त्रिपुरा से ग्राउंड रिपोर्ट: मुसलमानों के घरों और दुकानों पर हमले… और मेरा दिल टूट गया

एक मस्जिद के पास पहरा दे रहे एक पुलिस जवान ने निर्देश दिया, “आप लोग यहां नहीं आ सकते।” गली में बैठे एक अन्य पुलिस वाले ने भी हमें अंदर न जाने का इशारा किया। हमने उनसे पूछा कि क्या हम मस्जिद देख सकते हैं। पहले पुलिस जवान ने कहा “नहीं, आप जगह नहीं देख सकते हैं, आपको पुलिस स्टेशन से इजाजत लेनी होगी.” त्रिपुरा में अक्टूबर में हुई हिंसा पर कारवां ने ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसे यहां  कारवां से सभार प्रकाशित  किया जा रहा है।

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पानीसागर जामे मस्जिद का निर्माण 1982 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने किया था। इसे अक्सर सीआरपीएफ मस्जिद भी कहा जाता है। और इसी के बगल में देवस्थान मंदिर भी है जिसे भी कथित तौर पर उसी साल बनाया गया था। शुक्रवार की नमाज से पहले 21 से 22 अक्टूबर की दरमियानी रात को अज्ञात हमलावरों ने मस्जिद में कथित तौर पर आग लगा दी। उस दिन की सुबह विश्व हिंदू परिषद ने पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का विरोध करने के लिए, लगभग पंद्रह किलोमीटर दूर धर्मनगर और राज्य की राजधानी अगरतला में रैलियां कीं। त्रिपुरा की सीमा बांग्लादेश से लगती है।

26 अक्टूबर को विहिप के सदस्यों ने उत्तरी त्रिपुरा जिले के पानीसागर डिवीजन में चमटीला मस्जिद में तोड़फोड़ की. भीड़ ने मस्जिद में लगे पंखे तोड़ दिए, खिड़कियों और दरवाजों को क्षतिग्रस्त कर दिया और साउंड सिस्टम को तोड़ दिया. एक चश्मदीद ने बताया कि जिस वक्त हमला हुआ उस वक्त सीआरपीएफ के जवान मस्जिद की रखवाली के लिए मौजूद थे लेकिन उन्होंने बीच-बचाव नहीं किया.

इस वर्ष अक्टूबर के मध्य में बांग्लादेश के कोमिला में एक दुर्गा पूजा पंडाल में पाई गई कुरान की एक प्रति के चलते देश में हुए सांप्रदायिक हमलों में सात लोग मारे गए। खबरों के मुताबिक हिंसा में अस्सी से अधिक दुर्गा पूजा पंडालों को नष्ट कर दिया गया। जैसे ही हिंसा की खबर सीमा पार से त्रिपुरा में फैलीं विहिप ने राज्य भर में रैलियां कर हमलों का विरोध करने का फैसला किया।

ये रैलियां जल्दी ही त्रिपुरा में मुसलमानों के खिलाफ नफरत में बदल गईं जिसके बाद कई शहरों में मुस्लिम विरोधी हिंसा भड़क उठी। पश्चिम और उत्तरी त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में मुस्लिम क्षेत्रों में हिंदुओं ने मस्जिदों पर हमला किया और तोड़फोड़ की, मुसलमानों के घरों में तोड़फोड़ की और उनके व्यवसायों में आग लगा दी। अक्टूबर के अंत में चार वकीलों द्वारा किए गए एक फैक्ट फाइंडिंग में पाया गया कि राज्य में कम से कम बारह मस्जिदों के अलावा मुसलमानों के सैंकड़ों घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई। मीडिया रिपोर्टों ने भी उक्त बातों की पुष्टि की है। जब गोमती जिले में पुलिस ने प्रदर्शन को रोकने का प्रयास किया तो विहिप वालों ने पथराव किया जिसमें एक दर्जन से अधिक पुलिस वाले घायल हो गए।

हिंदूवादी भीड़ के हमले के दौरान तोड़ी गई चमटीला मस्जिद की एक खिड़की.

लेकिन त्रिपुरा में पुलिस और सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कुछ घटनाओं को छोड़कर राज्य शांतिपूर्ण रहा। अपने सोशल मीडिया के माध्यम से त्रिपुरा पुलिस ने बार-बार जोर देकर कहा है कि राज्य में “कानून व्यवस्था की स्थिति बिल्कुल सामान्य है”। पुलिस ने इससे अलग जाकर रिपोर्ट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की। दो पत्रकारों को गिरफ्तार किया और फैक्ट फाइंडिंग करने वालेदो वकीलों के खिलाफ क्रूर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम

इस महीने की शुरुआत में हमने उत्तरी त्रिपुरा जिले के पानीसागर ब्लॉक का दौरा किया। 26 अक्टूबर को वीएचपी ने ब्लॉक में एक विशाल रैली का आयोजन किया था जिसमें रोवा बाजार और चमटीला जैसे क्षेत्र शामिल हैं। यहां कई मुस्लिम परिवार रहते हैं। रैली में करीब चार हजार लोगों ने भाग लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रैली में शामिल भीड़ ने रोवा बाजार में मुस्लिम दुकानों और घरों को स्पष्ट रूप से निशाना बनाया और चमटीला इलाके में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, चमटीला हमला सीआरपीएफ के जवानों की मौजूदगी में हुआ जो मस्जिद की रखवाली करने वाले थे।

मोहम्मद जयनालुद्दीन रोवा बाजार में एक बिल्डिंग के मालिक हैं, जहां 6 दुकानें जला दी गईं. उनका अनुमान है कि इमारत को हुए नुकसान में उन्हें कम से कम 10 से 15 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. उन्होंने हमें बताया कि अभी तक सरकार की ओर से कोई मुआवजा उन्हें नहीं मिला है. उन्होंने कहा “मेरे छोटे बच्चे हैं. हम यहां से कहां जाएंगे? हिंदुस्तान भी हमारा देश है. अब मैं कहां जाऊंगा?” 

सांप्रदायिक हमलों ने मुस्लिम समुदाय में भय पैदा कर दिया है। उत्तरी त्रिपुरा में हम जिन लोगों से मिले उनमें से अधिकांश गांव के निवासी हैं और छोटी दुकानें या व्यवसाय चलाते हैं। कई लोग हमसे बात करने से डरते रहे। उन्होंने आशंका जताई कि इसकी वजह से उनसे बदला लिया जाएगा। अन्य लोग कैमरे पर अपनी बात कहने या फोटो खिंचवाने को तैयार नहीं थे।

उत्तरी त्रिपुरा में एक पुलिस उप अधीक्षक ने इस बात से इनकार किया कि सीआरपीएफ मस्जिद को किसी भी तरह से निशाना बनाया गया था। उन्होंने पुष्टि की कि रोवा बाजार में दुकानों में तोड़फोड़ की प्राथमिकी दर्ज की गई थी लेकिन जांच की स्थिति पर चर्चा करने से इनकार कर दिया। हमने जिन अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया वे या तो बोलने में असमर्थ थे या उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक पुलिस ने चमटीला मस्जिद, सीआरपीएफ मस्जिद को कथित रूप से जलाने और रोवा बाजार में घरों और दुकानों पर हमलों के संबंध में लिखित प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया था। विहिप ने हिंसा की किसी भी जिम्मेदारी से इनकार करते हुए कहा कि कुछ “गुमराह लोगों” ने हमले किए।

निजामुद्दीन की रोवा बाजार में एक स्टेशनरी और कैंडी की दुकान थी जो बर्बाद हो गई है.

विहिप की रैलियां बांग्लादेश में हुए हमलों के कुछ दिनों के भीतर ही शुरू हो गईं। 21 अक्टूबर को हिंदूवादी समूह ने पश्चिमी त्रिपुरा के अगरतला में और उत्तरी त्रिपुरा जिले के धर्मनगर में एक रैली की। अगले दिन पानीसागर सब-डिवीजन में मुसलमानों को खबर मिली कि सीआरपीएफ की मस्जिद को जला दिया गया है। एक मुस्लिम व्यक्ति जो इस क्षेत्र से परिचित था और 23 अक्टूबर को कई बार पानीसागर में सीआरपीएफ मस्जिद गया था। उसने कहा, “हमने नहीं देखा कि कितने लोग आए। उन्होंने रात में आकर आग लगाई। आस-पास कोई मुस्लिम परिवार नहीं है। गांव के ही कुछ लोग मस्जिद चलाते हैं। लोगों ने अभी भी मस्जिद में नमाज अदा की, हर जुम्मे पर नमाज होती है। एक महिला है जो हर जुमे में मस्जिद की सफाई करती है। वह वहां गई थी और उसने बताया कि मस्जिद को जला दिया गया है।” उन्होंने कहा कि हमलावरों ने मस्जिद में मौजूद सब कुछ नष्ट कर दिया।

त्रिपुरा में रोवा बाजार के मुहम्मद सुनोवर अली स्थानीय मस्जिद के पास खड़े थे, जब उन्होंने देखा कि विहिप की रैली में भाग लेने वालों ने लगभग 100 मीटर दूर उनके कपड़े और जूते की दुकान में आग लगा दी. “मैं बस अपनी दुकान को जलते हुए देख रहा था. मैंने अपनी 9 साल की सारी बचत इस दुकान में लगा दी थी.” उन्होंने कहा कि भीड़ हजारों में थी और मुसलमान केवल दो सौ. “मैं कुछ भी नहीं कर सकता था. मैं बस खड़ा होकर देख सकता था.” अली ने कहा कि उन्हें करीब 15 लाख रुपए का नुकसान हुआ है, लेकिन मुआवजे में 1 लाख रुपए से भी कम मिला है.

सीआरपीएफ मस्जिद में घुसने से रोके जाने के बाद हम पानीसागर पुलिस स्टेशन गए जहां हम प्रभारी अधिकारी सौगत चकमा से मिले। उन्होंने हमें पंद्रह किलोमीटर दूर धर्मनगर में पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में भेज दिया। वहां हम उत्तरी त्रिपुरा जिले में खुफिया ब्यूरो के पुलिस उपाधीक्षक स्नेहाशीष कुमार देब से मिले। हमने उनसे सीआरपीएफ मस्जिद के बारे में पूछा और वहां जाने की अनुमति मांगी। “कोई मस्जिद नहीं जलाई गई,” उन्होंने तुरंत कहा। उन्होंने कहा कि मस्जिदों को जलाने की सारी खबरें फर्जी हैं। “इतने सारे लोग कह रहे हैं कि एक मस्जिद को जला दिया गया है, यह झूठी बात है। हमने अपनी त्रिपुरा पुलिस से इसे साफ कर दिया है, यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि कोई मस्जिद नहीं जलाई गई। हमने पूछा कि क्या मस्जिद में तोड़फोड़ की गई है। उन्होंने कहा, “नहीं, तोड़-फोड़ भी नहीं हुई। दिल्ली के कुछ वीडियो दिखा रहे हैं और कह रहे हैं कि यह पानीसागर है।”

 

सीआरपीएफ मस्जिद जाने की इजाजत मांगने पर डिप्टी एसपी की प्रतिक्रिया थी, कि मस्जिद “पुलिस संरक्षण” में है। लेकिन जोर देकर कहा कि केवल उप-विभागीय मजिस्ट्रेट ही वहां जाने को अधिकृत कर पाएंगे। हमने पूछा कि पत्रकारों को सार्वजनिक स्थान पर जाने के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता क्यों है तो उन्होंने कहा, “यह संरक्षण में है।” हमने उनसे पूछा कि प्रवेश प्रतिबंधित क्यों है अगर कोई तोड़फोड़ या आगजनी नहीं हुई है तो उन्होंने कहा, “तुम यहां क्यों आए हो, किसी मस्जिद और इस चीज के लिए? अगर किसी जगह पर कुछ हुआ है, पुलिस उस जगह की सुरक्षा कर रही है, इसका मतलब है कि आपके पास वहां जाने का अधिकार नहीं है।”

बाएं से दाएं : रोवा बाजार में मुहम्मद सुनवर अली की दुकान में जले हुए जूते; उसी इलाके में निजामुद्दीन की दुकान पर जली हुई चॉकलेट; रोवा बाजार निवासी अमीर हुसैन की दुकान पर प्रिंटर; और धर्मनगर में वकील शबाना खान के घर का एक क्षतिग्रस्त स्विचबोर्ड.

18 नवंबर को समाचार वेबसाइट न्यूजलॉन्ड्री ने सीआरपीएफ मस्जिद पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें जले हुए ढांचे की तस्वीरें थीं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने वेबसाडट को बताया कि मस्जिद “उजाड़ पड़ी थी” और “नशेड़ी” लोग वहां नशा किया करते थे। उन्होंने दावा किया, “शायद इन नशेड़ियों ने छोटी-मोटी आग लगा दी थी।”

26 अक्टूबर की रैली के लगभग दो सप्ताह बाद 11 नवंबर को हमने चमटीला मस्जिद का दौरा किया। सफेद, गुलाबी और हरे रंग से रंगी हुई इमारत पर हमले के साफ संकेत थे- टूटे हुए शटर और मुड़े हुए छत के पंखे। मलबे के बीच एक टूटा हुआ गुलाबी दरवाजा था। स्थानीय लोगों ने सामने के बरामदे पर मस्जिद पर हमले में फेंकी गई ईंटों को इकट्ठा किया था। मस्जिद के सामने लगे कुछ दर्जन अगरू के पेड़ काट दिए गए थे।

हिंदू भीड़ ने चमटीला मस्जिद की खिड़कियों पर ईंटें फेंकी. जालीदार पैटर्न की बनी खिड़की से एक तारा टूट कर मस्जिद परिसर में मलबे में पड़ा था.

पास में रहने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 26 अक्टूबर की विहिप की रैली में मस्जिद पर हमला हुआ था। “वे लगभग 3।30 बजे आए। लगभग पचहत्तर लोग थे। उनमें कोई स्थानीय व्यक्ति नहीं था। वे खाली शराब की बोतलों में पेट्रोल लाए थे। मुझे लगता है कि वे मस्जिद में आग लगाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे लगा न सके”। हमने देखा कि कुछ टूटी बोतलें मस्जिद के आसपास मलबे के बीच पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि हमलावर तीन कुरान और एक माइक यूनिट ले गए जो मस्जिद में थी। “मस्जिद 15 परिवारों की थी,” उन्होंने कहा।

उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के जवान मस्जिद की सुरक्षा के लिए उसके आसपास तैनात थे लेकिन हमले को रोकने के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले राज्य भर में सांप्रदायिक तनाव की खबरें सुनने के बाद समुदाय के सदस्यों ने पानीसागर स्टेशन के प्रभारी अधिकारी चकमा से मस्जिद की सुरक्षा करने का अनुरोध किया था। “ओसी ने हमें 8 सीआरपीएफ जवान दिए। वे वहीं खड़े थे और उन्होंने कुछ नहीं किया। उनके पास गोलियां और सब कुछ था। अगर दो गोली भी चला दी होती तो हमलावर भाग जाते। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।”

अमीरुद्दीन रोवा बाजार में जनरल स्टोर चलाते थे. दुकान से सटा कमरा उनके गोदाम का काम करता था. यह इमारत उन्हीं की थी और वह उस जमीन का किराया दे रहा था जिस पर इसे बनाया गया था. “अक्सर जब मैं काम से घर जाता तो अपने बच्चों के लिए अपनी दुकान से कैंडी ले जाता था. आजकल जब मेरे बच्चे मुझसे कैंडी मांगते हैं तो मुझे रोने का मन करता है.” इससे पहले कि भीड़ ने दुकान को आग लगा दिया, उसमें भी लूटपाट की गई. अमीरुद्दीन ने कहा “जिन हिंदू भाइयों के साथ हम पले-बढ़े और बचपन से जानते थे, वे इसे रोकने में मदद कर सकते थे. जब मैं सोचना हूं ये लोग भी रैली में थे और ऐसा होने से इन्होंने नहीं रोका, तो मुझे बहुत दुख होता है.” 

जब चमटीला हमले की खबर दो किलोमीटर दूर रोवा बाजार इलाके में पहुंची तो कुछ लोग इसे बचाने के लिए मस्जिद में जमा हो गए। स्थानीय निवासियों ने बताया कि जुमे की नमाज के समय रैली चमटीला से होकर गुजरी। जब रैली इलाके के नजदीक मुख्य सड़क तिलथाई-दामचेरा रोड को पार कर रही थी, भीड़ ने मस्जिद की ओर जाने वाली एक साइड रोड में घुसने की कोशिश की। लेकिन रास्ते पर अवरोध के चलते जब वे मस्जिद तक नहीं पहुंच सके तो हमलावरों ने मुसलमानों की दुकानों में आग लगा दी। एक स्थानीय निवासी ने हमारे साथ एक सूची साझा की जिसे मुस्लिम समुदाय ने नुकसान का दस्तावेजीकरण किया गया है। इसमें सोलह नाम थे। सूची के अनुसार अनुमानित नुकसान और क्षति एक करोड़ रुपए से अधिक है।

रोवा बाजार मस्जिद की ओर जाने वाली एक साइड रोड. विहिप की रैली में जब भीड़ मस्जिद की ओर बढ़ने लगी तो विहिप के चार स्थानीय सदस्यों ने इस सड़क को जाम कर दिया. दाईं ओर अमीरुद्दीन की दुकान के खंडहर दिखाई दे रहे हैं.

हमने छह दुकानदारों से बात की जिनका काम उजड़ गया है। मस्जिद की ओर जाने वाली सड़क के ठीक बगल में 35 साल के अमीरुद्दीन की एक दुकान और गोदाम था। भीड़ ने इनमें आग लगा दी। दुकान और गोदाम के पास सिर्फ तीन जली हुई दीवारें, जले हुए खाने के पैकेट और पिघली हुई बोतलें बची थीं। अमीरुद्दीन ने कहा, “जब भीड़ हमारी मस्जिद की ओर नहीं बढ़ सकी, तो उन्होंने मेरी दुकान के दरवाजों को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया और फिर आग लगा दी।

41 वर्षीय मोहम्मद जयनालुद्दीन के पास रोवा बाजार में एक मॉल नुमा परिसर में दुकानें थी जिसे उन्होंने छह व्यापारियों को किराए पर दिया था। हिंदू भीड़ ने उनकी सभी दुकानों को जला दिया। जब उनकी इमारत में आग लगाई गई तो जयनालुद्दीन भी मस्जिद में थे। “मेरा दिल टूट गया,” उन्होंने कहा कि इस हिंसा को देखने से भी ज्यादा दुखदाई वे नारे थे जो भीड़ नारे लगा रही थी।

अमीरुद्दीन ने कहा कि हमले के बाद से वह अपने पुराने ग्राहकों द्वारा दिए गए पैसे को इकट्ठा करके अपना घर चला रहे हैं। “भले ही हमारी किताबें जला दी गईं पर मुझे बस यह याद है कि मैं उनसे 500 या इससे भी कम रुपए मांग रहा हूं।” वह चिंतित थे कि अपने तीन और पांच साल के बच्चों को क्या बताए, जो अक्सर उससे पूछते थे, “हमारी दुकान क्यों जलाई गई?”

शबाना खान धर्मनगर में अपने घर पर. 21 अक्टूबर को उनके शहर में विहिप की रैली के दौरान जब उनके घर में तोड़फोड़ की गई, तब वकील खान छुट्टी पर थे. घर एक हिंदू इलाके में वक्फ बोर्ड की जमीन पर बना है. इस भूखंड पर एक छोटी सी मस्जिद है, जो घर के पिछले हिस्से से जुड़ी हुई है. मोहल्ले में उनका इकलौता मुस्लिम घर है. “पहले हम स्वतंत्र महसूस करते थे. अब हमें दो बार सोचना होगा कि कहां रहना है, कहां छिपना है.”

जैसे ही पानीसागर उप-मंडल में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की मीडिया रिपोर्ट सामने आई, त्रिपुरा पुलिस ने एक ट्वीट पोस्ट किया जिसमें दावा किया गया कि “पानीसागर मस्जिद … सुरक्षित है।” उसने रोवा बाजार मस्जिद की तस्वीरें पोस्ट कीं। पुलिस ने यह नहीं बताया कि पानीसागर ब्लॉक में चमटीला मस्जिद पर भी हमला हुआ था। उस ट्वीट में उसी इलाके में स्थित सीआरपीएफ मस्जिद का भी जिक्र नहीं है।

धर्मनगर में, जहां विहिप ने 21 अक्टूबर को एक रैली की थी, शबाना खान के घर में तोड़फोड़ की गई थी, जब वह और उनके पति बाहर थे। वे दोनों वकील हैं और उनके पिता तृणमूल कांग्रेस के सदस्य हैं। खान के घर में पहले कमरे को वे अपने कार्यालय के रूप में उपयोग करते हैं। जब वे घर पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि उनकी सभी फाइलें पास के एक नाले में फेंक दी गई थीं, नोट पढ़ने योग्य नहीं थे। भीड़ ने उनके घर की छत के पैनल तोड़ दिए और पंखा नीचे गिरा दिया। जिससे उनका लैपटॉप टूट गया था। उनका सोफा सेट काट दिया गया था और उनकी टीवी स्क्रीन चकनाचूर हो गई थी।

खान के घर पर एक टेलीविजन सेट, जिसकी स्क्रीन गायब है.

“हम यहां तीस से ज्यादा सालों से रह रहे हैं। मैं इस घर में पैदा हुआ था,” खान ने हमें बताया। घटना के दिन से पहले उन्होंने सुना था कि विहिप पास में एक रैली का आयोजन कर रहा है। उनके पड़ोसियों ने फोन किया और उनके घर की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। लेकिन वह चिंतित नहीं थी। खान ने कहा, “हम यहां इतने सालों से रह रहे हैं। हमारे पड़ोसी इतने अच्छे हैं और हमें कभी ऐसा नहीं लगा कि हम इस इलाके में अकेले मुस्लिम परिवार हैं। हमारे घर को सुरक्षा देने के लिए पुलिस से अनुरोध करने का हमारे दिमाग में ही नहीं आया।”

रोवा बाजार में एक मुस्लिम घर के एक बेडरूम में ईंट-पत्थर फेंके गए. दुकानों को जलाने के अलावा, विहिप की रैली से हिंदू भीड़ ने कई मुस्लिम घरों पर भी हमला किया. यहां रहने वाले एक 25 साल के लड़के ने कहा कि जब भीड़ ने उसके घर पर हमला किया, वह स्थानीय मस्जिद की रखवाली कर रहा था. उसकी मां, बहन, दो भतीजी और एक चचेरे भाई ने खुद को बचाने के लिए खुद को घर के एक अलग कमरे में बंद कर लिया.

जब उन्होंने सुना कि उनके घर में तोड़फोड़ की गई तो वह चौंक गईं। “त्रिपुरा में हजारों मुस्लिम परिवार हैं और ऐसी घटना कभी नहीं हुई,” उन्होंने हमें बताया। हमले के बाद से दंपत्ती डर के मारे अपने घर नहीं लौटा है। वे एक रिश्तेदार के यहां रह रहे हैं। खान ने कहा कि इस घटना ने मुसलमानों को सामान्य गतिविधियों को लेकर भी डरा दिया है। “घटना के बाद, अल्पसंख्यकों को रात में बाहर निकलने जैसी साधारण चीजें करने से पहले अपनी सुरक्षा पर विचार करना होगा।”

दुकानदार अमीरुद्दीन को उनके गांव वालों ने निराश किया। “मेरे गांव के लोग रैली का हिस्सा थे। हम बचपन से साथ हैं-अगर वे चाहते तो इसे रोक सकते थे। वे मेरी दुकान के सामने खड़े होकर कह सकते थे, ‘यह मेरे दोस्त की दुकान है, ऐसा मत करो।'” उन्होंने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनके साथी ग्रामीणों के दिमाग में क्या चल रहा था। “हमारा बांग्लादेश से कोई लेना-देना नहीं है, हम भारतीय हैं। मेरे दादा, परदादा, वे सभी भारतीय हैं। भारत मेरी मां है,” उन्होंने हमें बताया। “मेरा कुल नुकसान लगभग 15 या 17 लाख रुपए का था। मुझे मुआवजे के रूप में 5,000 रुपए मिले हैं।” स्थानीय प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया था कि शेष राशि उन्हें मिल जाएगी। वह परेशान थे लेकिन उन्हें उम्मीद थी। “अगर सरकार 100 प्रतिशत मुआवजा नहीं देती है, तो मेरे जैसा गरीब आदमी क्या कर सकता है? लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि सरकार मेरी मदद करेगी।’

रोवा बाजार में मस्जिद की रखवाली कर रहे जिस जिस 25 वर्षीय के घर को तबाह किया गया. उसके पास लाठी थी. उसने देखा कि भीड़ के सदस्य चाकू पकड़े हुए थे. “मुझे अपनी जान देकर इस मस्जिद की रक्षा करनी थी. इसके बारे में कोई सवाल ही नहीं था,” उसने कहा. उसके हाथ पूरे दिन कांप रहे थे, उसने कहा, जबकि वह लाठी पकड़े हुए था.

जयनालुद्दीन ने कहा कि 2018 में भारतीय जनता पार्टी के राज्य में सत्ता में आने के बाद से त्रिपुरा में सांप्रदायिक घटनाएं बढ़ी हैं। “पहले, हम एक साथ व्यापार करते थे और एक साथ स्कूल जाते थे, हमारे बच्चे एक साथ खेलते थे … हम बहुत शांति से रहते थे।”

रोवा बाजार में एक दुकान के मालिक मुहम्मद सुनवर अली ने भी यही बात कही। “बीजेपी सरकार आने के बाद कुछ बदलाव हुए हैं, आरएसएस और वीएचपी अधिक सक्रिय हुए, ऐसा पहले नहीं था। अधिक हमले हो रहे हैं और कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।” अली ने कहा कि रोवा बाजार के मुसलमानों से संपर्क किया जाता तो उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ किसी भी रैली का समर्थन किया होता। “अगर वे हमें बुलाते, तो हम उनके साथ शामिल हो जाते। हम सभी इंसान हैं और जो हुआ उससे हमें भी अच्छा नहीं लगता।” जब हमने उनका इंटरव्यू लिया तो अली एक कुर्सी पर बैठे थे। उनके पीछे उनकी दुकान खंडहर हुई पड़ी थी। आग से उनका सारा माल काला हो गया था। दुकान की लकड़ी की अलमारियां जले हुए सफेद टेनिस जूते, सैंडल और स्कूल के जूते और राख से ढके कई अन्य जूतों के साथ पड़ी थी।

विहिप के पानीसागर अध्यक्ष बिजित राय. उन्होंने रोवा बाजार और चमटीला मस्जिद पर हुए हमलों को स्वीकार किया, लेकिन इस बात से इनकार किया कि विहिप का कोई सदस्य इसके लिए जिम्मेदार था. उन्होंने कहा कि “गलत इरादों वाले बदमाशों” ने हमले को अंजाम दिया था.

शबाना ने भी महसूस किया कि सरकार को और करना चाहिए था। “हमारे नेताओं को यह सोचना चाहिए कि यह किसी इंसान के साथ हुआ है और मुस्लिम-हिंदू छोड़ दें। उन्हें माफी मांगनी चाहिए,” उन्होंने कहा। “कम से कम एक नेता प्रेस मीट बुला सकता था और कह सकता था कि ‘ऐसी घटना हुई है, हमें बहुत खेद है।'”

हम बीजेपी के पानीसागर के विधायक बिनय भूषण दास से मिले। दास ने दावा किया कि सीआरपीएफ मस्जिद में कुछ “तोड़-फोड” हुई है लेकिन ज्यादा चिंता की बात नहीं है। विहिप के पानीसागर अध्यक्ष बिजित राय ने इस बात से इनकार किया कि हमला उनके संगठन या रैलियों से जुड़ा था। उन्होंने दावा किया कि कुछ “गलत इरादों वाले बदमाशों” ने रोवा बाजार में घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की थी। राय ने कहा कि 26 अक्टूबर की रैली में सभी निहत्थे थे। “हमने सुनिश्चित किया कि कोई पत्थर या लाठी न हो।”

उत्तरी त्रिपुरा में पानीसागर जमी मस्जिद, जिसे सीआरपीएफ मस्जिद भी कहा जाता है, की रखवाली करता एक पुलिसवाला. एक चश्मदीद ने आरोप लगाया कि 21 से 22 अक्टूबर की दरमियानी रात को मस्जिद को जला दिया गया था. हम मस्जिद की स्थिति की पुष्टि करने में असमर्थ थे, क्योंकि पुलिस ने हमें भीतर नहीं जाने दिया था. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि मस्जिद को किसी भी तरह से क्षतिग्रस्त किया गया था, लेकिन कहा कि हम इसमें प्रवेश नहीं कर सकते क्योंकि यह “सुरक्षा में” था.

राय ने दुकानों को जलाए जाने के लिए दमकल विभाग को जिम्मेदार ठहराया। “बुरे इरादे वाले लोगों ने आग लगाना शुरू कर दिया … भीड़ के कारण दमकल सेवा को पहुंचने में समय लगा। अगर वे पांच मिनट में आ जाते तो आग को रोक सकते थे।”

राय दुकान मालिकों के नुकसान से बेफिक्र नजर आ रहे थे। “ये छोटे स्टॉल हैं, माल ज्यादा नहीं है… कीमत लगभग 25000 रुपए होगी।” राय ने दावा किया कि रैली के उसी दिन रोवा बाजार में बीजेपी कार्यालय, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं ने शाम की बैठक की थी, को जला दिया गया। उन्होंने दावा किया कि इससे साबित होता है कि हमलावर विहिप या बीजेपी से संबद्ध नहीं थे। रिपोर्टिंग करते हुए हमने बीजेपी कार्यालय पर हमले की पुष्टि करने की कोशिश की लेकिन कुछ पता नहीं चला।

भले ही आरएसएस 1950 के दशक से ही त्रिपुरा में सक्रिय है लेकिन बीजेपी 2018 तक राज्य में सत्ता में आने में नहीं आ पाई थी। लेकिन फिर वह प्रचंड बहुमत से जीती थी। त्रिपुरा को पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का गढ़ माना जाता था, जो राज्य में 25 वर्षों तक सत्ता में थी। 2014 में केंद्र में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद आरएसएस और बीजेपी ने राज्य में पैर जमाने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया। आरएसएस के सुनील देवधर और बीजेपी महासचिव राम माधव जैसे पूर्व छात्र नेताओं को पार्टी ने यहां नियुक्त किया। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि 2013 और 2018 के बीच, आरएसएस राज्य में लगभग पचास या साठ शाखाओं से बढ़कर दो सौ पचास से अधिक हो गई और लगभग पचास हजार बीजेपी और आरएसएस सदस्य राज्य में चुनाव में सक्रिय थे। इस बीच अगस्त 2017 में सात विधायक, जिन्होंने पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी, बीजेपी में चले गए। 2013 में दो प्रतिशत से भी कम वोट पाने वाली बीजेपी ने 2018 में 40 प्रतिशत वोट पाकर राज्य विधानसभा की 60 में से 32 सीटों पर जीत हासिल की।

आज राज्य में बीजेपी की टक्कर टीएमसी के साथ है। टीएमसी के विधायकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने 22 नवंबर को त्रिपुरा हिंसा के संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की। टीएमसी ने यह भी घोषणा की है कि वह इस मुद्दे पर दिल्ली में धरना प्रदर्शन करेगी।

पानीसागर में भारतीय जनता पार्टी का झंडा. पानीसागर में हर 20 से 30 मीटर की दूरी पर हर प्रमुख सड़क पर मोटर चालकों और पैदल चलने वालों का स्वागत बीजेपी के झंडे ने किया. पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का गढ़ माने जाने वाले त्रिपुरा ने 2018 में बहुमत के साथ बीजेपी को चुना.

इस बीच, अली, जिनकी दुकान रैली के दिन जला दी गई थी, ने सरकार से उम्मीद रखना जारी रखा है और अपने गांव में शांतिपूर्ण माहौल लौटने की आशा की है। “हमारे हिंदू भाई अब हमें नजर मिला कर नहीं देखते। यहां तक ​​कि मैं भी आंख नहीं मिलाता हूं। यही माहौल है,” उन्होंने कहा और जोड़ा, “हमारा भविष्य के लिए सरकार जिम्मेदार है। वह चाहे तो सब कुछ ठीक कर सकती है।”

उन्हें उम्मीद है कि अगर सरकार ने ऐसा किया तो मुसलमानों को फिर से घर जैसा महसूस होगा। “किसी को जाने की जरूरत नहीं है। हम कहां जाएंगे? हम यहीं पैदा हुए हैं, यहीं रहेंगे… अगर सरकार गलत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो सब ठीक हो जाएगा।”

सभार कारवां