गुरुग्राम नमाज़ विवाद: विरोध के बीच सिख समुदाय की अनोखी पेशकश ‘आओ गुरुद्वारे में पढ़ो नमाज़’

गुरुग्राम में खुले में नमाज को लेकर विवाद चल रहा है, इस बीच सिख समुदाय ने भाईचारे की मिसाल पेश की है। वहां ‘आओ गुरुद्वारे में पढ़ो नमाज’ मुहिम शुरू की है। गुरुग्राम में श्री गुरु सिंह सभा ने गुरुपर्व से पहले भाईचारे की मिसाल शुरू की है।

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गुरुग्राम में सेक्टर 12-ए में शुक्रवार को खुले में होने वाली नमाज का जमकर विरोध जारी है। कई हिंदू संगठनों ने इसको लेकर प्रशासन को चेतावनी दी थी और धरना प्रदर्शन भी किए थे। समाचार चैनल आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक़ अब श्री गुरु सिंह सभा ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे गुरुद्वारे में आकर नमाज पढ़ सकते हैं। कहा गया है कि कोविड नियमों के तहत मुस्लिम गुरुद्वारों में नमाज अदा कर सकते हैं।

इबादत से रोकना गुनाह है: शेरगिल सिंह सिद्धू

गुरु सिंह सभा की तरफ से शेरगिल सिंह सिद्धू ने इसकी जानकारी दी। वह गुरुग्राम में श्री गुरु सिंह सभा के प्रधान हैं। वह बोले, ‘हमारे प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी ने हमे यही सिखाया है कि अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत दे सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजाया कौन भले को मंदे।’

शेरगिल सिंह ने कहा कि हरमंदिर साहिब (गोल्डन टेंपल) में भी नमाज अदा की जाती रही है। उन्होंने कहा कि इबादत से रोकना गुनाह है। बता दें कि इससे पहले सेक्टर 12-A के अक्षय यादव ने भी ऐसा ही भाईचारा दिखाया था। उन्होंने कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग वहां उनकी निजी दुकानों में (जिनको खाली कराया गया है) नमाज अदा कर सकते हैं।

पहले एक हिंदू ने दी है जगह

बीते शुक्रवार को जब गुरुग्राम के सेक्टर 12 में खुले में नमाज़ को लेकर विवाद हुआ, और वहां नमाज़ नहीं हुई तो इसी दौरान वहीं पर भाईचारे की मिसाल देखने को मिली। पास के ही एक हिन्दू युवक ने जुमे की नमाज़ पढ़ने के लिए अपनी जगह दी, करीब 20 लोगों नमाज़ पढ़ी। इस शख्स ने कहा कि वो अपने हॉस्पिटल की छत भी दे देंगे, जहाँ हर जुमे को आराम से कुछ लोग नमाज़ अदा कर सकते है, जब तक जगह का इंतिज़ाम नहीं होता।

क्या कहते हैं नमाज़ी

गरुग्राम में नमाज़ियों का कहना है कि खुले में नमाज़ से अगर किसी को दिक़्क़त है तो वक़्फ़ के अंतर्गत आने वाली 19 मस्जिदों को नमाज़ियों के लिए प्रशासन खोल दे, जो कि बंद पड़ी हुई हैं, ताकि वो उन मस्जिदों में नमाज़ अदा कर सकें, साथ ही उन मस्जिदों पर अवैध क़ब्जे का भी आरोप लगाया है। बता दें कि साल 2018 में जब पहली बार नमाज़ को लेकर विवाद हुआ था तब तब वक्फ बोर्ड से मांग की गई थी, गरुग्राम में वक्फ की संपत्तियों को कब्जा मुक्त कराया जाए।