‘डबल इंजन’ की सरकार और ‘प्रधान सेवक’ की पुलिस

संजय कुमार सिंह

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महिला पुलिस अधिकारी के साथ ‘मारपीट’ के मामले में ‘गिरफ्तार’ जिग्नेश मेवानी को जमानत मिल गई है। असम के बारपेटा जिले की एक अदालत ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को एक महिला पुलिस अधिकारी पर कथित ‘हमले’ से संबंधित एक मामले में जमानत देते हुए ‘झूठी प्राथमिकी’ दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस की खिंचाई की है। बारपेटा जिला और सत्र न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले एक साल में पुलिस मुठभेड़ों का जिक्र करते हुए गुवाहाटी हाई कोर्ट से आग्रह किया कि वह राज्य पुलिस बल को ‘खुद में सुधार’करने का निर्देश दे।

गुजरात के विधायक को एक ट्वीट के लिए असम के एक विधायक की शिकायत पर असम पुलिस ने गुजरात में गिरफ्तार किया था और सोमवार को जमानत पर रिहा किए जाने के बाद महिला पुलिसकर्मी पर हमले के आरोप में फिर गिरफ्तार कर लिया गया था। द प्रिंट की खबर के अनुसार यह महिला पुलिस अधिकारी गिरफ्तार करने वाली टीम में शामिल थी। खबर के मुताबिक जिग्नेश मेवानी ने शुक्रवार को असम के बारपेटा जिले की एक अदालत से जमानत मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर आरोप लगाया कि उसने मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा है। उन्होंने कहा, ‘मुझे न्यायतंत्र पर भरोसा था, है और रहेगा।

मुझे पुलिस से दुर्व्यवहार करना होता तो गुजरात से मुझे उठाया तब करता। ये बीजेपी सरकार का षड्यंत्र है, वे मेरा हौसला तोड़ना चाहते हैं।’बारपेटा रोड थाने में दर्ज मामले में मेवानी को एक हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी गई। देश भर में कहीं कुछ अच्छा हो रहा हो तो उसका श्रेय लेने वाले नरेन्द्र मोदी को उन्हें श्रेय देने वाले प्रचारक ऐसे मामलों में चुप रहते हैं। अखबारों में ऐसी खबरें नहीं छपती हैं या कहीं कोने में छोटी-मोटी छापकर औपचारिकता पूरी की जाती है। द टेलीग्राफ में यह खबर आज लीड है।

अब जरा आरोप के बारे में

अदालत ने कहा कि दो अन्य पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में महिला पुलिस अधिकारी का शील भंग करने की मंशा का आरोप आरोपी के खिलाफ नहीं लगाया जा सकता, जब वह उनकी हिरासत में था और जिसे किसी और ने नहीं देखा। न्यायाधीश ने कहा कि हाई कोर्ट असम पुलिस को ‘मौजूदा मामले की तरह झूठी प्राथमिकी दर्ज करने और आरोपियों को गोली मारने और मारने या घायल करने वाले पुलिस कर्मियों को रोकने के लिए खुद में सुधार करने का निर्देश देने पर विचार कर सकता है, जो राज्य में एक नियमित घटना बन गई है।’

आदेश में कहा गया है कि हाई कोर्ट कानून और व्यवस्था की ड्यूटी में लगे प्रत्येक पुलिस कर्मी को ‘बॉडी कैमरा पहनने, किसी आरोपी को गिरफ्तार करते समय या किसी आरोपी को सामान्य या अन्य कारणों से किसी स्थान पर ले जाने के दौरान गाड़िों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, सभी पुलिस थानों के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश देने पर भी विचार कर सकता है।’ इसमें कहा गया है, ‘हमारा राज्य एक पुलिस राज्य बन जाएगा जिसे समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता।’