ान की आरामगाह (कब्र) पर अतिक्रमण किया हुआ है, उस पर अवैध कब्ज़ा किया हुआ है, इसलिये दिल्ली वक्फ बोर्ड को उस महान स्वतंत्रता सेनानी की आरामगाह को कब्ज़ा मुक्त कराना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यूनानी पद्धति उपेक्षा और भेदभाव का शिकार हो रही है। केंद्र सरकार को अपने ही नारे ‘सबका साथ सबका विकास’ को अमली जामा पहनाना चाहिए, ताकि यूनानी पद्धति का देश में विकास हो सके, यूनानी पद्धति के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को उपेक्षा का शिकार न बनाया जाए। डॉ. असलम जावेद ने कहा कि ऐसी बहुत सी बीमारियां हैं जिनका इलाज सिर्फ यूनानी पद्धति में ही संभव है, लिहाज़ा सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।