गुरुग्राम: सांप्रदायिक सद्भाव और कोविड राहत कार्य के लिए काम करने में अपनी विशेष पहचान बनाने वाली संस्था “गुरुग्राम नागरिक एकता मंच” (GNEM) ने एक अभियान शुरू किया है जिसका उद्देश्य नागरिकों को भारत की पहचान को नष्ट करने की धमकी देने और नफ़रत की राजनीति के करने वालों के ख़िलाफ आवाज़ उठाने और ऐसे लोगों के विरुद्ध एकजुटता के साथ काम करने पर ज़ोर दिया जाएगा।
संस्था के मुताबिक देश के विभिन्न हिस्सों से मुसलमानों की लिंचिंग की ख़बरें आती रहती हैं साथ ही हर शुक्रवार को गुड़गांव में नमाज़ में व्यवधान डालने की भी कोशिश की जाती है और नमाजियों को धमकाया और अपमानित भी किया जाता है। यूपी सहित कई राज्यों में अंतर्धार्मिक विवाहों को अपराध बना दिया गया है, जिसमें हिंदू महिलाओं से शादी करने वाले मुस्लिम पुरुषों को कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा परेशान किया जाता है और बाद में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है। इसके अलावा सोशल मीडिया द्वारा मुस्लिम महिलाओं को अपमानित करने और आतंकित करने की भी कोशिश की जा रही है जो कि बेहद ख़तरनाक है।
नफ़रतबाज़ भीड़ के लिए अब क्रिसमस जैसे त्योहार भी नफ़रत ज़ाहिर करने का एक ज़रिया बन गया है। देश भर में क्रिसमस समारोहों पर हमले, अंबाला में एक चर्च में तोड़फोड़ और आगरा में सांता क्लॉज के पुतले को आग लगाने की घटनाएं उसी ख़तरे का संकेत हैं जो कि हाल ही में हरिद्वार में आयोजित ‘घर्म संसद’ में देखने और सुनने को मिला था।
संस्था के मुताबिक इंटरनेट उपयोग करने वाले युवाओं की एक खेप दलित अधिकारों पर हमला करने के लिए काम कर रही है। इन हालात से ये बात भी ज़ाहिर होती है कि, पुलिस प्रशासन अपने संवैधानिक दायित्व को निभाने में विफल रहा है जिसकी वजह से अराजकता और प्रबल होती जा रही है।
ऑनलाइन अभियान में इस बात पर भी ज़ोर दिया जा रहा है कि यदि हम भारत को उन लोगों द्वारा बंधक बनाने की अनुमति देते हैं, जिनका एकमात्र मक़सद नफ़रत फैलाना है, तो हम अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को अंधकार की तरफ ले जाएंगे क्यूंकि नफ़रत कभी भी किसी और के दरवाज़े पर नहीं रुकती, वह अंत में सभी दरवाज़ों पर दस्तक देती है, यही नफ़रत का नतीजा है। हम क्या खाते हैं, कैसे कपड़े पहनते हैं, हम किससे प्यार करते हैं, यह सब नफ़रत फैलाने वालों द्वारा तय नहीं किया जा सकता।
“गुरुग्राम नागरिक एकता मंच” (GNEM) ने नागरिकों से अपनी चुप्पी तोड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसी चर्चाएं जो केवल नफ़रत को बढ़ावा देंगी उनसे दूर रहना ही बेहतर है क्यूंकि नफ़रत राष्ट्रों को ख़त्म कर देती है। इसलिए समय आ गया है कि हम सब नागरिक घृणा की इस राजनीति को ख़त्म करने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करें। संस्था के अनुसार उनकी ये कार्य योजना पहले क़दम के रूप में है, GNEM ने लोगों से 30 जनवरी को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर “HatePoliticsNotInMyName” का उपयोग करने के लिए भी कहा था जिसका उसे ज़ोरदार रेस्पांस भी मिला।
GNEM का अभियान जल्द ही ज़मीनी स्तर पर देखने को मिलेगा साथ ही सोशल मीडिया पर भी विभिन्न कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शुरू की जाएगी।
संस्था के मुताबिक GNEM एक ऐसा मंच तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है जो नफ़रत की राजनीति को चुनौती देगा और इसे हमारे सामाजिक जीवन में ज़हर घोलने की इजाज़त नहीं देगा।